प्रवासी मजदूरों की बेबशी है या घर जाने का उनका जूनून...!!!
सतीश मिश्र की प्रस्तुति :-
ज्यादा सैलरी पर भी काम करने को नहीं तैयार हैं प्रवासी मजदूर...!!!भूख से मरे जा रहे, तड़पे जा रहे, बिलखे जा रहे, बिलबिलाए जा रहे महा बेचारे, महा दुखियारे मजदूर इतने समझदार हैं कि उन बेचारों ने उस महाराष्ट्र और राजस्थान में एक कंकड़ तक किसी पर नहीं फेंका जहां भोजन के एक-एक दाने के लिए बुरी तरह तरसाए गए। फिर खदेड़े गए। लेकिन वही मजदूर उस यूपी में, बिहार में, गुजरात में और हरियाणा में जमकर पत्थरबाजी कर रहे हैं, हिंसा का नंगा नाच कर रहे हैं जिस यूपी, बिहार, गुजरात की सरकारें गले तक ठूंस-ठूंस कर भोजन करा रहीं है, टेस्ट, इलाज, क्वारंटाइन की मुफ्त व्यवस्था करा रही है।जबकि महाराष्ट्र राजस्थान में इनकी ना जांच हुई ना ईलाज हुआ। पर पत्थर ये यूपी बिहार गुजरात में बरसा रहे हैं। भूख से मरे जा रहे, तड़पे जा रहे, बिलखे जा रहे, बिलबिलाए जा रहे महाबेचारे, महादुखियारे इन समझदार पत्थरबाज मजदूरों का कोई वीडियो जब भी दिखे तो ध्यान से देखियेगा। थोड़ा ध्यान देंगे तो आप कपड़ों से तुरन्त पहचान जाएंगे कि ये बहुत समझदार मजदूर शांतिभूत समाज के ही हैं। उदाहरण के लिए एक वीडियो कमेंट में दे रहा हूं, जिसमें रेलवे स्टेशन में दुकानों की लूटपाट करते, उन पर डकैती डालते दिख रहे ये बिचारे गरीब मजदूर अपने कपड़ों से तत्काल पहचाने जा रहे हैं।
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