मुनव्वर राना का विवादित ट्वीट-भारत में 35करोड़ इंसान 100करोड़ जानवर,मचा बवाल...!!!
लेखक :-सतीश मिश्र
मुनव्वर राणा तुमने 100 करोड़ हिन्दूस्तानियों को जानवर कहा है... ये 100 करोड़ की ही खास संख्या तुमने क्यों कही है, किस जहरीली साम्प्रदायिक मानसिकता के ज़हर से सराबोर होकर किस के लिए कही है ? इसे वो 100 करोड़ हिन्दूस्तानी भलीभांति समझ रहे हैं क्योंकि तुम पहले नहीं हो, तुम अकेले भी नहीं हो. तुमसे पहले यह "100 करोड़ हिन्दुस्तानियों" वाला डायलॉग हैदराबादी ओवैसी बंधु से लेकर पाकिस्तानी न्यूजचैनलों पर भारत के खिलाफ़ आग उगलने वाले ISI के गुर्गे भी इस्तेमाल करते रहे हैं। इसलिए हम 100 करोड़ हिन्दुस्तानी भलीभांति जान समझ रहे हैं कि तुमने इस डायलॉग का इस्तेमाल किस जहरीली साम्प्रदायिक मानसिकता के ज़हर से सराबोर होकर किसके लिए किया है। मुनव्वर तुम जिस घृणित साम्प्रदायिक गलतफ़हमी के नशे में धुत्त हो उसे दूर कर लो और यह जान लो कि उन 100 करोड़ हिन्दूस्तानियों की ही भांति मुझे भी गर्व है कि मैं भी उन्हीं 100 करोड़ हिन्दूस्तानियों में से एक हूं।
अब तुम्हें समझाता हूं कि जानवर कौन है...???
जानवर हम सौ करोड़ हिन्दूस्तानी नहीं हैं। बल्कि तुम जैसे वो लोग हैं जो जंगली जानवरों से भी ज़्यादा बर्बर बदतर और खतरनाक हैं जो 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों को जानवर कहते हैं लेकिन अपनी जंगली मानसिकता बर्बर धर्मान्धता और खतरनाक खूंखार प्रवृत्ति पर सेक्युलरिज्म का काला पर्दा डाले रहते हैं। मुनव्वर तुमको याद हो ना हो लेकिन हम 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों को खूब अच्छे से याद है कि गौ तस्करी की पुलिस हिस्ट्रीशीट वाला गौ तस्कर पहलू खान मारा जाए या जिसके घर के फ्रिज से भारी मात्रा में गाय के बछड़े का ताजा मांस बरामद हुआ था, वो बछड़ाचोर गौहत्यारा अख़लाक़ मारा जाए या फिर चोरी के दर्जनों केस में नामजदगी और गिरफ्तारी के आपराधिक इतिहास वाला तबरेज अंसारी एक अनजान गांव के अनजान घर में रात को 2 बजे घुसकर चोरी की कोशिश करते हुए रंगेहाथ पकड़ा जाए, गांव वालों द्वारा पीटा जाए और 4 दिन बाद मर जाए, तो उन मौतों के ग़म में तुम्हारी छाती इतना फटी थी कि तुमने न्यूजचैनलों पर लाइव मातम और एवार्ड वापसी का ड्रामा रचकर पूरे देश में असहिष्णुता फैल जाने का ढोल पीटा था। पूरे देश पर जी भर के कीचड़ जमकर उछाला था। लेकिन दिल्ली में 23/03/2016 को किसी चोर, बछड़ा चोर या गौ तस्कर के घर नहीं बल्कि डॉक्टर पंकज नारंग के घर में घुसकर बांग्लादेशी मुसलमान गुंडों ने डॉक्टर पंकज नारंग को केवल इसलिए चाकुओं और चापड़ों से काट डाला, क्योंकि वो बांग्लादेश की क्रिकेट टीम पर भारतीय क्रिकेट टीम की विजय का जश्न मना रहे थे तब उस हत्या पर तुम मुर्दों की तरह खामोश रहे। पहलू अख़लाक़ तबरेज की तरह चोर, गौतस्कर या बछड़ाचोर नहीं बल्कि पेशेवर फोटोग्राफर था...!!!
