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गुरुवार, 8 नवंबर 2018

जिलाधिकारी कार्यालय प्रतापगढ़ का प्रवेश द्वार गिर गया या अराजकतत्वों द्वारा गिरा दिया गया...!!!

जनपद वासियों ने जताई आशंका कि कहीं भूमाफियाओं की नजर कलेक्ट्रेट परिसर पर तो नहीं...!!!
अराजकता तत्वों जिलाधिकारी कार्यालय का तोड़ा प्रवेश द्वार...
प्रतापगढ़। जिला प्रशासन के निकम्मेपन की वजह से जिस तरह प्रतापगढ़ में करोड़ों रुपये बेशकीमती ट्रस्ट की जमीन और विद्यालय की भूमि और भवन का बयानानामा एग्रीमेंट लेकर उस पर भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर लिया जा रहा हैं और जिला प्रशासन उस भूमाफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है,बल्कि हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। हाँ,तहसील प्रशासन और उप जिलाधिकारी सदर,प्रतापगढ़ कार्यवाही के नाम पर अपनी बचत के लिए उस शिकायकर्ता पर शांति भंग की कार्यवाही करके अपने हाथों से अपनी पीठ भले ही थपथपा ले। ये जिला प्रशासन की नकारेपन का ही नतीजा है कि अरबों रुपये की ट्रस्ट की बेशकीमती सम्पत्ति,जिसका अध्यक्ष स्वयं जिलाधिकारी हो फिर भी उस सम्पत्ति मोहताजखाना/खैरातखाना को,उस ट्रस्ट का सचिव ही उसका क्रेता बनकर Non ZA आबादी की भूमि दिखाकर उसका जमींदार से बैनामा लिखा ले। मजे की बात ये कि मोहताजखाना का सचिव सरकारी चिकित्सक है और उसी मोहताजखाना में रहकर मोहताजखाना की बिल्डिंग भी लिखा लिया। चूँकि जमींदार के नाम सिर्फ जमीन आबादी खसरा व खतौनी में दर्ज है। सबसे विचारणीय बिंदु ये है कि मोहताजखाना की कुल भूमि एक बीघा से अधिक है और मोहताज खाना के सचिव अपने नाम व अपने पत्नी के नाम व अपने सहयोगी की माँ के नाम सिर्फ 5बिस्वा खरीदा और नगरपालिका के अभिलेख में मोहताजखाना के नाम पड़ाव वार्ड के डिमांड रजिस्टर में खैरातखाना ट्रस्टी जिलाधिकारी का नाम पूरी तरह से उड़ा दिया और विधि विरुद्ध ढंग से पैसे के बल पर प्रतापगढ़ के भूमाफियाओं ने अपना नाम दर्ज करा लिया। यानि 5बिस्वा खरीदकर एक बीघा पर कब्जा करके भी मोहताजखाना का सचिव डॉ अरविंद कुमार वर्मा हरिश्चन्द्र बना हुआ है।
जिलाधिकारी आवास से 500मीटर दूर महिला क्लब की करोड़ों रुपये की सम्पत्ति भी माननीय न्यायालय में नूराकुश्ती करके जिला प्रशासन को धता बताकर वो भी बिक गई। गायघाट रोड़ पर बंजर जमीन पर तत्कालीन जिलाधिकारी विद्या भूषण जी ने शहर से जुड़ा होने के कारण उसको डेवलप कराया और पिकनिक स्पॉट बनाने के लिए सिंचाई विभाग से लाखों रुपये खर्च भी हुए थे,परंतु भूमाफियाओं ने राजस्व विभाग को मिलाकर उसकी प्लांटिंग कर उसे भी बेंच दिया। अम्बेडकर चौराहा से मदर हॉस्पिटल वाली सड़क पर सरकारी भूमि पर प्रतापगढ़ के भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया। सैंयाबांध पर नाले पर कब्जाकर उस पर मल्टीपल कॉम्पलेक्स बिल्डिंग भाजपा नेता नपाध्यक्ष रहते हरि प्रताप सिंह बनवा लिए। तीन वर्ष से उसे तत्कालीन जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी कमेटी गठित कर उसका मेरिट पर लेते उसे ध्वस्त करने का आदेश जारी किया,परंतु उस आदेश पर अमल न हुआ। चिलबिला ओवरब्रिज के पूरब दिशा में सरकारी भूमि पर भाजपा नेता हरि प्रताप सिंह ने नगरपालिका का कूड़ा पाटकर कब्जा कर लिया है। महुली में सरकारी तालाब को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बताते हुए नगरपालिका ने पटवा दिया। नगरपालिका क्षेत्र में विवेक नगर और चिलबिला के प्राथमिक स्कूल पर भी कब्जा हो रहा है। अब शहर के अंदर सिर्फ सरकारी दफ्तर बचे हुए हैं जो Non ZA पर निर्मित हैं। भूमाफियाओं के हौसले और जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये को देखते हुए ये सोचना गलत न होगा कि यही स्थिति रही तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन प्रतापगढ़ का कलेक्ट्रेट परिसर सहित अन्य सरकारी दफ्तर और भवन पर भी भूमाफियाओं का कब्जा न हो जाए। ये आशंका मन में चल ही रही थी कि आज सुबह मॉर्निंग वाक पर जब कलेक्ट्रेट परिसर का प्रवेश द्वार टूटा हुआ देखा तो आम जनमानस में ये चर्चाआम हो गई कि अब भूमाफियाओं की नजर लगता है कलेक्ट्रेट परिसर पर भी पड़ गई है। बड़ा सवाल ये है कि क्या अब प्रतापगढ़ के भूमाफियाओं से कलेक्ट्रेट परिसर भी सुरक्षित नहीं...???

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