Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

राजा भईया की विवादित जन्मतिथि

जन्मदिन और रजत जयंती समरोह से फिर उठा राजा भईया की जन्म तिथि पर विवाद...!!!
राजा भईया का है,विवादों से पुराना नाता...!!!
"सत्यमेव जयते" भारत का 'राष्ट्रीय आदर्श वाक्य' है, जिसका अर्थ है- "सत्य की सदैव ही विजय होती है"। कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" के ऊपर जब भी आफत विपत आयी तो वो और उनके समर्थकों ने "सत्यमेव जयते" की बात कहकर अपना बचाव किया l सूबे में जब बसपा और भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो सूबे में माया सरकार से राजा भईया बगावत कर उनकी गलत नीतियों का विरोध किया तो वर्ष-2002 में सूबे की मुख्यमंत्री मायावती ने राजा भईया के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था और उन पर आतंकवाद निरोधक अध्यादेश "पोटा" के तहत मुकदमा दर्ज कराकर उनके पिता उदय प्रताप सिंह व रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह पर भी कानून का शिकंजा कसा था। जब राजा भईया जेल से रिहा हुए तो उन्होंने कहा था कि मुझे कानून पर पूरा भरोसा था l ईश्वर पर आस्था रखता हूँ l सत्य परेशान हो सकता है,पराजित नहीं...!!!
अपने लेटरपैड पर राजा भईया ने जारी किया खुला आमंत्रण...  
कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" अपने राजनैतिक जीवन की शुरुवात वर्ष-1993 में की थी l निर्दलीय विधायक के रूप में राजा भईया पहली बार कुंडा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए l उस वक्त चुनाव आयोग में नामांकन प्रपत्र सामान्यतः भर कर रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष जमा कर दिया जाता था l कुछ दिनों बाद आयोग उसे भी खत्म कर देता था l तब चुनाव आयोग से किसी उम्मीदवार के रिकार्ड को कोई आसानी से नहीं पा सकता था l सिर्फ वो ब्यक्ति उसकी नकल की मांग कर सकता था वो भी जो चुनाव में प्रतिभाग लिया हो l जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 जो माह अगस्त,वर्ष-2006 में लागू हुआ,उसके बाद जब सूबे में चुनाव हुआ तो भारत निर्वाचन आयोग ने नामांकन प्रक्रिया में सुधार करते हुए उम्मीदवारों से नामांकन प्रपत्र के साथ मय हलफनामा अपनी संपत्तियों,शैक्षिक योग्यताओं सहित अपराध का विवरण देने के लिए बाध्य किया l चुनाव आयोग अपनी अधिकृत वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों के नामांकन प्रपत्र और हलफनामा को स्कैन कर अपलोड कर दिया l सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले नामांकन में बदलाव करते हुए ये अनिवार्य कर दिया कि कोई उम्मीदवार अपने नामांकन प्रपत्र और शपथपत्र के किसी कालम को खाली नहीं छोड़ सकता l नतीजा ये रहा कि वर्ष-2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को अपनी परित्यक्त पत्नी यशोदा बेन को सार्वजानिक रूप से पत्नी स्वीकार करना पड़ा l
विधान सभा चुनाव वर्ष-2007में 33वर्ष व वर्ष-2012में 38वर्ष एवं वर्ष-2017में 43वर्ष के होने का नामांकन प्रपत्र के हलफनामे में राजा भईया ने मानी थी,अपनी आयु...
रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" की जन्म तिथि पैन कार्ड के अनुसार 31अक्टूबर,1969 है l राजा भईया पश्चिम बंगाल में पैदा हुए थे। प्रतापगढ़ के भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह इनके पिता और मंजुल राजे उनकी माँ हैं। इनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमांचल प्रदेश के राज्यपाल थे। रघुराज प्रताप सिंह के पिता राजा उदय प्रताप सिंह विश्व हिन्दू परिषद् व राष्ट्रीय सेवक संघ के मानद पदाधिकारी रह चुके हैं। इनकी माता मंजुल राजे कांग्रेसी नेता रणजीत सिंह जूदेव की बहन हैं,जो शाही परिवार से मिलान करती हैं। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया का विवाह बस्ती रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुआ। इनके दो पुत्र शिवराज एंव बृजराज एवं दो पुत्रियां राधवी और बृजेश्वरी हैं। राजा भईया के प्रथम चुनाव वर्ष-1993 में परिणाम के फलस्वरूप एक बार उनकी उम्र को लेकर विवाद उठा था जो बाद में खत्म हो गया l अब किन परिस्थितियों में वो विवाद ख़त्म हुआ ये तो नहीं कहा जा सकता,परन्तु विधान सभा चुनाव वर्ष-2007 में राजा भईया द्वारा जो नामांकन प्रपत्र मय हलफनामा दाखिल हुआ उसमें उन्होंने अपनी उम्र बहलफ-33 वर्ष बताई l उसके मुताविक राजा भईया की उम्र वर्ष-1993 में सिर्फ 19 वर्ष की रही l विधान सभा वर्ष-2012 में राजा भईया ने बहलफ अपनी उम्र-38 वर्ष बताई और विधान सभा वर्ष-2017 में राजा भईया ने अपनी उम्र बहलफ उम्र-43 वर्ष बताई l अब मजे की बात ये है कि राजा भईया अपना जन्म दिन 31अक्टूबर को मनाते हैं और पिछले माह उनका 49जन्मदिन मनाया गया था l

जन्मदिन व रजत जयंती समारोह मनाते राजा भईया....
ये प्रसंग आज इसलिए महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि राजा भईया अपने राजनैतिक जीवन के 25 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य पर राजधानी लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में लाखों कार्यकर्ताओं के बीच रजत जयंती समारोह का आयोजन किया और अपने राजनैतिक जीवन की दूसरी पारी खेलने के लिए नए राजनीतिक दल का गठन करने का दावा किया l अब पुनः सवाल उठता है कि राजा भईया के राजनीति के 25 वर्ष पूरा होने का मतलब कि राजा भईया कि उम्र-49 में से 25 वर्ष राजनीति के कम करने से उनकी उम्र-24 की हो जाती है l यानि राजा भईया इस फार्मूले से वर्ष-1993 में महज 24 वर्ष के थे,जबकि एक विधान सभा उम्मीदारवार की उम्र की पात्रता भारत निर्वाचन आयोग ने 25 वर्ष निर्धारित की है l अब जो संविधान की कसमें खाए,चुनाव में नामांकन करते वक्त हलफनामा दे और सिद्धांत एवं वसूलों की बातें करें l ईश्वर में आस्था रखने के दावे करे l फिर भी अपने जन्म दिन की झूठा हलफनामा दे ! फिर ये बात हजम नहीं होती l चूँकि ये कोई आरोप विपक्षी दल का न तो नेता लगा रहा है और न ही राजा भईया का कोई विरोधी ब्यक्ति ही ये सवाल खड़ा कर रहा है l खोजी पत्रकारिता के सिद्धांत के मुताविक राजा भईया की विवादित जन्म तिथि का हलाभला इसलिए होना चाहिए,क्योंकि अब वो एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं l पार्टी के रजिस्ट्रेशन में राजा भईया फिर झूठा हलफनामा दें ये अच्छी बात नहीं l लिहाजा राजा भईया और उनकी टीम को इसे सुधारना चाहिए ताकि कोई सवाल न उठा सके l राजा भईया की जन्म तिथि पर उभरे सारे मतभेद उनके रिकार्ड से हैं न कि किसी विरोधी के आरोप पर आधारित है l

1 टिप्पणी:

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें