ICDS समन्वित बाल विकास योजना में चरम पर पहुँचा भ्रष्टाचार...!!!
देश के सभी प्रदेशों में फैला हुआ ICDS का तार,व्यवस्थाजनित भ्रष्टाचार में मंत्री से संतरी तक रहते हैं,शामिल...!!!
जिला कार्यक्रम अधिकारी DPO और ब्लाक में तैनात बाल विकास अधिकारी CDPO की देखरेख में सुपरवाईजर द्वारा 300 रुपये प्रति सेंटर से होती है,माहवार वसूली...!!!
नई दिल्ली। यूपीए सरकार में जब भ्रष्टाचार चरम पर पहुँचा तब जनता उससे आजिज आकर वर्ष 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस को उखाड़ फेंका और साफ सुथरी सरकार बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हुई। चुनाव में मतदाताओं ने अपने-अपने संसदीय क्षेत्र से सांसद नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी के नाम पर अपना बहुमूल्य मत देकर मोदी को सरकार बनाने हेतु स्पष्ट जनादेश दिया था। आम जनता में मोदी के प्रति इस कदर विश्वास था कि देश के भीतर तमाम खामियों को मोदी दूर कर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म कर देश को नई दिशा मिलेगी। पर इस देश का दुर्भाग्य रहा कि मोदी जी भी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगा सके। देश को दीमक की तरह खा रहे भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने में मोदी सरकार भी बुरी तरह फेल रही। वजह व्यवस्था जनित भ्रष्टाचार में बाबू से लेकर माई तक मिले होते हैं। साढ़े चार वर्ष में मोदी सरकार में भी ICDS समन्वित बाल विकास योजना में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं सका। जबकि ये योजना भारत सरकार द्वारा संचालित है और उसका बजट भी भारत सरकार ही निर्गत करती है। मानव संसाधन विकास मन्त्रालय,भारत सरकार और महिला एवं बाल विकास विभाग,भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जब ये हाल है जो देश के सभी प्रदेशों में संचालित है। वर्तमान में योगी सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग,उत्तर प्रदेश सरकार की बात करें तो इस योजना को सरकार प्राथमिकता पर रखकर इस मंत्रालय की जिम्मेवारी को अनुपमा जायसवाल के हाथों में सौंपा है। आगनबाड़ी केंद्रों की माहवारी इस लूट में तेज तर्रार विधायक भी अपनी विधानसभा के तहत आने वाले आगनबाड़ी सेंटरों से DPO और CDPO की मदद से अपना हिस्सा ले लेते हैं। ये कहना गलत न होगा कि इस लूट में विभाग की मंत्री भी शामिल हैं। यदि विभाग की मंत्री ही ईमानदारी हो जाये तो आंगनबाड़ी केंद्रों की ये लूट तत्काल बन्द हो सकती है...!!!
शासन स्तर पर समन्वित बाल विकास योजना ICDS के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी प्रमुख सचिव के अधीन होती है। कार्यक्रम का कार्यान्वयन प्रदेश स्तर पर होता है,जिसके लिए एक निदेशालय स्थापित है,जहां निदेशक की देखरेख में सारी योजनाओं को संचालित किया जाता है। निदेशालय में निदेशक,अपर निदेशक,प्रशासन,अपर निदेशक वित्त,उप निदेशक,सहायक निदेशक,अपर परियोजना प्रबन्धक एवं लेखाधिकारी विभिन्न कार्यक्रमों की देखरेख करते हैं। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार,निदेशालय,लखनऊ की निगरानी में जिला कार्यक्रम अधिकारी(DPO),बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी (CDPO),मुख्य सेविका आँगनबाड़ी कार्यकर्त्री एवं सहायिका ग्राम/परियोजना/जनपद स्तर का ढांचा ग्रामीण स्तर के आँगनबाड़ी कार्यकर्त्री एवं सहायिका सेक्टर एवं परियोजना स्तर की मुख्य सेविका एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी(CDPO) जिलास्तरीय कार्यक्रम के कार्यान्वयन की देखरेख जिला कार्यक्रम अधिकारी करते हैं। इतने के बावजूद प्रत्येक जनपदों से लगभग 10लाख रूपये प्रत्येक माह वसूली होती है। ये धनराशि बढ़ भी सकती है। परंतु इतनी वसूली में तो दाग नहीं लगता। इस तरह पूरे प्रदेश में 75,000,000/रुपये तक की वसूली होती है। चकित करने वाली बात यही है कि क्या इस व्यवस्था जनित भ्रष्टाचार की भनक देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को नहीं है। यदि जानकारी है तो उन्हें भ्रष्टाचार पर लम्बा चौड़ा लच्छेदार भाषण देने का हक नहीं है और यदि इसकी जानकारी नहीं कि उनके इस विभाग में संगठित लूट की जा रही है तो इस तथ्य को फौरन संज्ञान में लेकर इस पर दंडात्मक कार्यवाही कर इस महामारी से निजात दिलाना चाहिये। नहीं तो ईमानदारी का तमगा नहीं बांधना चाहिये। फिलहाल मोदी और योगी सरकार ICDS समन्वित बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी सेंटरों से संगठित और सुनियोजित माहवारी हो रही वसूली पर अंकुश लगाने में विफल है...!!!
कहने के लिए देश के व्यक्ति उसकी मूल्यवान सम्पत्ति होते हैं। देश की शक्ति एवं सदभावना उसके स्वस्थ,शिक्षित एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ नागरिकों में निहित हैं। अतएव भारतीय संविधान में दिये गये निर्देशों के अनुपालन में सरकार दीर्घकाल तक रोगों,अशिक्षा एवं गरीबी से मुक्ति के साथ-साथ शिक्षा,स्वास्थ्य एवं पोषण की सुविधायें एवं अवसर प्रदान करने के लिये कृत संकल्प है। देश का भविष्य उसके बच्चों में निहित होता है। आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। अतः उस समय से जब शिशु माँ के गर्भ में होता है,उसके सम्पूर्ण विकास के लिये उचित कदम उठाया जाना निश्चित ही आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार शिशु के विकास हेतु स्वास्थ्य,शिक्षा एवं पोषण की उचित सुविधायें आवश्यक होती हैं। समन्वित बाल विकास योजना ICDS उ प्र की योजनाओं में किशोरी शक्ति योजना,पोषण कार्यक्रम,इन्दिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना,स्निप योजना प्रमुख हैl शिशु विकास में वृद्धि करने हेतु पालिसी के प्रभावी कार्यरूप एवं विभिन्न विभागों में शिशु के साधारण स्वास्थ्य एवं पोषण आवश्यकताओं की देखभाल के लिए उचित स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा द्वारा माँ की योग्यता मे वृद्धि करना। कुपोषण एवं अति कुपोषित महिलाओं एवं शिशुओं के लिये सहायक पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना। छ: वर्ष से कम आयु के शिशुओं एवं 16-45 वर्ष के आयु समूह की महिलाओं के पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर मे सुधार करना। शिशु के उचित मानसिक,शारीरिक एवं सामाजिक विकास की नींव रखना। टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को टी टी के इन्जेक्शन एवं छ: वर्ष से कम आयु के शिशुओं को डीपीटी एवं बीसीजी के टीके सुनिश्चित करना मृत्युदर,अस्वस्थाता,कुपोषण एवं स्कूल से निकाले जाने की घटनाओ को कम करना...!!!
