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रविवार, 23 जून 2019

प्रतापगढ़ के रामलीला मैदान में दर्जनों मृत गौ वंश के शरीर को नोच खा रहे हैं,कुत्ते,सुअर,चील और कौएं

ब्यवस्था में बैठे धृतराष्ट्रों को सच स्वीकार करने के लिए महाभारत वाले संजय की दिब्य दृष्टि चाहिये,अब वो दिब्य दृष्टि कहाँ से लाऊँ...???
कहते हैं,आईना कभी झूठ नहीं बोलता !परन्तु सिस्टम में बैठे हुक्मरानों को अब आईने पर भी एतबार नहीं रह गया...!!!
सिस्टम में बैठे हुक्मरानों को अपनी कमी पचाने एवं छिपाने के लिए उन्हें बड़ी से बड़ी झूठ बोलना हो तो वो बिना हिचकिचाहट के बोल जायेंगे और अपने दामन पर लगे कीचड़ को दूसरे के चेहरे पर पोतने का करते हैं, भरपूर प्रयास...!!!

 प्रतापगढ़ के रामलीला मैदान में गौ वंश का कब्रिस्तान...
योगीराज में गौ वंश की रक्षा के लिए लोंगो में धारणा व विश्वास था,परन्तु वो विश्वास विखंडित होता दिख रहा है। वर्ष-2017 में जब सूबे में विधानसभा चुनाव हो रहा था तो भाजपा ने बिना मुख्यमंत्री के चेहरे को आगे किये ही PM मोदी के नाम पर सूबे में भाजपा को प्रचंड महुमत मिला। भाजपा ने सर्वसम्मति से हिंदुत्व और गौ वंश के चेहरे के रूप में गोरखपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी के हाथों,सूबे की बागडौर सौंप दी ! योगी जी कमान सम्भालते ही सबसे पहले गौ वंश की रक्षा के लिए अवैध रूप से संचालित सभी स्लाटर हाउसों पर ताला जड़वाकर सीज करवा दिया ! योगी जी भी उस वक्त ये अंदाजा नहीं लगा सके थे कि अवैध स्लाटर हाउस के बंद होते ही गौ वंश की ये दशा होगी ? आवारा पशुओं से किसानों की फसलों को बहुत नुकसान भी हुए। लोकसभा चुनाव में इसका खतरा भाजपा को गाहे बगाहे सता रहा था,परन्तु लोकसभा चुनाव तो मुद्दा बिहीन सिर्फ राष्ट्रवाद और मोदी के नाम पर खत्म हो गया।
लोकसभा चुनाव से पहले भी योगी सरकार ब्लाकवार और नगर निगम/नगर पालिका एवं नगर पंचायतों में गौ शालाओं के लिए जगह की तलाश योगी जी ने अपने नौकरशाहों से चिन्हित कराकर गौ वंश को वहां संरक्षित और सुरक्षित रखने की पहल तो की,परंतु बात इतने से बनने वाली नहीं है। यक्ष प्रश्न ये कि गौ शालाओं में किस बजट से चारे पानी की ब्यवस्था होगी ? जिसके लिए योगी सरकार गौ शालाओं पर खर्च हेतु लोकसभा चुनाव सम्पन्न होते ही विधानमंडल सत्र में भारी हंगामे के बीच 34833.24 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश कर दिया ! इतना सबके होते हुए भी प्रतापगढ़ नगरपालिका क्षेत्र चौक से महज चंद कदम दूर रामलीला मैदान है जो इस समय गौ वंश का कब्रिस्तान बन चुका है। वैसे राम लीला मैदान के बीचोंबीच रेलवे ट्रैक बना है और उस ट्रैक को पार करने के लिए रेलवे ने अंडर पास बनाया है। यह रामलीला मैदान मूल रूप से रक्षा विभाग यानि सेना की भूमि है, जिसे रामलीला करने हेतु रक्षा विभाग से रामलीला कमेटी को लीज पर दिया गया है और उसकी देखरेख के लिए रामलीला कमेटी को दायित्व मिला है,परन्तु वर्तमान के हालात ये हो चुके हैं कि रामलीला कमेटी, रामलीला का आयोजन कर उससे मुंह मोड़ लेती है। यही नहीं सेना की तरफ से भी बेल्हाघाट कैम्पिंग ग्राउंड रामलीला मैदान की भूमि की रक्षा के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इलाहाबाद सर्किल से पहले सेना के जवान साल,दो साल में आते थे तो रामलीला मैदान में हुए अतिक्रमण को हटवाकर साफ सफाई