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बुधवार, 13 मार्च 2019

खूंखार आतंकी अजहर मसूद को छुड़वा ख़ुद कांधार ले जाने वाले पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने निभायी थी सबसे बड़ी भूमिका

काँग्रेस व विपक्षियों को समझना होगा कि मोदी को परास्त करने के लिए पैदा करना पड़ेगा दूसरा मोदी...!!!
पूर्व विदेश मंत्री जसवंत के बेटे मानवेन्द्र को राहुल गाँधी ने लड़ाया था,काँग्रेस से विस चुनाव,अब बाड़मेर सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने की है,तैयारी...!!!
यात्रियों के एवज में अटल सरकार पर मसूद को छोड़ने के लिए सबसे अधिक दबाव बनाई थी,काँग्रेस...!!!
चित्त भी मेरी,पट्ट भी मेरी नीति पर चल रहे राहुल गांधी देश को क्या बतायेंगे कि 190 विमान यात्रियों को कंधार में मरवा दिया जाता...???
काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पढ़ना चाहिए इतिहास की इंदिरा, राजीव, नरसिम्हा व 10 साल तक उनके परिवार के इशारे पर चली मनमोहन सरकार ने कितने बार भूले राष्ट्रहित...???
दुनिया जानती हैं कि 1999 में अपहृत भारतीय विमान आईसी 814 के 190 यात्रियों को जिंदा बचाने के लिए तबकी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मसूद अजहर सहित तीन आतंकियों को छोड़ा था। आतंकियों को भारत से अफगानिस्तान के कंधार में ले जाने में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने किसी तरह पीएम अटल जी को मनाने व जैश सरगना मौलाना मसूद अज़हर समेत 3 आतंकियो को विशेष विमान से ले जाकर अफगानिस्तान के कांधार में ले जाकर छोड़ा था। अजीत डोभाल समेत उस वक्त तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसमें भूमिका अदा की थी। डोभाल वर्तमान में मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। यही वजह है कि अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मसूद को छोड़े जाने को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना रहे हैं। किसी भी सरकार के लिए आतंकी को छोड़ा जाना आसान नहीं होता है। अपहर्ताओं ने जब कंधार में एक-एक विमान यात्रियों की लाशें बाहर फेंकना शुरू किया, तब सरकार पर दबाव बना। उस वक़्त सभी दल सरकार पर दबाव बनाए हुए थे कि यात्रियों को जल्द से जल्द छुड़वाना चाहिए भले ही इसके लिए खूंखार आतंकवादियों को ही क्यो न छोड़ना पड़े। 
मजेदार बात तो ये है कि आज काँग्रेस अध्यक्ष इस बीती बात को उठाकर मोदी सरकार को घेरने के लिए डोभाल के नाम का इस्तेमाल करने से नही चूक रहे है लेकिन वो भूल गए कि उस वक्त मसूद अज़हर समेत 3 आतंकियो को छोड़वाने के बदले अपहृत यात्रियों की वापसी के लिए सबसे ज्यादे दबाव तो काँग्रेस ने ही बनाई थी और यात्रियों के वापस आने पर श्रेय भी ले रही थी। उस विकट घड़ी के दौरान अपहृत यात्रियों के रिश्तेदार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घर के बाहर धरने पर बैठ गए। पूरा देश चाहता था कि 190 यात्री जिंदा वापस आएं। ऐसे माहौल में मसूद और उसके दो साथियों को छोड़ना पड़ा। यदि उस समय मसूद नहीं छोड़ा जाता तो 190 विमान यात्री मारे जाते क्योकि पाकिस्तान ने बेहद फुलप्रूफ प्लॉनिंग के साथ कांधार काण्ड को अंजाम दिया था। राहुल गांधी बताएं कि क्या विमान यात्रियों को मरने दिया जाता ? काँग्रेस के तमाम बयान व पाकिस्तान के बयान कहि न कही इन दिनों न जाने क्यों एक से मतलब समझाते से दिखते है,चाहे वो देश को बचाना है तो मोदी को हटाना है फिर तो वही पाकिस्तान भी कहता है कि मुल्क को बचाना है तो मोदी को हटाना पड़ेगा। 