दिल्ली का अंकित सक्सेना लेकिन 01/01/2018 को दिल्ली में उसको उसके घर के सामने सड़क पर सरेशाम मुसलमान गुंडों ने इसलिए चाकुओं चापड़ों से काट कर मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि वो एक मुस्लिम युवती से विवाह करने जा रहा था। लेकिन इस घोर साम्प्रदायिक राक्षसी हत्याकांड पर भी तुम आजतक मुर्दों की तरह मौन हो मुनव्वर, अंकित के हत्यारों, उनकी धर्मान्ध कट्टर खूनी सोच के खिलाफ आजतक एक शब्द नहीं बोले हो। बिल्कुल ऐसे ही कारणों से उसी कट्टरपंथी हत्यारी धर्मान्धता की बर्बर शैली में 21/07/2018 को राजस्थान के बाड़मेर में खेताराम भील को जब बीच सड़क पर दिन दहाड़े घेर कर मौत के घाट उतारा गया तो तुम उसके खिलाफ भी आजतक नहीं बोले। उपरोक्त 3 हत्याओं का उल्लेख इसलिए क्योंकि इनकी देशव्यापी विशेष चर्चा कई दिनों तक हुई थी। वर्ना ऐसे हत्याकांडों की सूची तो बहुत लम्बी है। तुम्हारी घोर घटिया घृणित संवेदनहीन साम्प्रदायिकता के ज़हर से संक्रमित तुम्हारी मानसिकता को उजागर कर रहे उपरोक्त उदाहरण 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों के बजाय तुम्हें जानवर सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं। लेकिन देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता का, सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता का स्वघोषित ठेकेदार बने तुम जैसे लोगों के भीतर छुपे बैठे 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों के विरोधी धर्मान्ध जानवर का सच शत प्रतिशत उजागर होने में कोई कमी न रह जाए...!!!
इसलिए तुमको याद दिला दूं कि पहलू खान, अख़लाक़ और तबरेज सरीखे गौ तस्कर, बछड़ा चोर और हिस्ट्रीशीटर चोर की हत्याओं पर तो तुम हुड़दंग और हंगामा करते हो लेकिन 20 फरवरी 2015 को गौकशी के लिए ले जायी जा रही गायों से भरे अपने ट्रक से एक गौ तस्कर ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में जैत पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस के 2 जवानों तथा नागरिक सुरक्षा संगठन (होमगार्ड्स) के 2 जवानों को जब रौंद डाला था तब तुमने शातिर साम्प्रदायिक चुप्पी साध ली थी। उसी दिन ही उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के कोतवाली क्षेत्र में गौकशी के लिए ले जायी जा रहीं गायों से भरे अपने ट्रक से हत्यारे गौतस्कर ने हेड कांस्टेबिल घनश्याम तिवारी को रौंदकर नृशंसतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया था।लेकिन तुम तब भी मुर्दों की तरह मौन रहे थे. इन सभी नृशंस हत्याओं पर तुमने शायद इसलिए चुप्पी साध ली थी क्योंकि वो सभी जवान उन्हीं 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों में से एक थे जिन्हें तुम जानवर समझते हो और उन्हें अपने ट्रक से रौंदने वाला वो गौतस्कर उन्हीं 35 करोड़ में से एक था जिन्हें तुम इंसान समझते हो। यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं, पहलू खान सरीखे गौतस्करों द्वारा देश में मौत के घाट उतारे गए पुलिसकर्मियों की संख्या सवा सौ से अधिक है। लेकिन तुमने इन नृशंस हत्याओं के खिलाफ़ आजतक अपनी जुबान नहीं खोली है,मुनव्वर। इसीलिए तुम्हारे नाम लिखी गई अपनी इस चिट्ठी की शुरुआत ही मैंने यह लिखकर की है कि... 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों को जानवर घोषित करने से पहले अपने गिरेबान में तो झांक लेते मुनव्वर...!!!
