➤जोगी को पहली बार 9मई को दिल का दौरा पड़ा था,तब से वे अस्पताल में थे,भर्ती...
20दिन में तीसरी बार पड़ा था दिल का दौरा... |
अमित जोगी ने ट्वीट किया कि 20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया। केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं, अपना पिता खोया है। माननीय अजीत जोगी जी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर, ईश्वर के पास चले गए। गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा, हमसे बहुत दूर चला गया। बता दें अजीत जोगी 9 मई 2020 से कोमा में थे। इमली का बीज गले में अटकने की वजह से उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद 27 की मई की रात भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। हालांकि, अगले ही दिन उनकी सेहत में थोड़ा सुधार देखा गया था।
जब शुक्रवार को उन्हें दोबारा दिल का दौरा पड़ा तो रायपुर के श्रीनारायणा अस्पताल की ओर से एक मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया। इसमें बताया गया कि जोगी परिवार की सहमति लेकर डॉक्टरों ने उन्हें एक विशेष इंजेक्शन लगाया है। यह बहुत ही रेयर किस्म का इंजेक्शन है। इसका इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में बहुत कम हुआ है। जोगी के ब्रेन में कोई हलचल नहीं हो रही थी। शुक्रवार को तीसरी बार हार्ट अटैक आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर यानी कार्डियो पल्मनरी रेस्यूसाईटेशन भी दिया। यह धड़कन रुक जाने की स्थिति में दिया जाता है।
अजीत जोगी इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहे और आईएएस बने...
अजीत जोगी का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा गौरेला में 29 अप्रैल, 1946 को उनका जन्म हुआ। अजीत प्रमोद कुमार जोगी के दादाजी हिंदू धर्म के सतनामी समाज से ताल्लुक रखते थे। बाद में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था। वे बीई मैकेनिकल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। फिर रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में वे 1967-68 में लेक्चरर रहे। बाद में वे आईएएस बने। 1974 से 1986 तकरीबन 12 साल तक सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर में कलेक्टर रहे।
अजीत प्रमोद कुमार जोगी... |
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भी केंद्र में नहीं मिला मौका...
इसके बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने कांग्रेस की तरफ से छत्तीसगढ़ की महासमुंद सीट से चुनाव लड़ा। इस दौरान उनका मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल से था। जोगी ने विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गज नेता को हराकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपना कद सबसे ऊपर कर लिया। इन चुनावों में केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी लेकिन अजीत जोगी को सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। जोगी अभी भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में ही खुद को आजमाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सांसद का अपना कार्यकाल पूरा ना करके वापस विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया।
नहीं छूटा अजीत जोगी का राज्य की राजनीति का मोह...
साल 2008 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जोगी एक बार फिर मरवाही से मैदान में उतरे। इस बार भी राज्य में कांग्रेस की हार हुई लेकिन अजीत जोगी ने बंपर वोटों से चुनाव जीता। अजीत जोगी ने बीजेपी के ध्यान सिंह पोर्ते को 42 से ज्यादा हराया था। इसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में जोगी मैदान में नहीं उतरे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब अजीत जोगी ने विधानसभा का अपना कार्यकाल पूरा किया। 2013 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी मरवाही विधानसभा सीट से अपने बेटे अमित जोगी को मैदान में उतारा। अमित जोगी ने बीजेपी समीरा पैकरा को 46 से ज्यादा वोटों से हराया था। इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने महासमुंद लोकसभा सीट से एक बार फिर ताल ठोकी। लेकिन इस बार जोगी मोदी हवा में बीजेपी के चंदूलाल साहू से 1217 वोटों से हार गए।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के कहने पर राजनीति में आए थे जोगी...
पूर्व पीएम राजीव गाँधी और अजीत जोगी... |
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह के खास अधिकारियों में थे,जोगी...
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह और अजीत जोगी... |
दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी ब्यक्तियों में से एक थे,अजीत जोगी... |
अजीत जोगी दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी ब्यक्तियों में से एक थे। वर्ष- 2018 में पत्नी और बहू समेत विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे थे। पहली बार कांग्रेस पार्टी से अलग चुनाव लड़े। अजीत जोगी अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (JCC-J) के साथ मैदान में उतरे। राज्य की 90 सीटों में जोगी की पार्टी 55 सीटों पर चुनाव लड़ी, बाकि 35 सीटों पर जेसीसीजे ने बीएसपी को समर्थन किया है। अजीत जोगी खुद मरवाही सीट से चुनाव लड़े और जीते थे। वहीं कोटा विधानसभा सीट से उनकी पत्नी रेणु जोगी भी चुनाव जीती थीं। बहू ऋचा जोगी अकलतरा सीट से बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरीं थी और बहुत कम अंतर से हारीं थी। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल 90 में से 60 सीटों पर बीएसपी जेसीसी गठबंधन ने 7 सीटें जीती थी, जिनमें से 5 सीटें जोगी की पार्टी ने जीती थी। वहीं 2 सीटों पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी।
गौरेला में 30मई को राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार...
गौरेला में 30मई को राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार...
छत्तीसगढ़ के दिवंगत प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का अंतिम संस्कार 30 मई को उनके पैतृक गांव गौरेला में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजीत जोगी के निधन पर छत्तीसगढ़ में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि अजीत जोगी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।
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