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शनिवार, 6 अप्रैल 2019

चुनावी प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता

मतदाताओं में उम्मीदवारों के प्रति खत्म हो जायेगा, उहापोह...!!!
अपने भावी सांसद को चुनने में मतदाताओं को होगी,सरलता...!!!
नई दिल्ली। वन नेशन वन इलेक्शन से पहले आवश्यक है कि देश में निर्वाचन प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अधिसूचना जारी होने के बाद राजनीतिक दलों द्वारा कोई उम्मीदवार न घोषित कर सके। यानि राजनीतिक दलों पर एक तरह का प्रतिबंध होगा कि वह दल बदल कानून के फंदे में होगा जिस तरह चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक पार्टियां अपने जीते हुए उम्मीदवार पर पार्टी व्हिप जारी कर उसे टूटने और क्रॉस वोटिंग करने से रोकने के लिए उसे किसी रेस्तरां और होटलों में रोका जाता है। ठीक उसी तरह देश में विधानसभा अथवा लोकसभा निर्वाचन की अधिसूचना के बाद जब कोई राजनीतिक दल उम्मीदवार घोषित न कर सकेगा तो देश में बहुत बड़ा सुधार होगा। राजनीतिक दलों में भी सुचिता और पारदर्शिता देखने को मिलेगी। ऐसा करने से राजनीतिक दलों में चुनाव की सधिसूचना के बाद इस दल से उस दल में नहीं जा सकेंगे और न ही वो उम्मीदवार हो सकेंगे।
अधिसूचना जारी होने के पहले सभी राजनीतिक दलों को मजबूर होकर अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर देने होंगे। 25दिन अधिसूचना जारी करने के बाद भी राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवार ही घोषित न कर सके हैं जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि राजनीतिक दलों द्वारा आजकल उम्मीदवार उतारे नहीं थोपे जा रहे हैं। मतदाताओं के ऊपर थोपा गया वो उम्मीदवार अपने संसदीय क्षेत्र में एक चक्कर घूम भी नहीं सकता। 10दिन में चुनाव जीतने वाले पार्टियों के थोपे गए उम्मीदवारों के पास अपनी संसदीय क्षेत्र का न तो भौगोलिक ज्ञान हो पाता और न ऐतिहासिक। थोपा हुआ उम्मीदवार के पास न कोई विजन होता और न ही ब्यवहारिक ज्ञान। क्योंकि वो तो क्षेत्र से अधिक अपनी उम्मीदवारी प्राप्त करने में लगाया रहता है। इसलिए थोपे गए उम्मीदवार को विजयश्री का प्रमाण पत्र मिलते ही उसमें घमण्ड समाहित हो जाता है और वह पाँच वर्ष उसी घमण्ड में पगलाया फिरता है। 

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