टिट फार टैट के फार्मूले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी...!!!
प्रधानमंत्री का पद दोबारा सम्भालने के पूर्व नरेन्द्र मोदी ने देवाधिदेव महादेव काशी विश्वनाथ के दरबार में जाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया। गुरुवयूर देवस्थान में विधि विधान के साथ पूजन के पश्चात अपनी प्रथम विदेश यात्रा प्रारम्भ की और यात्रा का समापन तिरुपति देवस्थान में पूर्ण विधि विधान के साथ पूजन करके किया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज से पहले देश के प्रधानमंत्री के पद पर इतना धर्मनिष्ठ शासक कब बैठा था...? आजकल हिंदुत्व का लट्ठ भांजते हुए नरेन्द्र मोदी को हिंदुत्व का पाठ पढ़ाने की जानलेवा कोशिशों में लस्त पस्त व्यस्त हिन्दूवादी लठैत कृपया उपरोक्त प्रश्न का उत्तर अवश्य दें। अब बात मुद्दे की हो जाए। बाटला हाऊस एनकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहनचन्द्र शर्मा की शहादत के बावजूद दिग्विजय सिंह उस एनकाउंटर को फर्ज़ी और आतंकवादियों को निर्दोष बताता रहा। 26/11 हमले में पकड़े गए कसाब के बयानों के बावजूद दिग्विजय सिंह और महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार का गृह राज्यमंत्री उस हमले को RSS की साज़िश बताता रहा।
मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान जाकर मोदी को PM की कुर्सी से हटाने की मदद पाकिस्तान से खुलेआम मांगता रहा। सलमान खुर्शीद लाहौर जाकर सेमिनार में सार्वजनिक रूप से नवाज़ शरीफ़ को साधु और नरेन्द्र मोदी को शैतान सिद्ध करने की कोशिशें करता रहा। लेकिन हर बार कांग्रेस ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि हमारा इन बयानों से कोई लेनादेना नहीं है, हम ऐसे बयानों की निंदा करते हैं। दरअसल कांग्रेस जानती थी कि उसे जो सन्देश जिनको देना है, उनतक वो सन्देश दिग्विजय सलमान और मणिशंकर ने पहुंचा दिया है। अतः खंडन निंदा की औपचारिकता से उनपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। साध्वी प्रज्ञा, गिरिराज सिंह, भोला सिंह और साक्षी महाराज के माध्यम से अब कांग्रेस को उसकी वही दवा पिलाई जा रही है। इसलिए खंडन निंदा की औपचारिकता पर हंगामा हुड़दंग करने के बजाय राजनीति के इस रोचक दौर का आनंद लीजिए। विशेषकर हिन्दू धर्म की लाठी लेकर बौराए बौराए घूम रहे हिंदूवादी लठैत भी "ठंड रखें ठंड" और आनंद लें इस दौर का। उनकी भस्मासुरी भावभंगिमाओं और तेवरों का ताण्डव देश धर्म समाज के लिए ना सुखकारी है ना हितकारी है।
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