कांग्रेसी करतूतों, हथकंडों पर सच काल बनकर मंडरा रहा है, वो 2-4 दिन से अधिक टिक नहीं पा रहा है । बहुत बुरी तरह दम तोड़ रहे यू पी के मजदूरों के लिए 1000बसें मुफ्त देने का कांग्रेसी दावा कितना ढपोरशंखी था, इसकी सच्चाई कल उजागर हो गई ।
डीजल के 19,76286 रुपये का बिल और भुगतान का चेक |
कल यह सच्चाई उजागर हुई है कि लॉकडाउन में फंसे उत्तर प्रदेश के छात्रों को कोटा से यू पी बॉर्डर तक छोड़ने के लिए राजस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को 94 बसें उपलब्ध करायी थीं। इसके एवज में राजस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से 36 लाख रुपये बसों का किराया वसूला था और उत्तर प्रदेश सरकार की बसों द्वारा भराए गए डीजल के लिए 19.50 लाख रुपये भी वसूले थे।
"कल उजागर हुई उपरोक्त सच्चाई ने देश के समक्ष एकबार पुनः यह स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना संक्रमण की महामारी के भयानक दौर में भी कांग्रेस कोई सार्थक सकारात्मक कार्य करने के बजाय कुटिल कलुषित राजनीति के घृणित हथकंडे आजमाने में ही जुटी हुई है और अपनी ऐसी करतूतों से बाज नहीं आ रही है। ज्ञात रहे कि हरियाणा सरकार ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को 100 से अधिक बसें उपलब्ध करायी थी, लेकिन इसके लिए उसने उत्तरप्रदेश सरकार से किसी प्रकार के किराये या डीजल के खर्च की मांग नहीं की थी ।
बसों के किराये के 3636664 रुपये की मांग की चिट्टी/बिल |
उत्तर प्रदेश सरकार ने उपरोक्त पूरी राशि का भुगतान भी कर दिया था और कोई आपत्ति नहीं की थी। लेकिन दो तीन दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष एंटोनिया एडविज अल्बिना माइनो उर्फ सोनिया गांधी की बिटिया तथा रॉबर्ट वाड्रा की बीबी प्रियंका वाड्रा ने मजदूरों के लिए राजस्थान से 1000 बसें मुफ्त भिजवाने का राजनीतिक पाखंड शुरू किया तो उस पाखंड की धज्जियां उड़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन (मुख्यालय) जयपुर के कार्यकारी निदेशक (यातायात) एम पी मीना की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को भेजे गए पत्र और बिल को सार्वजनिक कर दिया, जिसमें उन्होंने लिखा है कि राजस्थान राज्य परिवहन निगम ((UPSRTC)) द्वारा 17 अप्रैल से 19 अप्रैल तक कोटा में अध्ययनरत छात्रों को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी (आगरा) और झांसी तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था कर परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसका तिथिवार विवरण, संचालित किलोमीटर और भुगतान योग्य राशि 36 लाख 36 हजार 664 रुपये का विवरण भेजा गया था। भुगतान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। पत्र में आगे लिखा गया है कि ये सुविधा उपलब्ध कराने के एवज में निगम खाते में धनराशि आरटीजीएस के माध्यम से अविलंब भुगतान कराएं।
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