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शनिवार, 9 मार्च 2019

प्रतापगढ़ की राजनीति में दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाले अशोक त्रिपाठी जैसी शख्सियत की है,आवश्यकता...

प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र के सम्मानित मतदाताओं को अंतर्मन से करना होगा लोकसभा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी के नाम पर विचार...!!!
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्व. माता पलट पाण्डेय नानाजी की विरासत की गोंद में पले बढ़े प्रतापगढ़ सांसद पद के उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी उन्हें ही अपना मानते हैं,आदर्श और अपना गॉड फादर...!!!
अधिकतर मतदाताओं की होती है,आत्मिक इच्छा कि उसके ही संसदीय क्षेत्र का होना चाहिए लोकसभा का उम्मीदवार...!!!
सपा और बसपा महागठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी रामपुरखास विधान सभा की लालगंज तहसील के जलालपुर अमावा के हैं, मूल निवासी और रानीगंज विधान सभा के दिलीपपुर बाजार के पास छीटपुर एवं शहर प्रतापगढ़ के रूपापुर में बना रखा है,आशियाना...!!!
वर्ष-2014 में अशोक त्रिपाठी राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा और विधान सभा चुनाव वर्ष वर्ष-2017 में बसपा की उम्मीदवारी से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूवात किये..!!! 
हरदिल अजीज अशोक त्रिपाठी...
प्रतापगढ़ हर ब्यक्ति में महत्वाकांक्षा होती है और उसी महत्वाकांक्षा के बदौलत ही वह अपने जीवन में वो उस ऊँचाई को छू पाता है जिसका वो हकदार रहता है सपने देखना अच्छी बात है पर उस सपने को हकीकत में बदलना ही सपने देखने वाले ब्यक्ति का पुरुषार्थ माना गया है। सार्वजानिक जीवन जीने वाले ब्यक्ति के लिए अपना कुछ नहीं बचता। सारा जीवन समाज के उत्थान हेतु उसे समर्पित कर देना एक सामजिक कार्यकर्ता का प्रथम दायित्व होता है। जो दूसरों के लिए जिए वही सच्चा सामजिक ब्यक्ति कहलाता है। अब समाज हित और देश हित के साथ मानव हित करने के लिए बहुत से लोग राजनीति को अपना प्लेटफार्म बनाकर सामजिक सेवा के क्षेत्र में उतारते हैं,परन्तु वो राजनीति के सहारे सत्तासुख पाते है और अपने सामजिक जीवन के मूल भावना और कर्तब्यों से विमुख हो जाते हैं। सत्ता मिलते ही उनमें अहंकार घर कर जाता है और अपने मूल दायित्वों से भटक जाते हैं और उनका संकल्प अधूरा रह जाता है
युवा दिलों की धड़कन अशोक त्रिपाठी...
आज के अर्थवादी और स्वार्थी युग में ऐसे ब्यक्तित्व के धनी समाज में कम लोग होते हैं, जिनकी कथनी और करनी में समानता और एक रूपता हो ! परन्तु ऐसा भी नहीं कि पृथ्वी बीरों से खाली हो ! आइये आज आप सबको ऐसे संघर्षवान, मिलनसार, सरल, सहज, सौम्य स्वभाव, ब्राह्मण कुल के गौरव, संस्कारवान, समाजिक कार्यो के सहयोगी, असहायों, दलित, शोषित एवं वंचित तबके से आने वाले प्रत्येक नागरिकों को न्याय दिलाने में प्रयासरत रहने वाले, बेल्हा की जमीं पर शिक्षा जगत से अपने गृह जनपद को नई ऊँचाई देने के प्रति अलग सोंच रखने वाले, राजनीति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित करने वाले शख्सियत के बारे में बताते हैं जो बिना रुके बिना थके अपने मिशन की तरफ अग्रसर है। वो शख्सियत कोई और नहीं बल्कि हमारे अपने बीच के रहने वाले पंडित अशोक त्रिपाठी जी हैं जो सबसे अलग, सबसे शालीन एवं मृदुभाषी हैं। अपनी बात कहने का उनका अंदाज भी सबसे भिन्न है। सहजता और विनम्रता उनमें पूरी तरह समाहित है। संसदीय भाषा एवं परिमार्जित शब्दों का चयन कर जिस तरह श्री तिवारी जी अपनी बात रखते हैं, वो कला सब राजनीतिज्ञों में नहीं मिलती। अशोक त्रिपाठी सामान्य परिवार से आते हैं अशोक त्रिपाठी दो सगे भाईयों में स्वयं बड़े हैं और अनुज  अनिल त्रिपाठी इंजीनियर हैं और उन्होंने UPSC की तीन बार परीक्षा पास की,परन्तु दुर्भाग्यवश वो साक्षात्कार में नहीं आ सके। 
अलग अंदाज में बसपा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी...
