रेलगाड़ियों और ट्रकों में ठूंस ठूंसकर लाखों प्रवासी कामगारों को रोजाना महाराष्ट्र से यूपी बिहार झारखंड मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में भेज रहा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हवाई जहाज से मुम्बई/महाराष्ट्र पहुंचने वाले कुछ सौ यात्रियों का बोझ उठाने को भी तैयार नहीं हो रहा। उद्धव ठाकरे आज से शुरू हुई विमान सेवा का विरोध कर रहा है। उद्धव ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि कम से कम 31 मई तक मुम्बई/महाराष्ट्र के लिए विमान सेवा नहीं प्रारम्भ की जाए।
उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा है कि राज्य में हवाई यात्रा को शुरू करने के लिए उसने नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से और समय मांगा है। साथ ही उद्धव ने यह भी कहा कि वह भरोसा नहीं दे सकता है कि राज्य में लॉकडाउन 31 मई को खत्म हो जाएगा, क्योंकि वायरस का प्रसार बढ़ रहा है। उद्धव ठाकरे ने नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से घरेलू विमान सेवा के लिए तैयारी करने को लेकर और समय की मांग की है। स्वयं उद्धव ठाकरे द्वारा की गई उपरोक्त मांग ने महाराष्ट्र की सरकार के नकारे निकम्मेपन और उस सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे की प्रशासनिक अक्षमता अयोग्यता का काला चिट्ठा खोल दिया है। इसलिए उद्धव ठाकरे कुछ तो शर्म करो !
ध्यान रहे कि मुम्बई महाराष्ट्र की तुलना में अत्यधिक सीमित चिकित्सकीय सुविधाओं और आर्थिक संसाधनों वाले यूपी बिहार झारखंड मध्यप्रदेश सरीखे राज्य भी लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों का रोजाना स्वागत कर रहे हैं। महाराष्ट्र के उस मुख्यमंत्री की तरह हाय-तौबा नहीं कर रहे हैं जो उन लाखों मजदूरों को महाराष्ट्र से दूसरे राज्यों में भेज रहा है लेकिन महाराष्ट्र में कुछ सौ यात्रियों का बोझ उठाने को भी तैयार नहीं हो रहा है।
उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा है कि राज्य में हवाई यात्रा को शुरू करने के लिए उसने नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से और समय मांगा है। साथ ही उद्धव ने यह भी कहा कि वह भरोसा नहीं दे सकता है कि राज्य में लॉकडाउन 31 मई को खत्म हो जाएगा, क्योंकि वायरस का प्रसार बढ़ रहा है। उद्धव ठाकरे ने नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से घरेलू विमान सेवा के लिए तैयारी करने को लेकर और समय की मांग की है। स्वयं उद्धव ठाकरे द्वारा की गई उपरोक्त मांग ने महाराष्ट्र की सरकार के नकारे निकम्मेपन और उस सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे की प्रशासनिक अक्षमता अयोग्यता का काला चिट्ठा खोल दिया है। इसलिए उद्धव ठाकरे कुछ तो शर्म करो !
ध्यान रहे कि मुम्बई महाराष्ट्र की तुलना में अत्यधिक सीमित चिकित्सकीय सुविधाओं और आर्थिक संसाधनों वाले यूपी बिहार झारखंड मध्यप्रदेश सरीखे राज्य भी लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों का रोजाना स्वागत कर रहे हैं। महाराष्ट्र के उस मुख्यमंत्री की तरह हाय-तौबा नहीं कर रहे हैं जो उन लाखों मजदूरों को महाराष्ट्र से दूसरे राज्यों में भेज रहा है लेकिन महाराष्ट्र में कुछ सौ यात्रियों का बोझ उठाने को भी तैयार नहीं हो रहा है।
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