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शनिवार, 8 जून 2019

असली अपराधी तो दिल्ली और बम्बई में बैठे हैं...

इस तरह की दरिंदगी का दानवी रूप समाज को कब तक डसेगा...???
कठुआ की आसिफा हो या अलीगढ़ की ट्विंकल। दोनों अबोध मासूम बच्चियों के साथ जो और जैसी दरिंदगी हुई वो मानवता को थर्रा देनेवाली है। संतोष इसबात का है कि ट्विंकल के गुनाहगार दरिंदे पुलिस की गिरफ्त में हैं और यह भी तय है कि अबोध ट्विंकल की आत्मा को न्याय मिलेगा। लेकिन कठुआ की अबोध आसिफ़ा को शायद अब कभी न्याय नहीं मिलेगा क्योंकि उसकी हत्या के आरोप में जिन लोगों को पकड़ा गया था उनको रिहा होना हैं। उन्हें रिहा होना भी था। सार्वजनिक स्थानों पर लगे एक के बजाय 3-3 CCTV कैमरे जब यह गवाही दे रहे थे कि जिन को हत्या के आरोप में पकड़ा गया था वो घटना वाले दिन कठुआ से 500 किलोमीटर दूर मेरठ में थे। अतः दुनिया की किसी भी अदालत में उनपर लगे आरोपों की धज्जियां उड़नी हीं थीं। यही कारण है कि उनलोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ जम्मू की सड़कों पर हफ्तों तक जनसैलाब उमड़ता रहा था। लेकिन उस समय दिल्ली में बैठे राजनीति और मीडिया के कुछ दलालों तथा बम्बईया फिल्मी भांडों ने अपने राजनीतिक आकाओं का उल्लू सीधा करने के लिए उस जनाक्रोश को, आसिफा की हत्या को हिन्दू धर्म, हिन्दुओं के खिलाफ हमले का घृणित हथियार बना डाला था।
याद करिये कि उस समय हिन्दू धर्म और मंदिरों के खिलाफ कितने अश्लील अराजक भड़काऊ बयान दिए जा रहे थे। न्यायालय में तथ्यों साक्ष्यों के साथ शत प्रतिशत नग्न हुई भ्रष्ट पुलिसिया कार्रवाई के समर्थन में दिल्ली में बैठे राजनीति और मीडिया के कुछ दलालों तथा बम्बईया फिल्मी भांडों ने उस समय जमकर ताण्डव किया था। जबकि आरोपियों की गिरफ्तारी के केवल 2-3 दिन बाद ही मेरठ के CCTV कैमरों की सच्चाई उजागर हो चुकी थी और कुत्सित कुटिल धूर्त पुलिस कार्रवाई की धज्जियां उड़ा रही थी। लेकिन दिल्ली में बैठे राजनीति और मीडिया के कुछ दलालों तथा बम्बईया फिल्मी भांडों का उद्देश्य क्योंकि आसिफ़ा के हत्यारों को दंडित कराने के बजाय हिन्दू धर्म, हिन्दू धर्मस्थलों और हिन्दुओं पर कीचड़ उछालना, उन्हें कलंकित अपमानित करना था।
अतः दिल्ली वाले दलालों और बम्बईया फिल्मी भांड़ों का गैंग उन सारी सच्चाईयों साक्ष्यों को झुठला कर हिन्दू द्रोही अभियान में जुटा रहा था। उनके इस हिन्दू द्रोही कुकर्म के परिणामस्वरूप आसिफ़ा का वास्तविक हत्यारा साफ बच गया। जबकि उस दौरान उभर कर सामने आए परिस्थितिजन्य अनेक ठोस साक्ष्य और तथ्य चीख चीखकर आसिफा के एक करीबी रिश्तेदार की तरफ उंगली उठा रहे थे। लेकिन आसिफा का वो करीबी रिश्तेदार क्योंकि मुसलमान था। उसकी गिरफ्तारी से दिल्ली वाले सियासी मीडियाई दलालों और बम्बईया फिल्मी भांड़ों के आकाओं को कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलता। इसलिये उन्होंने उस सच को लगातार अनदेखा किया, पूरी ताकत से झुठलाया। नतीजा आज सामने है। निर्दोष रिहा होनेवाले हैं। आसिफा का वास्तविक हत्यारा नराधम बेखौफ होकर खुला घूम रहा है और अबोध आसिफा की आत्मा न्याय के लिए भटक रही है, तड़प रही है। इसका मुख्य अपराधी दिल्ली वाले सियासी मीडियाई दलालों तथा बम्बईया फिल्मी भांड़ों का गैंग और उसके राजनीतिक आका हैं।

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