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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

देश लूटने वाले दलाल तो तिलमलायेंगे ही

सत्ताधारी दल की मिलीभगत से पूजीपतियों ने लूट लिया देश के खजाने को...!!! 
अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला 11 सितम्बर 2001 को हुआ था। जब यह हमला हुआ था उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश एक स्कूल के बच्चों से मिलने उनके क्लास रूम में जा रहे थे। बच्चों की क्लास में प्रवेश से ठीक पहले न्यूयॉर्क के ट्विन टॉवर के पहले टॉवर पर हुए हमले की जानकारी उनको मिल चुकी थी। लेकिन बच्चों के सामने क्लास में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश मुस्कुराते हुए घुसे थे और मुस्कुराते हुए ही बैठे थे। क्लास में बुश के बैठने के कुछ क्षण पश्चात ही उनके सलाहकार  एंडी कॉर्ड क्लास रूम में घुसे थे और उनके कान में कुछ कहा था। उनकी बात को राष्ट्रपति बुश ने स्थिर मुद्रा में शांत भाव से सुना था और बच्चों के साथ मुस्कुराते हुए बातचीत में व्यस्त हो गए थे। दरअसल क्लासरूम में अचानक घुसे एंडी कॉर्ड ने राष्ट्रपति बुश के कान में बताया था कि ट्विन टॉवर के दूसरे टॉवर से भी हवाई जहाज टकरा कर दूसरे आतंकी हमले को भी अंजाम दे दिया गया है। केवल कुछ क्षणों के अंतराल पर उपरोक्त दोनों खबरों को सुनने के बाद भी राष्ट्रपति बुश स्कूल के बच्चों के साथ मुस्कुराते हुए क्यों मिले थे ? उनके साथ मुस्कुराते हुए समय क्यों गुजारा था ? दरअसल स्कूली बच्चों से मिलने और उनके साथ संवाद करने का राष्ट्रपति बुश का कार्यक्रम इतना महत्वपूर्ण नहीं था कि उसे स्थगित नहीं किया जा सकता था। लेकिन जॉर्ज बुश ने जानबूझकर उसे स्थगित नहीं किया था क्योंकि वो अपने आचरण से ऐसा कोई भी सन्देश नहीं देना चाहते थे, जिससे आतंकियों को यह सन्देश मिल जाता कि वो देश को भयभीत और बदहवास करने में सफल हो गए हैं। ध्यान रहे कि किसी भी देश का मुखिया उसका चेहरा होता है। अतः अपनी हड़बड़ी बेचैनी दर्शाकर राष्ट्रपति बुश अमेरिका में भय बदहवासी और भ्रम की स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहते। इसके बजाय अपनी निर्विकार मुस्कुराती मुद्रा से उसे बढ़ने से रोकना चाह रहे थे। एक सक्षम समर्थ शक्तिशाली शासक की सोच यही होती है। लेकिन उसकी यह सोच उन दलालों को ना समझ में आती है...ना सुहाती है...जिनके अनुसार सरकार चलाने का मतलब घपले-घोटाले कर के देश को बेरहमी से लूटना होता है। 
कांग्रेस फौज शायद भूल गयी है, इसलिए उसे याद कराना जरूरी है कि जिस प्रधानमंत्री ने पिछले 5 वर्षों में होली दीपावली सरीखा एक भी पर्व अपने आवास पर या अपने यार दोस्तों, परिजनों के साथ नहीं मनाया है। इसके बजाय इन पर्वों को जिस प्रधानमंत्री ने-18° से लेकर-50° बर्फीले इलाकों में तैनात सेना के जवानों के साथ ही मनाया है। उस प्रधानमंत्री पर सेना के शहीद जवानों के अपमान का आरोप आज उस कांग्रेस ने लगाया है जिसकी मुखिया "मां-बेटा-बेटी" की तिकड़ी को क्रिसमस पर गुलछर्रे उड़ाने विदेश जाते हुए देश बरसों से देख रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि जिस समय पुलवामा में आतंकी हमला हुआ उस समय प्रधानमंत्री जिम कॉर्बेट पार्क में चाय पकौड़ा खा रहे थे। अपनी फोटो शूट करा रहे थे...! कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री जब एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने जिम कॉर्बेट पार्क गए थे तो क्या उन्हें मालूम था कि पुलवामा में आतंकी हमला होने वाला है ? क्या अपना कार्यक्रम अधूरा छोड़ के प्रधानमंत्री बदहवास होकर दिल्ली की तरफ दौड़ पड़ते ताकि उन आतंकियों को यह सन्देश मिल जाता कि वो देश को भयभीत बदहवास करने में सफल हो गए हैं। इस स्थिति को ही स्पष्ट करने के लिए राष्ट्रपति बुश के उदाहरण से पोस्ट शुरू की है। लेकिन कांग्रेस शायद भूल गयी है। इसलिए उसे 30 नवम्बर 2008 की रात याद कराना जरूरी है। उस रात दिल्ली में छतरपुर से आगे राधेमोहन चौक स्थित रईसजादों की रंगीन रातों के एक पंचतारा अड्डे की पहचान वाले एक शानदार फार्महाउस में राहुल गांधी के दोस्त समीर शर्मा की शादी से पहले की रस्म "संगीत" का जश्न मनाया जा रहा था। उस जश्न में जिस समय राहुल गांधी मध्यरात्रि से लेकर सवेरे 5 बजे तक नाचगाने और बेहतरीन खाने-"पीने" का जमकर लुत्फ़ ले रहा था उस समय 26 नवम्बर से 28 नवम्बर तक मुम्बई में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा खेली गयी खून की होली में शहीद सेना के दो कमांडों और मुम्बई पुलिस के 15 जवानों समेत मारे गए 138 हिंदुस्तानियों तथा 28 विदेशी नागरिकों में से 90% की लाशों का अंतिम संस्कार भी सम्पन्न नहीं हो पाया था। अतः राहुल गांधी और उसके चाटुकार कांग्रेसी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से देश जानना चाहता है कि क्या राहुल गांधी के लिए दोस्त की सगाई का जश्न मुम्बई हमले में शहीद हुए सेना के पुलिस के जवानों/कमाण्डों समेत मारे गए 183 निर्दोष नागरिकों की मौत के शोक से ज्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण था ? यदि दोस्त की सगाई का जश्न महत्वपूर्ण नहीं था तो राहुल गांधी द्वारा उस रात दिल्ली में छतरपुर से आगे राधेमोहन चौक स्थित फार्म हाउस में जो जश्न मनाया गया था क्या वह जश्न आतंकवादी हाफिज सईद को मिली मुम्बई हमले की आतंकी सफलता का था ? या मुम्बई हमले में शहीद हुए सेना के पुलिस के जवानों/कमाण्डों समेत मारे गए 183 निर्दोष नागरिकों की मौत का था ? आज ये सारे सवाल इसलिए क्योंकि राहुल गांधी के गुर्गे सुरजेवाला ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अभद्र अशोभनीय आरोपों/टिप्पणियों की अराजक बौछार करने की कुटिल कोशिश की है।

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