#शासन ही शासनादेश जारी करे और शासनादेश का अनुपालन करने वाले उसी को धता बताकर उसका उलंघन करे...!!!
#जाग्रत भारत पार्टी से वर्ष 2012 में डॉ ए के कुलश्रेष्ठ सदर प्रतापगढ़ से लड़ चुके हैं विधान सभा चुनाव और करा चुके हैं,अपनी जमानत जब्त...!!!
#जाग्रत भारत पार्टी से वर्ष 2012 में डॉ ए के कुलश्रेष्ठ सदर प्रतापगढ़ से लड़ चुके हैं विधान सभा चुनाव और करा चुके हैं,अपनी जमानत जब्त...!!!
#सरकारी धन पर डाली जा रही है,डकैती...!!!
#पेंशन और पुनर्योजन का दोहरा लाभ...!!!
प्रतापगढ़। जनपद प्रतापगढ़ में ऐसे भी चिकित्सकों को पुनर्योजित किया गया जो VRS यानि स्वैच्छिक रूप से रिटायरमेंट ले लिए हैं। जबकि स्वास्थ्य महानिदेशालय,उ प्र लखनऊ से इस संबंध में आर टी आई एक्ट-2005 के तहत सूचना माँगी गई तो बताया गया कि VRS लेने वाले चिकित्सक को पुनर्योजित नहीं किया जा सकता। सिर्फ सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारियों को पुनर्योजित किये जाने का प्राविधान है। फिर प्रतापगढ़ में VRS लिए चिकित्सक को किस नियम कानून के तहत पुनर्योजित किया गया ? क्या उन्हें दोहरा लाभ नहीं दिया जा रहा है ?
ENT विशेषज्ञ रहे ए के कुलश्रेष्ठ को पहले ईमानदार तत्कालीन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ सेंथिल पांडियन की पहल पर उन्हें जिला अस्पताल में VRS लेने के बाद उसी सीट पर रखा गया। शिकायत हुई तो उन्हें हटा दिया गया क्योंकि कटरा रोड पर कुसुम हॉस्पिटल संचालित करते हैं और जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपनी अस्पताल में अच्छे ईलाज के बहाने बुलाकर उन मरीजों के साथ सौदा कर उसकी जेब काटी जाती रही। बात बिगड़ी तो स्वास्थ्य विभाग की RBSK योजना में उन्हें PHC सुखपालनगर पर नियुक्ति मिल गई। आज उन्हें RBSK के तहत रखा गया है,जबकि वो VRS शुदा चिकित्सक हैं। प्रतापगढ़ तो एक बानगी है। समूचे प्रदेश में ईमानदारी से जाँच करा ली जाए तो विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे सैकड़ों चिकित्सकों को VRS लेने के बाद नियम विरुद्ध तरीके से पुनर्योजित कर सरकारी धन पर डकैती डालने का कार्य किया जा रहा है। सीधा सा सवाल है कि जब स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लिया गया तो फिर उन्हें पुनर्योजित करने की क्या आवश्यकता आ पड़ी ? पर व्यवस्था में बैठे भ्रष्ट अधिकारी अपनी जड़े इतनी गहरी जमा चुके हैं कि वो जो कर दें,वही सही और जो न करें,वो भी सही। भ्रष्ट व्यवस्था में सब जायज। शायद इसीलिए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा था कि स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। स्वास्थ्य मंत्री होकर वो एक बाबू का तवादला नहीं कर सकते। स्वास्थ्य विभाग को वास्तव में भगवान ही चला रहे हैं। पैसे की इतनी हवस अन्य विभागों में देखने को नहीं मिलती जितनी स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिल रही हैं...!!!
ENT विशेषज्ञ रहे ए के कुलश्रेष्ठ को पहले ईमानदार तत्कालीन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ सेंथिल पांडियन की पहल पर उन्हें जिला अस्पताल में VRS लेने के बाद उसी सीट पर रखा गया। शिकायत हुई तो उन्हें हटा दिया गया क्योंकि कटरा रोड पर कुसुम हॉस्पिटल संचालित करते हैं और जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपनी अस्पताल में अच्छे ईलाज के बहाने बुलाकर उन मरीजों के साथ सौदा कर उसकी जेब काटी जाती रही। बात बिगड़ी तो स्वास्थ्य विभाग की RBSK योजना में उन्हें PHC सुखपालनगर पर नियुक्ति मिल गई। आज उन्हें RBSK के तहत रखा गया है,जबकि वो VRS शुदा चिकित्सक हैं। प्रतापगढ़ तो एक बानगी है। समूचे प्रदेश में ईमानदारी से जाँच करा ली जाए तो विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे सैकड़ों चिकित्सकों को VRS लेने के बाद नियम विरुद्ध तरीके से पुनर्योजित कर सरकारी धन पर डकैती डालने का कार्य किया जा रहा है। सीधा सा सवाल है कि जब स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लिया गया तो फिर उन्हें पुनर्योजित करने की क्या आवश्यकता आ पड़ी ? पर व्यवस्था में बैठे भ्रष्ट अधिकारी अपनी जड़े इतनी गहरी जमा चुके हैं कि वो जो कर दें,वही सही और जो न करें,वो भी सही। भ्रष्ट व्यवस्था में सब जायज। शायद इसीलिए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा था कि स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। स्वास्थ्य मंत्री होकर वो एक बाबू का तवादला नहीं कर सकते। स्वास्थ्य विभाग को वास्तव में भगवान ही चला रहे हैं। पैसे की इतनी हवस अन्य विभागों में देखने को नहीं मिलती जितनी स्वास्थ्य विभाग में देखने को मिल रही हैं...!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें