नगर पालिका प्रतापगढ़ में भारत स्वच्छता अभियान के तहत डोर टू डोर कूड़ा कनेक्शन हेतु ग्वालियर मध्य प्रदेश की कंपनी को पुनः दिया गया कार्य...!!!
डोर टू डोर का वही हाल हुआ कि पहले निकाह फिर तलाक और पुनः निकाह से पहले हलाला कराकर अब फिर से नगरपालिका द्वारा किया गया निकाह...!!!
प्रतापगढ़। जिले में स्वच्छता के नाम पर विकास भवन में पहले ही बड़े-बड़े घपले और घोटाले हुए हैं। जागरूकता के नाम पर 17 ब्लाकों में कार्यशाला और नुक्कड़ नाटक आदि कार्यों हेतु 8 करोड़ 15 लाख रुपये का घपला और घोटाला प्रकाश में आया। ईमानदारी के इकलौते ठेकेदार तत्कालीन CDO प्रतापगढ़, राजकमल यादव का नाम उसमें प्रमुख रूप से प्रकाश में आया। शासन ने तो उन्हें हटा दिया,परन्तु जाँच का खतरा बना हुआ है। जिला पंचायत राज अधिकारी उमाकांत पांडेय के कंधों पर उसकी जिम्मेवारी डालकर CDO रहे राजकमल तो प्रतापगढ़ से रुख्सत हो लिये,परन्तु 8करोड़ 15लाख का वो घपला गले की फाँस बना हुआ है।
ये तो रही जिले की सत्रह ब्लाकों के नाम पर किये गए सरकारी धन की लूट का ! अब बात करते हैं नगरपालिका प्रतापगढ़ के 25 वार्डों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का ! नगरपालिका में ठेकेदारी पद्धति से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और उसके निष्पादन हेतु ग्वालियर मध्य प्रदेश की एक कम्पनी को ठेका दिया गया। इसके पहले भी ग्वालियर की कम्पनी को उक्त कार्य के लिए ठेका दिया गया था। उक्त कम्पनी नगरपालिका के संसाधनों से नगरपालिका के सभी 25 वार्डो के कूड़े को डोर टू डोर कलेक्ट कर उसे डम्पिंग प्वाइंट तक ले जाकर नगर को साफ सुथरा व स्वच्छ बनाने की है। ये कार्य नगरपालिका अपने पिछले कार्यकाल में शुरू किया था,जो बीच में बन्द कर दिया गया था। अब उसे फिर से जीवित कर जेब भरने की तैयारी हो चुकी है।
जरा अंधेर तो देखिये कि पिछले कार्यकाल में नगरपालिका में एक माह में 20 लाख रुपये तक का भुगतान सिर्फ डोर टू डोर कूड़ा निष्पादन के लिए खर्च किया जाता रहा। शोषण हुआ था तो सिर्फ सफाई कर्मियों का जो कागज पर वेतन तो पाते थे 7हजार और फर्म काटकर देती रही, 4हजार। जबकि कूड़ा तौलकर इसकी बिलिंग की जाती रही और उसी तौल में घपले घोटाले किये जाते रहे। बिलिंग के लिए सफाई पटल प्रभारी और सफाई इंस्पेक्टर की रिपोर्ट लगती है,तब कार्य करने वाली फर्म को भुगतान हो पाता है। इस 20 लाख में पचास फीसदी रकम चेयरमैन और अधिकारियों के कमीशन के काम आती थी। यानि नगरपालिका में सिर्फ स्वच्छता के नाम पर 10 लाख की कमाई स्वघोषित ईमानदारों की हो जाया करती थी। ये तो वही हुआ कि न हींग लगे न फिटकरी,रंग लाएं चोखा !
इस बात का खुलासा तब हुआ जब पिछले कार्यकाल में चेयरमैन रहे हरि प्रताप सिंह अपने मनपसंद EO लाल चन्द्र भारती को लाकर महज पन्द्रह दिनों में करोड़ो रूपये का भुगतान थोक भाव में कर दिया। विवादित से विवादित धूल वाली सभी फाइलों का भुगतान उस वक्त चेयरमैन हरि प्रताप सिंह के इशारे पर EO लाल चन्द्र भारती ने कर दिया था। मजे की बात ये रही कि डोर टू डोर वाली फाइल का भुगतान तो तत्कालीन सफाई इंस्पेक्टर ऋषिपाल सिंह के बिना हस्ताक्षर से ही कर दिया गया था। इन सबके बावजूद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का दावा कर रहे हैं और उनकी पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के आकंठ डूबे हुए हैं। सरकारी धन पर रोज डकैती डालने के तरीके खोजा करते हैं।
इस बात की जानकारी जब हुई तो मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल IGRS पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई और जाँच में पाया गया कि भुगतान गलत तरीके से किया गया। शासन को रिपोर्ट भी प्रेषित की गई थी,परन्तु हर साख पर उल्लू बैठा है,बर्बाद गुलिस्ता करने को....वहाँ भी चढ़ावा चढ़ गया और प्रकरण ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उक्त फर्म की टेण्डर अवधि खत्म हो गई और उसके बाद उसका समय नहीं बढ़ाया गया। चूँकि तत्कालीन EO अवधेश कुमार यादव और सफाई इंस्पेक्टर रहे ऋषिपाल सिंह से ठेकेदार का विवाद गहरा गया। वजह चेयरमैन रहे हरि प्रताप सिंह का इन अधिकारियों से व्यवहारिक पक्ष का कमजोर होना था।
इसीबीच निकाय चुनाव-2017 सम्पन्न हुआ,जिसके बाद विगत 15 माह से नगरपालिका अपने सफाई कर्मियों से ही सफाई का कार्य कराती रही। मार्च माह में पुनः ग्वालियर की फर्म को उक्त ठेका फिर से आवंटित किया गया। यानि इस कार्यकाल में भी डोर टू डोर के मद से लाखों रुपये कमीशन के मिलने की पूरी व्यवस्था का इंतजाम कर लिया गया है। इससे तो यही सिद्ध हुआ कि पूर्व चेयरमैन हरि प्रताप सिंह जो कार्य अपने कार्यकाल में किये,वही सारे कार्य अपनी पत्नी प्रेम लता सिंह के चेयरपर्सन रहते उनके हस्ताक्षर से वो सारे कार्य करने का दृढ़ संकल्प ले रखा है। एक वर्ष तक बच बचाकर कार्य करने के बाद अब चेयरपर्सन प्रेमलता सिंह के पति हरि प्रताप सिंह फिर से नगरपालिका में दोनों हाथों से लूट के नए-नए तौर तरीके ईजाद करने के लिये हाथ पैर चला रहे हैं।
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