इंसान पैसों की खातिर कितना गिर सकता है,इसकी कल्पना करना ही ब्यर्थ है...!!!
पैसे की भूख मानव को दानव बना दिया है...!!!
लखनऊ से सतीश मिश्र की रिपोर्ट :-
क्या आप इतनी बेईमानी... इतनी बेशर्मी की कल्पना कर सकते हैं कि सड़क पर पैदल चलते मजदूरों की फोटुएं खींचकर उन फोटुओं को दुनिया के बाजारों में ऑनलाइन बेंचा जा रहा है ? फोटो की कीमत रखी गई है 8 हजार से 20000 रुपए तक। इन फोटुओं को बेंचने का गोरखधंधा कर रहा है, इंडिया टुडे ग्रुप जो देश के सबसे बड़े हिन्दी न्यूजचैनल "आजतक" का भी मालिक है। यदि न्यूनतम एक लाख फोटुएं बिक गई तो उनसे होने वाली कमाई का आंकड़ा न्यूनतम 80 करोड़ से 200 करोड़ तक हो सकता है। इंडिया टुडे या आजतक क्या देश को यह बताएगा कि उपरोक्त मोटी रकम में से वो कितना हिस्सा उस मजदूर या मजदूरों को देगा, जिनकी फोटुओं को बेंचकर वो इतनी मोटी कमाई करने में जुट गया है ? लेकिन सबसे बड़ा सन्देह और प्रश्न यह है कि इन बहुत सामान्य और साधारण सी फोटुओं को इतने महंगे दामों पर कौन खरीद रहा है और क्यों खरीद रहा है ? कहीं यह उन आकाओं द्वारा चैनल तक पैसा पहुंचाने का विशेष तरीका तो नहीं ? जो आका यह चाहते हैं कि सड़कों पर मजदूरों का सैलाब उमड़ पड़े और इसके लिए खबरों की नकाब में मजदूरों को उकसाने भड़काने वाला जोरदार प्रचार अभियान चलता रहे। केजरीवाल के प्रकरण में हम देख ही रहे हैं कि कुछ करोड़ रुपयों के उसके विज्ञापनों की पट्टी अपनी आंख पर बांध के खुद केजरीवाल और उसकी सरकार की काली करतूतों के खिलाफ़ एक शब्द नहीं बोल रहा है कि मीडिया, विशेषकर न्यूजचैनल। अतः यह सन्देह भी स्वाभाविक है कि न्यूजचैनलों पर क्या इसीलिए यह अभियान चल रहा है कि सड़कों पर रात दिन मजदूर दिखाओ, उनकी संख्या कई-कई गुना बढ़ा कर बताओ, ताकि सड़कों पर मजदूरों की सप्लाई रुकने नहीं पाए...!!!
इस वेबसाईट के माध्यम से फोटो ऑनलाइन बेंच रहा है इंडिया टुडे ग्रुप...!!!पैसे की भूख मानव को दानव बना दिया है...!!!
लखनऊ से सतीश मिश्र की रिपोर्ट :-
क्या आप इतनी बेईमानी... इतनी बेशर्मी की कल्पना कर सकते हैं कि सड़क पर पैदल चलते मजदूरों की फोटुएं खींचकर उन फोटुओं को दुनिया के बाजारों में ऑनलाइन बेंचा जा रहा है ? फोटो की कीमत रखी गई है 8 हजार से 20000 रुपए तक। इन फोटुओं को बेंचने का गोरखधंधा कर रहा है, इंडिया टुडे ग्रुप जो देश के सबसे बड़े हिन्दी न्यूजचैनल "आजतक" का भी मालिक है। यदि न्यूनतम एक लाख फोटुएं बिक गई तो उनसे होने वाली कमाई का आंकड़ा न्यूनतम 80 करोड़ से 200 करोड़ तक हो सकता है। इंडिया टुडे या आजतक क्या देश को यह बताएगा कि उपरोक्त मोटी रकम में से वो कितना हिस्सा उस मजदूर या मजदूरों को देगा, जिनकी फोटुओं को बेंचकर वो इतनी मोटी कमाई करने में जुट गया है ? लेकिन सबसे बड़ा सन्देह और प्रश्न यह है कि इन बहुत सामान्य और साधारण सी फोटुओं को इतने महंगे दामों पर कौन खरीद रहा है और क्यों खरीद रहा है ? कहीं यह उन आकाओं द्वारा चैनल तक पैसा पहुंचाने का विशेष तरीका तो नहीं ? जो आका यह चाहते हैं कि सड़कों पर मजदूरों का सैलाब उमड़ पड़े और इसके लिए खबरों की नकाब में मजदूरों को उकसाने भड़काने वाला जोरदार प्रचार अभियान चलता रहे। केजरीवाल के प्रकरण में हम देख ही रहे हैं कि कुछ करोड़ रुपयों के उसके विज्ञापनों की पट्टी अपनी आंख पर बांध के खुद केजरीवाल और उसकी सरकार की काली करतूतों के खिलाफ़ एक शब्द नहीं बोल रहा है कि मीडिया, विशेषकर न्यूजचैनल। अतः यह सन्देह भी स्वाभाविक है कि न्यूजचैनलों पर क्या इसीलिए यह अभियान चल रहा है कि सड़कों पर रात दिन मजदूर दिखाओ, उनकी संख्या कई-कई गुना बढ़ा कर बताओ, ताकि सड़कों पर मजदूरों की सप्लाई रुकने नहीं पाए...!!!
https://www.indiacontent.in/migrant-labourers.../pr-988947/
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