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रविवार, 10 मई 2020

अग्निहोत्र से शरीर ही नहीं, मन का भी होता है उपचार

यज्ञ भारतीय दर्शन का ईष्ट आराध्य...!!!
अग्निहोत्र हवन अलग-अलग रहते हुए अपने-अपने घरों से एक समय एक साथ करने से वह सामूहिक ही बन जाएगा। लिहाजा प्रातः 8 बजे अग्निहोत्र हवन का समय रखना सर्वथा उचित होगा...!!!
एक निश्चित समय में हवन करने से सम्पूर्ण आकाश मण्डल पर अद्भुत प्रार्थना हवन के माध्यम से देवलोक में जायेगी और निश्चित ही परमपिता परमेश्वर हम सभी कि प्रार्थना स्वीकार करेंगे-श्याम लाल खंडेलवाल "श्याम बाबू"...!!! 
श्याम लाल खंडेलवाल "श्याम बाबू" एक यजमान...
वैज्ञानिक तथ्यानुसार जहाँ हवन होता है, उस स्थान के आस-पास रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु शीघ्र नष्ट हो जाते है। मानव जीवन में यज्ञ और हवन का बहुत महत्व बताया गया है। यज्ञ हवन से देवी देवताओं की पूजा अर्चना ही नहीं बल्कि हवन यज्ञ से प्रदूषित वातावरण को भी शुद्ध किया जाता। "वैदिक काल" से ही हमारी पावन भूमि भारतवर्ष में अनुष्ठान एवं यज्ञ कर्म किए जाते रहे हैं। यह हम सभी भली भाँति जानते हैं कि यज्ञो से आध्यात्मिक लाभ होता रहा है इससे वैज्ञानिक स्तर पर भी अनेकानेक लाभ बताए गए हैं। आज हम सभी इस वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की चपेट में फंसे हुए हैं और इससे उबरने के लिए विश्व की सभी सर्व शक्तिमान शक्तियाँ अपने-अपने संसाधनों से दिन रात्रि एक की हुई हैं। फिर भी कोई भी मार्ग अभी तक कोरोना संक्रमण से प्रशस्त नहीं हो सका है। अमेरिका जैसा शक्तिमान देश अपने नागरिकों की जान बचने में असमर्थ नजर आ रहा है। इटली जैसे सम्पन्न देश का प्रधानमंत्री फूट फूटकर रोते हुए ये कहने के लिए विवश हुआ कि अब हम कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं। अब भगवन ही कुछ कर सकते हैं। इस भावना को देखकर श्याम लाल खंडेलवाल "श्याम बाबू" धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में एक यजमान के तौर पर उन्हें काफी अनुभव हैं और वो समय-समय पर यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठान कराते रहते हैं। श्याम बाबू जी का कहना है कि धार्मिक अनुष्ठान कराने मात्र से बड़ी से बड़ी समस्या का हल हो जाता है। इसलिए मनुष्य को धर्म कार्य करते रहना चाहिए। इसकी प्रेरणा  उन्हें उनकी धर्म पत्नी स्नेहलता जी से मिली, जो आज इस मृत्युलोक से गोलोक वासी हो चुकी हैं
भारत में स्वास्थ्य महकमें की दशा विकसित और सम्पन्न देशों की तुलना में बहुत ही कमजोर और काम चलाऊ है परन्तु भारत के नागरिकों में इम्युनिटी पॉवर अन्य देशों के नागरिकों की अपेक्षा बहुत अधिक है।इसलिए हमारे देश में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी तक अन्य सम्पन्न और विकसित देशों की तुलना में बेहतर है हिंदुस्तान में धरती के भगवान की उपाधि प्राप्त हमारे देवदूत सरीखे चिकित्सक व उनके सहयोगी तथा प्रशासनिक कर्मी व समाजिक सेवा से जुड़े लोग जिस तन्मयता से दिनरात लोगों को सेवा प्रदान कर रहे हैं वह स्वयं में अद्वितीय व वंदनीय कार्य है। भारत सरकार के समस्त मंत्रीगण तथा सांसदों एवं राज्य सरकार में समस्त मंत्रीगण एवं विधायकों का भी कार्य अति उत्साहपूर्ण है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी तथा सूबे के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ जी का कार्य आम जनमास के लिये एक पिता की भाँति है समस्त राज्य व देश की जनता को परिवार के रूप में देखना तथा पिता की तरह इनकी प्रत्येक समस्याओं का निस्तारण करना व उदर पोषण के लिये संसाधनों का उपयुक्त व्यवस्था प्रदान करना, स्वयं में बहुत ही भावपूर्ण एवं वंदनीय है। इसी क्रम में हम देशवासियों का भी दायित्व बनता है कि हम सब “वसुधैव कुटुम्बकम’’ की भावना रखते हुये, सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥ देशहित में एकजुट होकर कार्य करें
लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी एवं पुरोहित पंडित वृद्धि चंद मिश्र जी...
जन कल्याण हेतु हम सभी अपने-अपने घरों से सामाजिक दूरी बनाते हुये, समाज में सामूहिक रूप से एक तरह का धार्मिक सहयोग प्रदान करें। आर्थिक तथा मानसिक रूप से हमारे समाज का हर व्यक्ति परेशान है। साथ ही कहीं न कहीं हम सभी अपने वेदों में सुझाए गए कथनों को भूल रहे हैं। इस समय हमें "यज्ञ का मार्ग" अपनाना उचित है। यज्ञ के धुंए से विषाणु नष्ट हो जाते हैं। क्योंकि वातावरण में विषाणु होते हैं और यह बात सिद्ध है कि यज्ञ से ही वातावरण शुद्ध होता है। क्यों न हम सब इस बिपत्तिकाल में अपने-अपने घरों में बैठकर, सामाजिक दूरी का पालन करते हुए तथा बिना किसी पुरोहित के यज्ञ का अनुष्ठान स्वयं करने की प्रवित्ति अपने जीवन में डालें ? ज्योतिष के जानकार और लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी एवं हमारे परम श्रध्देय पुरोहित पंडित वृद्धिचंद मिश्र जी की युक्ति अनुसार इस कोरोना संक्रमण काल में भी अपने घरों से बिना किसी पुरोहित को बुलाये ही 'अग्निहोत्र' यज्ञ किया जा सकता है। यह यज्ञ बहुत ही सहज और सरल है यह हमारे लिए कोरोना महामारी की काट बन सकता है। हमारे ज्योतिषयों ने इस बात की चेतावनी पहले ही दी थी कि यह संवत् देश - दुनिया के लिए बुरा साबित हो सकता है। अतएवं यज्ञ की हवन करना सफल और कारगर उपाय है।
इस 'अग्निहोत्र' हवन की सामग्री निम्नलिखित है- चन्दन तथा देवदार की लकड़ी का बुरादा, अगर और तगर की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े, कपूर-कचरी, गुगुल, नागर मोथा, बलछार, जटामासी, सुगन्ध बाला, लौंग, इलायची, दालचीनी, जायफल, हौबेर, नीम पत्ती या नीम की छाल, तुलसी, गिलोय, कालमेघ, भुईं आमला, जावित्री, आज्ञाघास, कड़वी बच्छ, नागर मोथा, कपूर, कपूर तुलसी, देवदार, शीतल चीनी, सफेद व लाल चंदन, दारूहल्दी एवम् गौ घृत सम मात्रा में लेकर। आजकल हवन सामग्री एक कच्चे पाउडर के रूप में बाजार में आसानी से उपलब्ध है, जो निम्न पदार्थों से निर्मित की जाती है- शाकल्य (हवन सामग्री) शक्कर, सूखे अंगूर, शहद, छुआरा आदि भी यज्ञ के समय प्रयोग होते हैं। आजकल विभिन्न संस्थान हवन सामग्री निर्मित कर रहे हैं, जिनमें ये सभी पदार्थ एक अलग अनुपात में होते हैं। उपरोक्त सूची में से अधिकतम सामग्री आसानी से उपलब्ध है, जिसका औषधियुक्त हवन सामग्री बनाने में उपयोग किया जा सकता है।
गायत्री मंत्र  एवं महामृत्युंजय मंत्र के साथ ये हवन किया जाए तो किसी भी संकट अथवा महामारी से बचा जा सकता है। सर्व समाज के सभी बंधुओं से निवेदन है कि इस 'अग्निहोत्र' हवन को ईश्वर का ध्यान करते हुए नित्य रूप से किया जाए। इस बुरे समय में हमें आशा का त्याग नहीं करना चाहिए बल्कि एक साथ वैचारिक रूप से संकल्पित होकर इस महामारी को जड़ से समाप्त करने के लिए 'अग्निहोत्र' हवन करने की जरूरत है। इस हवन के माध्यम से हम सभी को एक दूसरे का साथ मिलेगा तथा इस कोरोना महामारी के चपेट से हम निश्चित ही निकल पाएंगे और अपने जीवन को एक बार फिर खुशहाली के से साथ फिर से नई शुरुआत करेंगे। आप सभी के सहयोग की आशा से मैं आप सभी को यह संदेश भेजा है। कृपया इस संदेश को अपने सभी बंधुओ तक पहुंचाएं ताकि यह यज्ञ सफलता का सोपान प्राप्त कर सके इस 'अग्निहोत्र' हवन को भले ही हम लोग अलग-अलग अपने-अपने घरों से करेंगे परन्तु वायुमंडल में जाकर सब एक होकर सभी संकट से मुक्ति दिलाने में सार्थक होगा अतः इस 'अग्निहोत्र' हवन को हम सब एक बड़े पैमाने में करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपना सहयोग दें ताकि कोरोना महामारी का सफाया हो सके

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