दिल्ली का अंकित सक्सेना लेकिन 01/01/2018 को दिल्ली में उसको उसके घर के सामने सड़क पर सरेशाम मुसलमान गुंडों ने इसलिए चाकुओं चापड़ों से काट कर मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि वो एक मुस्लिम युवती से विवाह करने जा रहा था। लेकिन इस घोर साम्प्रदायिक राक्षसी हत्याकांड पर भी तुम आजतक मुर्दों की तरह मौन हो मुनव्वर, अंकित के हत्यारों, उनकी धर्मान्ध कट्टर खूनी सोच के खिलाफ आजतक एक शब्द नहीं बोले हो। बिल्कुल ऐसे ही कारणों से उसी कट्टरपंथी हत्यारी धर्मान्धता की बर्बर शैली में 21/07/2018 को राजस्थान के बाड़मेर में खेताराम भील को जब बीच सड़क पर दिन दहाड़े घेर कर मौत के घाट उतारा गया तो तुम उसके खिलाफ भी आजतक नहीं बोले। उपरोक्त 3 हत्याओं का उल्लेख इसलिए क्योंकि इनकी देशव्यापी विशेष चर्चा कई दिनों तक हुई थी। वर्ना ऐसे हत्याकांडों की सूची तो बहुत लम्बी है। तुम्हारी घोर घटिया घृणित संवेदनहीन साम्प्रदायिकता के ज़हर से संक्रमित तुम्हारी मानसिकता को उजागर कर रहे उपरोक्त उदाहरण 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों के बजाय तुम्हें जानवर सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं। लेकिन देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता का, सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता का स्वघोषित ठेकेदार बने तुम जैसे लोगों के भीतर छुपे बैठे 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों के विरोधी धर्मान्ध जानवर का सच शत प्रतिशत उजागर होने में कोई कमी न रह जाए...!!!
इसलिए तुमको याद दिला दूं कि पहलू खान, अख़लाक़ और तबरेज सरीखे गौ तस्कर, बछड़ा चोर और हिस्ट्रीशीटर चोर की हत्याओं पर तो तुम हुड़दंग और हंगामा करते हो लेकिन 20 फरवरी 2015 को गौकशी के लिए ले जायी जा रही गायों से भरे अपने ट्रक से एक गौ तस्कर ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में जैत पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस के 2 जवानों तथा नागरिक सुरक्षा संगठन (होमगार्ड्स) के 2 जवानों को जब रौंद डाला था तब तुमने शातिर साम्प्रदायिक चुप्पी साध ली थी। उसी दिन ही उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के कोतवाली क्षेत्र में गौकशी के लिए ले जायी जा रहीं गायों से भरे अपने ट्रक से हत्यारे गौतस्कर ने हेड कांस्टेबिल घनश्याम तिवारी को रौंदकर नृशंसतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया था।लेकिन तुम तब भी मुर्दों की तरह मौन रहे थे. इन सभी नृशंस हत्याओं पर तुमने शायद इसलिए चुप्पी साध ली थी क्योंकि वो सभी जवान उन्हीं 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों में से एक थे जिन्हें तुम जानवर समझते हो और उन्हें अपने ट्रक से रौंदने वाला वो गौतस्कर उन्हीं 35 करोड़ में से एक था जिन्हें तुम इंसान समझते हो। यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं, पहलू खान सरीखे गौतस्करों द्वारा देश में मौत के घाट उतारे गए पुलिसकर्मियों की संख्या सवा सौ से अधिक है। लेकिन तुमने इन नृशंस हत्याओं के खिलाफ़ आजतक अपनी जुबान नहीं खोली है,मुनव्वर। इसीलिए तुम्हारे नाम लिखी गई अपनी इस चिट्ठी की शुरुआत ही मैंने यह लिखकर की है कि... 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों को जानवर घोषित करने से पहले अपने गिरेबान में तो झांक लेते मुनव्वर...!!!
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