उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार उत्तरप्रदेश में अबतक लगभग 16 लाख प्रवासी मजदूर वापस आए हैं। बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के अनुसार अबतक लगभग 8 लाख मजदूर वापस लौटे हैं। राजस्थान में यह संख्या लगभग 6 लाख है। झारखंड में यह संख्या लगभग 7 लाख है। उड़ीसा में 3 लाख प्रवासी मजदूर वापस आए हैं और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री 15 दिन पहले स्वयं कह चुके हैं कि छत्तीसगढ़ के कुल प्रवासी मजदूरों की संख्या 1.17 लाख है। इनमें से अब तक कितने वापस आए यह ज्ञात नहीं, लेकिन यदि शत प्रतिशत वापसी मान ली जाए तो भी यह संख्या 41.17, लाख होती है। उल्लेखनीय है कि प्रवासी मजदूरों की 95% संख्या इन्हीं राज्यों से है। रेलवे ने आज ही बताया है कि 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया और 20 मई तक 1,173 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मदद से 23.5 लाख श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाया गया है।
" प्रवासी मजदूरों के पलायन के नाम पर देश की आर्थिक गतिविधियों के पूरी तरह ठप्प हो जाने, औद्योगिक उत्पादन के पहियों के थम जाने की एक से बढ़कर एक भयानक भविष्यवाणियां कर रहे न्यूज चैनली हंगामे और कांग्रेसी हुड़दंग से विचलित मत होइए और उनके हंगामे और हुड़दंग से ध्यान हटाकर जरा उपरोक्त तथ्यों पर भी ध्यान दीजिये कि मोदी सरकार के खिलाफ सुनियोजित अफवाहबाजी की कितनी उच्च स्तरीय साजिश चल रही है, इसे ऐसे समझिए कि BBC देश में प्रवासी मजदूरों के पलायन की संख्या 8 करोड़ बता रहा है । "
ध्यान रहे कि उपरोक्त सभी लोग मजदूर नहीं हैं। इस संख्या में मजदूरों के साथ वापस लौटे उनके पत्नी बच्चे भी शामिल हैं। अतः अब तक वापस लौटे मजदूरों की संख्या 20 से 25 लाख ही है। इनमें से भी सभी किसी फैक्ट्री में काम करने वाले नहीं हैं। इसमें बहुत बड़ी संख्या उनकी भी है जो बाहर के शहरों में नाई, धोबी, रिक्शा चालक, सब्जी-फल बेचने, चाय-पान की दुकान करने, घरेलू नौकर सरीखे दर्जनों अन्य काम करके आजीविका चलाते थे। ऐसे लोगों के पलायन से उनकी आजीविका का संकट तो उत्पन्न होगा, लेकिन कल कारखानों के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। औद्योगिक इकाइयों से जुड़े रहे मजदूरों की संख्या अधिकतम 10 लाख से ज्यादा नहीं है। लॉकडाउन की समाप्ति के बाद इनमें से कोई वापस नहीं जाएगा यह असम्भव है। बहुत बड़ी संख्या में ये वापसी करेंगे।
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