करवाकर जनता में एक सन्देश दे देते थे कि रामलीला मैदान पर किसी तरह का अतिक्रमण सेना कभी बर्दास्त नहीं करेगी ! परन्तु अब तो सेना भी जैसे अपनी बेल्हाघाट की कैम्पिंग ग्राउंड को भूल गई है। कैम्पिंग ग्राउंड पर चारों तरफ से अतिक्रमण ही अतिक्रमण हो चुका है। गलियों में कबाड़ बिनने वाले कुछ लोग तम्बू में अपने परिवार के साथ रामलीला मैदान में कई साल से ठहरे हुए हैं। जल निगम ने दशकों पूर्व सीवरेज की सैकड़ों पाइपों को रेल लाइन के किनारे से लगाकर रामलीला मैदान के बीचोंबीच तक उसे कूड़े की तरह फेंक दिया है। स्थिति ये हो गई है कि उस जगह पर जंगली बिलायती बबूल उग आये हैं। खुलासा डॉट कॉम की टीम को जो नजारा दिखा वह अति पीड़ा दायक रहा। रामलीला मैदान में दर्जनों गौ वंश की मृत शरीर पड़ी थी जिसे कुत्ते और सुअर अपना निवाला बना रहे थे। बगल में बच्चे खेलते नजर आये। उसी के बगल से अचलपुर और पटखौली वार्ड जाने का रास्ता भी है। आने-जाने वाले तो नाक दबाकर किसी तरह आते-जाते हैं ! समाज के ऐसे भी लोग देखे गए जो खुले में लोटा लेकर शौंच के लिए उसका प्रयोग करते हैं। नगरपलिका सिर्फ रामलीला हेतु दहशरा पर काम चलाऊ साफ सफाई कराकर वो भी रामलीला मैदान से अपना मुंह मोड़ लेती है। सवाल उठता है कि सरकारी भूमि, वो भी सेना की, बावजूद इसके उस भूमि का ये हश्र ?
हिंदुत्व और गौ वंश की रक्षक के नाम से उत्तर प्रदेश में बनने वाली योगी सरकार से लोंगो को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि योगीराज में गौ वंश की मौतें चारे पानी के अभाव में थोक रेट से तड़प-तड़प कर होंगी और मौत के बाद उनकी शरीर को कुत्ते और सुअर सहित अन्य पशु पक्षी नोचेंगे ? क्या योगी सरकार इसका संज्ञान लेगी ? क्योंकि नगरपालिका प्रशासन से लेकर उत्तर प्रदेश सहित केंद्र में भाजपा की सरकार है,फिर भी गौ वंश की ये दशा ! डूब मरना चाहिए ब्यवस्था में बैठे सभी जिम्मेदारों को ! गौ वंश और भारत स्वच्छता के नाम पर अरबों-खरबों का बजट केंद्र की मोदी सरकार से लेकर सूबे की योगी सरकार खर्च कर रही है,फिर भी स्थिति बद से बद्तर नजर आ रही है। प्रतापगढ़ में नगरपालिका के चेयरपर्सन की कुर्सी पर 20 वर्षों से भाजपा नेता हरि प्रताप सिंह का कब्जा रहा और वर्तमान में उनकी पत्नी प्रेम लता सिंह नगर पालिका प्रतापगढ़ की चेयरपर्सन हैं। वो भी सिर्फ झाडू पकड़ कर फोटो खिंचवाने तक ही अपनी जिम्मेवारियों का मतलब रखती हैं। रामलीला मैदान से उनका घर महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है,परन्तु वो और उनके पति हरि प्रताप सिंह दशहरा पर रावण दहन पर ही रामलीला मैदान जाते हैं। जिस जगह गौ वंश के मृत शरीर को फेंका गया है वो किसी खुले कब्रिस्तान से कम नहीं ! अभी पूरे जगत में बिहार के मुज्जफरपुर में संक्रामक बीमारियों से लगभग 200 बच्चों की मौत से देश की नाक कट गई ! स्वास्थ्य व्यवस्था का सच सबके सामने है। सिस्टम में बैठे हुक्मरानों को जवाब ढूढ़े नहीं मिल रहा। फिर भी व्यवस्था में बैठे जिमेदार लोग सबक नहीं ले रहे हैं और बरसात होने का इंतजार कर रहे हैं। ताकि प्रतापगढ़ में भी संक्रामक बीमारी से सैकड़ो लोग मर सके ! ताकि राजनैतिक लोग विधवा विलाप कर सकें। क्योंकि सिस्टम में बैठे यही हुक्मरान तब बयान देंगे कि संक्रामक बीमारी तो गन्दगी और कुपोषण से पैदा होती हैं !

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