चीन का लगभग 58 वर्ष लम्बा पिछला इतिहास तो यही संदेश दे रहा है कि नकली माल की शत प्रतिशत असली दुकान है चीन, उस दुकान के माल में हिम्मत हौंसला और तेवर भी शामिल हैं...!!!
➤सतीश मिश्र -
पिछले कुछ दिनों से सीमा के उस पार, चीनी भेड़िया अपनी जमीन पर गुर्रा रहा है, आंखें लाल कर रहा है। जोर जोर से अपने कानों को फड़फड़ा रहा है और अपनी दुम बारबार ऐंठ रहा है। उसकी उस अदा पर अपनी सीमा के भीतर बैठे लुटियनिया नस्ल के सियार खुशी से झूम झूमकर हुआ हुआ कर रहे हैं। भेड़िये की ताकत और तेवरों के गीत गा रहे हैं। देश की सरकार और नागरिकों को डरा रहे हैं। लेकिन लुटियनिया नस्ल के सियार यह नहीं बता रहे हैं कि समुचित हथियार तो छोड़िए, ढंग के जूते मोजों तक से वंचित रहे भारतीय सैनिकों पर 1962 में धोखे से आक्रमण कर भारतीय जमीन कब्जाने के बाद इसी चीनी भेड़िये ने 1967 में दोबारा जब ऐसी कोशिश की थी तो वो भारतीय सेना द्वारा बहुत बुरी तरह जुतियाया गया था और मैदान छोड़ कर भाग खड़ा हुआ था।
वर्षों तक अमेरिका के साथ युद्ध में जूझने के कारण बुरी तरह बदहाल बरबाद हुए वियतनाम को आसान शिकार समझ कर 1979 में यही चीनी भेड़िया उसपर टूट पड़ा था, लेकिन उस अस्त व्यस्त छोटे से देश वियतनाम ने भी चीनी भेड़िये को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया था कि दुनिया ने दांतों तले उंगली दबा ली थी। चीनी भेड़िये को वियतनाम की युद्धभूमि से सिर पर पैर रखकर वापस भागना पड़ा था। कुछ वर्ष पूर्व जापान को धमकाने की चीनी भेड़िये की कोशिश के जवाब में जब जापान ने अपनी नौसेना समुद्र की लहरों पर उतार दी थी तो चीनी भेड़िया चुपचाप अपनी मांद में वापस चला गया था। फिलीपींस सरीखा छोटा सा देश भी खुलकर चीनी भेड़िये को जब तब उसकी औकात बताता रहता है।
" वर्तमान में भारत की सीमा के उस पार अपनी भूमि पर चीनी भेड़िये की नौटंकी अपने बगलबच्चे/चमचे पाकिस्तान की मदद के लिए है, ताकि कश्मीर सीमा पर चल रहे भारतीय सेना के अभियान और आगे की महत्वपूर्ण निर्णायक योजना पर विघ्न डालकर पाकिस्तान की मदद की जाए, उसे राहत पहुंचायी जाए। लेकिन निश्चिंत रहिए कि भारतीय सीमा पर चीन की यह नौटंकी उसी तरह की भागदौड़ सिद्ध होगी, जिस तरह जंगल का राजा बनाये जाने के बाद बन्दर ने लोमड़ी के बच्चे की जान बचाने के लिए शेर से लड़ने के बजाय सैकड़ों पेड़ों पर लगातार चढ़ने उतरने के बाद पसीने से तरबतर होकर हांफते कांपते हुए लोमड़ी से कहा था कि तुम्हारे बच्चे की जान बचे या ना बचे इसका जिम्मेदार में नहीं, हां मेरी भागदौड़ में कोई कमी रही हो तो बताओ...!!! "
दुनिया के किसी भी कोने में होनेवाली कोई भी सामरिक हलचल से चीनी भेड़िया खुद को कोसों दूर रखता है। फिर चाहे 1991 का, उसके बाद का खाड़ी युद्ध हो या वर्तमान पश्चिमी एशियाई युद्ध हो या अफगानिस्तान में सोवियत अतिक्रमण घुसपैठ हो या तत्पश्चात अफगानिस्तान पाकिस्तान में वर्षों से जारी अमेरिकी सैन्य अभियान। इन सब घटनाक्रमों पर चीनी भेड़िया मुरदों की तरह मौन साधे रहा है। केवल नपीतुली टिप्पणी की औपचारिकता तक खुद को सीमित रखता रहा है। दरअसल दुनिया मे चीनी भेड़िये की उपस्थिति उस गुंडे की है जो शरीफों को डराता धमकाता है। लेकिन अगर कोई उसके जवाब में पलट कर खड़ा हो जाता है तो चीन उसको छोड़कर आगे बढ़ जाता है।
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