राहुल गांधी व उनकी काँग्रेस को ये भी संज्ञान लेना होगा कि उनके ख़ास वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर जैसे लोग खुलेआम पाकिस्तान जाकर मिन्नत करते है कि पाकिस्तान के हित के लिए मोदी को हटाकर काँग्रेस को सत्ता में लाना पड़ेगा। अभी गत माह ही जब हमारा एक पायलट गलती से पाकिस्तान चला गया तो पूरे देश में उसे वापस लाने की मांग उठने लगी। खुद राहुल गांधी ट्विट कर अभिनंदन के पाकिस्तान में होने पर चिंता प्रकट कर दी। टीवी चैनलों में दिन भर पायलट की वापसी पर चर्चा होती रही। देश का हर नागरिक चाहता था कि पायलट अभिनंदन जिंदा वापस आ जाए। यह तो अच्छा हुआ कि अगले दो दिन पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पायलट को छोड़ने की घोषणा कर दी। यदि भारत की कूटनीति सफल नहीं होती तो पायलट का पाकिस्तान से वापस आना मुश्किल था। राहुल गांधी को ये पता होना चाहिए कि एक सरबजीत सिंह को 10 साल रिमोट से मनमोहन सरकार चलाने के कमाल दिखा चुका गाँधी परिवार वापस नही ले आ पाया था,राहुल ये भी बख़ूबी जानते हैं कि हम अपनी सरकार में फ्रांसीसी फायटर प्लेन रॉफेल क्यो नही ले पाये, अगर रॉफेल होता तो 4 दशक पूर्व उनकी दादी इंदिरा सरकार के दौर में खरीदे गए मिग-21 जिसको उड़ता ताबूत भी बोला जाता है से हमारा पायलट तब पाकिस्तान में फंसा जब उसने एफ16 जैसे आधुनिक विमान से टक्कर ली। अभिनंदन के पास तो पुराना मिग 21 विमान ही था। जब अभिनंदन के एक दिन पाकिस्तान में रहने पर इतना दबाव बन गया था, तब 190 यात्रियों को छह दिनों तक कंधार में रहने की स्थितियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। राहुल गांधी को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि तब मसूद को छोड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका विदेश मंत्री जसवंत सिंह की थी। 
अब जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस में हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सामने विधानसभा का चुनाव लड़वा कर कांग्रेस एक बार तो मानवेन्द्र का इस्तेमाल कर चुकी हैं। अब मानवेन्द्र को बाड़मेर से उम्मीदवार बनाया जा रहा है। यदि मसूद को छोड़ने में राहुल को अजीत डोभाल दोषी नजर आ रहे हैं तो फिर मानवेन्द्र को बाड़मेर से कांग्रेस का उम्मीदवार क्यों बनाया जा रहा है ? मानवेन्द्र भी तो उन्हीं जसवंत सिंह के पुत्र हैं, जिन्होंने मसूद को छोड़ने का निर्णय लिया। असल में मसूद के नाम के साथ"जी"लगा कर तो राहुल गांधी हमदर्दी जता रहे हैं। हालांकि राजनीति में सब जायज है, लेकिन राष्ट्रीय और देश की सुरक्षा के मुद्दों पर सोच समझ कर टिप्पणी करनी चाहिए। काँग्रेस अध्यक्ष के सलाहकार को ये अवश्य समझ मे आना चाहिए कि मोदी सरकार को जनहित के ज़मीनी मुद्दों पर घेरने से काँग्रेस के साथ ही राहुल गाँधी को न सिर्फ लाभ होगा राजनीतिक रूप से वरन राहुल गाँधी की इमेज जनता में बेहद हल्के बयानात व अगम्भीर राजनेता की बनती जा रही है।जो कि न तो काँग्रेस के हित मे है न ही गाँधी परिवार के फेवर में क्योकि बिन गाँधी परिवार काँग्रेस दो कदम चलने की ताक़त खो चुकी है तो गाँधी परिवार भी बिन काँग्रेस पार्टी के अपनी आभामंडल को कत्तई सलामत नही रख पायेगा। सबसे बड़ी बात काँग्रेस समेत विपक्षियों को ये समझना चाहिए कि पीएम नरेंद्र मोदी की ईमानदारी व राष्ट्रनिष्ठा पर जीतने भी चोट पहुँचायेगे उससे मोदी जनता के बीच उतने मजबूत और विपक्षी कमजोर होते जायेंगे। मोदी को परास्त करने का सिर्फ एक ही रास्ता है काँग्रेस व विपक्षियों को दूसरा मोदी लाना पड़ेगा।क्योकि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी,काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी, प्रियंका पति रॉबर्ट वढेरा घपले,घोटाले में कोर्ट से जमानत ले बाहर है तो तमाम विपक्षी नेता व उनके परिजनों के ऊपर तमाम भ्रष्टाचार के मामले चल रहे है।

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