प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी अपने छोटे भाई अनिल त्रिपाठी के लिए बड़े भाई अशोक त्रिपाठी छीटपुर गाँव में प्रतापगढ़-दिलीपपुर मार्ग पर ही वर्ष-2007 में डॉल्फिन पब्लिक स्कूल स्थापित कर शहर जैसी सुविधा देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अलख जागने का कार्य किया। अशोक त्रिपाठी मूलतः रामपुरखास विधान सभा की लालगंज तहसील के जलालपुर अमावा के हैं और रानीगंज विधान सभा के दिलीपपुर बाजार के पास छीटपुर गाँव एवं शहर प्रतापगढ़ के रूपापुर में अपना आशियाना बना रखा है। अशोक त्रिपाठी अपनी प्राइमरी की पढ़ाई प्रतापगढ़ से ही पूरा किये। उच्च शिक्षा अपने पिता राम प्रकाश त्रिपाठी के साथ रहकर अरुणांचल प्रदेश में पूरा किये। चूँकि अशोक त्रिपाठी जी के पिता सर्विस में रहे इसलिए उनके साथ रहकर शिक्षा ग्रहण किये अशोक त्रिपाठी इकोनॉमिक्स ऑनर्स हैं और शिक्षा पूरी होते ही उन्हें अरुणांचल प्रदेश में पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई। परन्तु स्वभाव के विपरीत उनको पुलिस विभाग की नौकरी रास न आई। लिहाजा पुलिस विभाग की नौकरी से संतुष्ट न होते हुए अशोक त्रिपाठी ने पुलिस विभाग को अपना त्यागपत्र दे दिया। यदपि उन्हें पुलिस विभाग से प्रशस्ति पत्र भी मिले थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्व. माता पलट पाण्डेय जो अशोक त्रिपाठी जी के नानाजी रहे, उनकी गोंद में वो पले-बढ़े और उनकी विरासत को संभाला यही नहीं अशोक त्रिपाठी उन्हें ही आदर्श और अपना गॉड फादर भी मानते हैं 
बाबा बेलखरनाथ धाम में पूजन अर्चन करते अशोक त्रिपाठी...
देश में चुनाव का महापर्व आते रहते हैं और उसमें प्रतिभागी प्रतिभाग लेकर अपनी किस्मत आजमाया करते हैंचुनाव में जीत-हार अपनी जगह ! जनता की पसंद और नापसंद भी अपनी जगह, परंतु जो सादगी अशोक त्रिपाठी में हैं, वो विरले इंसानों में पायी जाती है। अक्सर देखा जाता है कि इंसान के पास जब दौलत आ जाती है तो उसके साथ अहंकार भी आ जाता है जो उसके विनाश का कारण बनता है। विधान सभा चुनाव वर्ष-2017 में अशोक त्रिपाठी बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ सदर विधान सभा से उम्मीदवार थे। अपनी उम्मीदवारी से लेकर चुनावी परिणाम तक अशोक त्रिपाठी बड़े ही धैर्य के साथ एक परिपक्व राजनीतिज्ञ की तरह अपना काम किए और परिणाम के दिन मतगणना के समय मोदी लहर स्वीकार कर अपने समर्थकों को ढाढ़स बढ़ाते हुए अपनी नैतिक हार मानकर नवीन महुली मंडी से अपने आवास पहुँचकर स्वयं समर्थकों का उत्साहवर्धन किया था और निराश न होने का गुणसूत्र भी दिया था। अशोक त्रिपाठी चुनावी हार से न तो तिलमिलाए और न ही बौखलाए। उस पर आत्मचिंतन कर अपने काम पर लग गए। किसी से कोई गिला शिकवा किये बिना कुछ दिनों तक अपने को आर्थिक रुप से मजबूत करने का दृढ़ निश्चय कर राजनीति में दिखावे से दूर रहे। 
बाबा बेलखरनाथ धाम में लोकसभा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी...