शासन स्तर पर समन्वित बाल विकास योजना ICDS के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी प्रमुख सचिव के अधीन होती है। कार्यक्रम का कार्यान्वयन प्रदेश स्तर पर होता है,जिसके लिए एक निदेशालय स्थापित है,जहां निदेशक की देखरेख में सारी योजनाओं को संचालित किया जाता है। निदेशालय में निदेशक,अपर निदेशक,प्रशासन,अपर निदेशक वित्त,उप निदेशक,सहायक निदेशक,अपर परियोजना प्रबन्धक एवं लेखाधिकारी विभिन्न कार्यक्रमों की देखरेख करते हैं। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार,निदेशालय,लखनऊ की निगरानी में जिला कार्यक्रम अधिकारी(DPO),बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी (CDPO),मुख्य सेविका आँगनबाड़ी कार्यकर्त्री एवं सहायिका ग्राम/परियोजना/जनपद स्तर का ढांचा ग्रामीण स्तर के आँगनबाड़ी कार्यकर्त्री एवं सहायिका सेक्टर एवं परियोजना स्तर की मुख्य सेविका एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी(CDPO) जिलास्तरीय कार्यक्रम के कार्यान्वयन की देखरेख जिला कार्यक्रम अधिकारी करते हैं। इतने के बावजूद प्रत्येक जनपदों से लगभग 10लाख रूपये प्रत्येक माह वसूली होती है। ये धनराशि बढ़ भी सकती है। परंतु इतनी वसूली में तो दाग नहीं लगता। इस तरह पूरे प्रदेश में 75,000,000/रुपये तक की वसूली होती है। चकित करने वाली बात यही है कि क्या इस व्यवस्था जनित भ्रष्टाचार की भनक देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को नहीं है। यदि जानकारी है तो उन्हें भ्रष्टाचार पर लम्बा चौड़ा लच्छेदार भाषण देने का हक नहीं है और यदि इसकी जानकारी नहीं कि उनके इस विभाग में संगठित लूट की जा रही है तो इस तथ्य को फौरन संज्ञान में लेकर इस पर दंडात्मक कार्यवाही कर इस महामारी से निजात दिलाना चाहिये। नहीं तो ईमानदारी का तमगा नहीं बांधना चाहिये। फिलहाल मोदी और योगी सरकार ICDS समन्वित बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी सेंटरों से संगठित और सुनियोजित माहवारी हो रही वसूली पर अंकुश लगाने में विफल है...!!!
कहने के लिए देश के व्यक्ति उसकी मूल्यवान सम्पत्ति होते हैं। देश की शक्ति एवं सदभावना उसके स्वस्थ,शिक्षित एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ नागरिकों में निहित हैं। अतएव भारतीय संविधान में दिये गये निर्देशों के अनुपालन में सरकार दीर्घकाल तक रोगों,अशिक्षा एवं गरीबी से मुक्ति के साथ-साथ शिक्षा,स्वास्थ्य एवं पोषण की सुविधायें एवं अवसर प्रदान करने के लिये कृत संकल्प है। देश का भविष्य उसके बच्चों में निहित होता है। आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। अतः उस समय से जब शिशु माँ के गर्भ में होता है,उसके सम्पूर्ण विकास के लिये उचित कदम उठाया जाना निश्चित ही आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार शिशु के विकास हेतु स्वास्थ्य,शिक्षा एवं पोषण की उचित सुविधायें आवश्यक होती हैं। समन्वित बाल विकास योजना ICDS उ प्र की योजनाओं में किशोरी शक्ति योजना,पोषण कार्यक्रम,इन्दिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना,स्निप योजना प्रमुख हैl शिशु विकास में वृद्धि करने हेतु पालिसी के प्रभावी कार्यरूप एवं विभिन्न विभागों में शिशु के साधारण स्वास्थ्य एवं पोषण आवश्यकताओं की देखभाल के लिए उचित स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा द्वारा माँ की योग्यता मे वृद्धि करना। कुपोषण एवं अति कुपोषित महिलाओं एवं शिशुओं के लिये सहायक पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना। छ: वर्ष से कम आयु के शिशुओं एवं 16-45 वर्ष के आयु समूह की महिलाओं के पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर मे सुधार करना। शिशु के उचित मानसिक,शारीरिक एवं सामाजिक विकास की नींव रखना। टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को टी टी के इन्जेक्शन एवं छ: वर्ष से कम आयु के शिशुओं को डीपीटी एवं बीसीजी के टीके सुनिश्चित करना मृत्युदर,अस्वस्थाता,कुपोषण एवं स्कूल से निकाले जाने की घटनाओ को कम करना...!!!
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