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रविवार, 9 सितंबर 2018

संविदा की चिकित्सक डॉ आफरीन अब्बासी अनाधिकृत रूप से सुखपाल नगर PHC कैम्पस के अंदर बने सरकारी आवास को बना रखा है,आशियाना...!!!

संविदा के तहत सुखपाल नगर की PHC पर डॉ आफरीन अब्बासी और डॉ अश्विनी मिश्र की है,तैनाती.डॉ आफरीन अब्बासी BUMS यूनानी चिकित्सा पद्धति से तो डॉ अश्विनी मिश्र BAMS आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के हैं,चिकित्सक...!!!


BUMS व BAMS के डिग्री धारक भी लिख सकते हैं,एलोपैथिक दवाएं और कर सकते हैं,एलोपैथिक ईलाज-डॉ डी के सरोज,MOIC सुखपाल नगर...!!
प्रतापगढ़। जिला मुख्यालय से महज 7किमी दूर सुखपाल नगर जो कटरा मेदनीगंज और सिटी नगर पंचायत से सटा हुआ है और रायबरेली-जौनपुर रोड़ पर स्थित है,जो अब NHAI हो चुका है। सुखपाल नगर में उक्त रोड़ पर ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र PHC है और कटरा मेदनीगंज और सिटी नगर पंचायत सहित मोहनगंज व भुपियामऊ तक के मरीज इस स्वास्थ्य केंद्र पर आते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र PHC पर प्रभारी चिकित्साधिकारी के रूप में डॉ डी के सरोज की तैनाती है। फार्मासिस्ट और महिला डॉ आफरीन अब्बासी PHC कैम्पस के सरकारी आवास में अपना आवास बना रखा है। सरकारी आवास की दशा भले ही जर्जर है,परन्तु आधुनिक रहन सहन के सारे सामान देखने को मिल जाते हैं। आवास के सामने चार पहिया वाहन भी खड़ा मिल जायेगा। आवास में AC भी लगी हुई है। 


संविदा के चिकित्सकों का नहीं कटता HRA फिर किस विधा से ले रखा है,सरकारी आवास.24 घंटे की ड्यूटी का निर्वहन प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ डी के सरोज भी नहीं करते पालन.सुबह 8 बजे से 2 बजे तक की OPD करके PHC छोड़कर चले जाते हैं,MOIC डॉ डी के सरोज...!!!
सूत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार PHC के सामने एक मेडिकल स्टोर है,जिसके संचालक डॉ आफरीन अब्बासी के घर से संबंधित बताए जाते हैं। जिस मरीज को बाहर की दवा लिखी जाती है,उसे उक्त मेडिकल स्टोर पर खरीदने के लिए समझा दिया जाता है। इस तरह से महिला चिकित्सक आफरीन अब्बासी की संविदा के रूप में सुखपाल नगर की PHC में तैनाती एक साथ कई फायदे दे रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी सबकुछ जानते हुए भी चुप रहना बेहतर समझते हैं,क्योंकि संबंधित बाबुओं के माध्यम से माहवारी रिश्वत उन तक भी पहुंच जाती है। एक तरह से कह सकते हैं कि स्वास्थ्य महकमा में पूरी तरह से भ्रष्टाचार हावी है। पूरे कुएं में भाग पड़ी हुई है। सब नशे में टल्ली हैं। इन सब पर शिकायतों का भी कुछ असर नहीं होता। क्योंकि शिकायत की जाँच भी तो वही लोग करते हैं,जो उसमें संलिप्त हैं। मुख्यमंत्री की ऑनलाईन शिकायत IGRS और एण्टी करप्शन का भी इनके लिए बौना सावित हुआ है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोंगो का तर्क है कि जब नीचे से ऊपर तक पैसा बंधा हुआ है तो कोई शिकायत करके क्या कर लेगा...???

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