महाधिवक्ता और सहायक महाधिवक्ता के होते हुए भी उ प्र सरकार ने माननीय लोकायुक्त उ प्र की नियुक्ति के प्रकरण में माननीय सुप्रीम कोर्ट प्राईवेट अधिवक्ता को दिया 37लाख,40 हजार की मोटी फीस...!!!
आर टी आई से हुआ खुलासा...!!!
आर टी आई से हुआ खुलासा...!!!
UPA-2का कार्यकाल भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को स्पर्श किया तो जनता ने पूरे मनोयोग से मोदी के नाम पर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई l आम जनता को भरोसा था कि मोदी कुछ नया करेंगे,परन्तु मोदी क्या सीधे भगवान भी इस धरती पर उतर आयें तो भी इस देश से भ्रष्टाचार को दूर नहीं किया जा सकता l चूँकि आज भ्रष्टाचार हमारी रगो में ब्याप्त हो चुका है l जीवन का एक अंग बन चुका है l सबसे अधिक भ्रष्टाचार सिस्टम में है जिसे दूर करना असम्भव है l मेरी बातों का जिन्हें भरोसा न हो वो एक बार नजर उठाकर नीचे पोस्ट दोनों इमेज के आकड़े को देख ले तो वो भी संतुष्ट हो जाएगा l अखिलेश सरकार में माननीय लोकायुक्त उ प्र की नियुक्ति का विवाद जब सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो सरकार की जमकर छीछालेदर हुई l अखिलेश सरकार एडवोकेट जनरल पर भरोसा न कर कांग्रेसी नेता और पूर्व कानून मंत्री,भारत सरकार कपिल सिब्बल को उ प्र सरकार की तरफ से अपना प्राईवेट अधिवक्ता नियुक्त किया l
जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत उक्त प्रकरण में एक आर टी आई रमेश तिवारी द्वारा डाली गई जिसमें सिर्फ 2 सवाल किया गया था l पहला सवाल कि माननीय लोकायुक्त उ प्र की नियुक्ति प्रकरण में उ प्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपना वकील/अधिवक्ता नियुक्त करने के लिए कपिल सिब्बल को कितने रूपये फीस उ प्र सरकार से दी गई ? कृपया फीस का विवरण प्रदान किया जाय l जिसके सम्बन्ध में बताया गया कि कुल तीन बार की पैरवी में 37 लाख,40 हजार रुपये फीस उ प्र सरकार द्वारा भुगतान किया गया l दूसरा सवाल था कि उ प्र सरकार किसी भी प्रकरण में माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए किसी प्राईवेट वकील को अधिकतम कितने रूपये फीस दिए जाने का मापदण्ड बनाया गया ? उक्त के सम्बन्ध में बताया गया कि फीस का कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं है l अब इसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि सिस्टम में कितना बड़ा छेद है ? ऐसा भ्रष्टाचार मीडिया में कम देखने को मिलता है l ऐसे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए बहुत कठिनाई से साक्ष्य एकत्र करने पड़ते हैं,तब कहीं ऐसा भ्रष्टाचार उजागर होता है...!!!
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