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बुधवार, 13 मार्च 2019

आखिरकार कांग्रेस ने काफी मंथन और जद्दोजहद के बाद प्रतापगढ़ सीट से राजकुमारी रत्ना सिंह को ही बनाया अपना उम्मीदवार

टिकट की बाजी मार लेने वाली राजकुमारी रत्ना सिंह के लिये इस बार लोकसभा चुनावी वैतरणी पार कर पाना है, कठिन...!!!  
पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह का राजनीतिक इतिहास रहा है कि वो एक बार चुनाव हारती हैं तो दूसरी बार चुनावी बाजी मार लेती हैं...!!! 
प्रतापगढ़। लम्बी जद्दोजहद के बाद प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने फिर से पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह पर भरोसा जताकर साफ कर दिया कि अभी कालाकांकर रियासत की धमक कांग्रेस भूली नहीं है। पूर्व विदेश मंत्री दिनेश सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के संबंध को एकबार उनके पौत्र राहुल गाँधी ने तवज्जो देते हुए प्रतापगढ़ संसदीय सीट से उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी राजकुमारी रत्ना सिंह को प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रतापगढ़ से तीन बार राजकुमारी रत्ना सिंह सांसद निर्वाचित हो चुकी हैं। राजकुमारी रत्ना सिंह, पूर्व विदेश मंत्री राजा दिनेश सिंह की पुत्री हैं। 
पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्य सभा सांसद प्रमोद कुमार की आपसी राजनीतिक ट्यूनिंग बहुत ही मजबूत और प्रगाढ़ है। अप्रेल-2017को जब प्रमोद कुमार की राज्यसभा सदस्यता का कार्यकाल समाप्त हुआ तब से उनके समर्थकों की राय थी कि इस बार उनके नेता प्रमोद कुमार को प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस अपना उम्मीदवार बनाए। इसीलिए जब तक टिकट फाईनल नहीं हुआ था तब तक ऊहापोह बना हुआ था। स्थिति इतनी असमंजस की हुई कि स्वयं प्रमोद कुमार को कहना पड़ा कि प्रतापगढ़ से राजकुमारी रत्ना सिंह ही उम्मीदवार होंगी। वो स्वयं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। जबकि उनके समर्थकों के दावे अलग थे। समर्थकों का तर्क था कि जनमानस की ये इच्छा है कि प्रमोद कुमार इस बार प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करें। इसलिए प्रमोद कुमार के नाम की इस बार चल रही थी,अटकलें।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रमोद कुमार के समर्थकों की इच्छा थी कि इस बार लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ से राजकुमारी रत्ना सिंह की जगह प्रमोद कुमार को लोकसभा का उम्मीदवार बनाया जाये और राजकुमारी रत्ना सिंह का टिकट इस बार प्रतापगढ़ से बदलकर कहीं अन्यत्र दे दिया जाये। चूँकि प्रमोद कुमार रामपुरखास सीट पर अपनी बड़ी बेटी को अपना राजनीतिक उतराधिकारी बनाकर स्वयं जुआड़ टेक्नालॉजी के तहत सपा कोटे से राज्यसभा पहुँच गए थे। अब प्रमोद कुमार बिना किसी पद के हैं। कांग्रेस के प्रदेशध्यक्ष बनने की चर्चा एक बार शुरू हुई थी,परन्तु वो भी बात बनते-बनते बिगड़ गई। सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रह गई। राजकुमारी रत्ना सिंह की बात करें तो राजकुमारी पहली बार वर्ष-1996 में राजा अभय प्रताप को चुनाव हराकर प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर कब्जा किया था। तब प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र में बाबागंज और कुंडा विधान सभा भी शामिल रहा। कालाकांकर राज घराने का राजनीति में शुरू से दबदबा रहा। कांग्रेस ने अपनी लोकसभा उम्मीदवारों की दूसरी सूची में उत्तर प्रदेश से 16 नामों की जो घोषणा की उनमें प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से राजकुमारी रत्ना सिंह का नाम तय कर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है और जता दिया कि अभी राजकुमारी रत्ना सिंह का वजूद कांग्रेस में सबसे ऊपर है। 

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