वक्त की नजाकत को भांपते हुए जब बसपा सुप्रीमों ने ब्राह्मण चेहरे पर लोकसभा के लिए उम्मीदवारों की तलाश शुरू किया तो उन्हें प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से अशोक त्रिपाठी का नाम सबसे उपयुक्त लगा ऐसा नहीं रहा कि बसपा में अशोक त्रिपाठी के अलावा दूसरा ब्राह्मण उम्मीदवार नहीं रहा बसपा के ही पूर्व विधायक संजय त्रिपाठी और पूर्व विधायक बीरापुर वर्तमान रानीगंज राम शिरोमणि शुक्ल भी अपने-अपने स्रोतों से अपने टिकट के लिए लगे रहे। सपा और बसपा के महागठबंधन के बाद प्रतापगढ़ संसदीय सीट बसपा की झोली में जाने के बाद सपा सरकार में मंत्री रहे प्रो शिवकांत ओझा भी अंदर से बसपा के खाते से उम्मीदवार बनने की इच्छा रखते रहे। चूँकि वर्ष-2009 में श्री ओझा ही बसपा के उम्मीदवार रहे और कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह जो चुनाव में विजयी हुयी थी, उनको कड़ी टक्कर दी थी। परंतु वर्ष-2012 में प्रो शिवकांत ओझा बसपाई से सपाई हो गए और सपा के टिकट से रानीगंज विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए और अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री तक बने। प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से वर्ष-2014 में बसपा ने अपना उम्मीदवार मुस्लिम कोटे से आसिफ सिद्धिकी को दिया और बसपा पुनः दूसरे स्थान पर रही। 
संयुक्त कार्यकर्ता बैठक में बोलते अशोक त्रिपाठी...
बसपा ने प्रतापगढ़ में लगातार लोकसभा सीट पर अपनी दूसरे नम्बर की उपस्थिति वाले फार्मूले को आधार बनाकर वर्तमान में हो रहे लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ संसदीय सीट को अपनी झोली में डाल ली। इस तरह सपा और बसपा के महागठबंधन में सीट बसपा के खाते में आ गई और बिना किसी प्रपंच के बसपा सुप्रीमों मायावती ने अशोक त्रिपाठी पर विश्वास जताते हुए उन्हें प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। अभी भी भितरघातियों द्वारा अफवाहें उड़ाने का कार्य किया जा रहा है। अफवाहों की परवाह किये बिना बसपा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी अपने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ में लेते हुए अपने समर्थकों के साथ अपने संसदीय क्षेत्र में दिन-रात एक किये हुए हैं। उनकी चुनाव प्रचार-प्रसार से सभी विरोधियों की हालत पतली होती जा रही है। अभी चुनावी क्षेत्र में सिर्फ सपा और बसपा के संयुक्त उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी की ही उपस्थिति दिख रही है। अशोक त्रिपाठी के ड्रेस कोड यानि पहनावे पर भी चर्चा होती है कि जिस तरह मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी जी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस जी,असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल, अरुणांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खाडू, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी सहित दर्जनों राजनेताओं की भेषभूषा एक जैसी दिखती है सामान्य पहनावे में रहने वाले राजनीतिज्ञों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है राजनीति के क्षेत्र  में कोई जरुरी नहीं कि आप कुर्ता व पायजामा ही धारण करिए तभी आपको जनता राजनीतिज्ञ मानेगी किसी फिल्म का बेहतरीन डायलाग है कि खद्दर पहन लेने मात्र से कोई राजनेता नहीं बन जाता ! इन्हीं विचारों और ख्यालों से ओतप्रोत हैं बसपा उम्मीदवार अशोक त्रिपाठी...!!!

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