स्मृतिशेष स्व.लालजी रावत...
हमारे दिल के अति करीबी रहे लाल जी रावत का 5 मार्च,2016 के दिन मध्यरात्रि में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।लालजी रावत पुत्र स्व. राम नारायण, निवासी- धर्मशालवार्ड, सुखदेव सिंह रोड़, थाना- कोतवाली नगर, प्रतापगढ़ जो बहुत ही नेकदिल,सच्चे,कर्मठी और बहादुर इंसान थे।तूफानों से बेपरवाह आम आदमी के लिये लड़ता ज़ाबाज सिपाही आज खामोश हो गया।मैं उन्हें किस रूप में अपना रिश्ता बयान करूं।मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।मेरे लिए वो उम्र के लिहाज से पिता तुल्य थे।संघर्ष के लिहाज से उनसे करीबी मेरा दूसरा कोई साथी नहीं।मेरे हर बात का बिना शर्त समर्थन व सहयोग प्रदान करने वाले श्री लालजी रावत का विना बताए यूं ही हमें छोड़कर जाना बहुत अखर रहा है।
मैं उनकी एक-एक बात सोचकर रो रहा हूँ।मेरे जीवन में उनकी कमी कोई पूरा नहीं कर सकता।लालजी रावत के संदर्भ में मैं,विगत 16वर्षों में जो जान सका, उसका चित्रण किया जाय तो वो किसी की परेशानी को,वो अपनी परेशानी मान बैठते थे।आपकी पहुँच यदि छोटी पड़ती थी तो वो जिंदादिल इंसान अपना कन्धा लगाकर खड़ा हो जाता था और उस कन्धे के सहारे उस पीड़ित ब्यक्ति को उसकी छोटी पहुँच को पूर्ण कर देता था।समाजसेवा उनमें कूट-कूटकर समाहित थी।विश्वनाथगंज विधानसभा चुनाव 2012 में जाग्रत भारत पार्टी से वो चुनाव भी लड़े lकुछ ही माह के उपरान्त नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव वर्ष 2012 में निर्दलीय उम्मीदवार रहे। राजनैतिक व सामाजिक परख उनमें खूब रही।
हमारे दिल के अति करीबी रहे लाल जी रावत का 5 मार्च,2016 के दिन मध्यरात्रि में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।लालजी रावत पुत्र स्व. राम नारायण, निवासी- धर्मशालवार्ड, सुखदेव सिंह रोड़, थाना- कोतवाली नगर, प्रतापगढ़ जो बहुत ही नेकदिल,सच्चे,कर्मठी और बहादुर इंसान थे।तूफानों से बेपरवाह आम आदमी के लिये लड़ता ज़ाबाज सिपाही आज खामोश हो गया।मैं उन्हें किस रूप में अपना रिश्ता बयान करूं।मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।मेरे लिए वो उम्र के लिहाज से पिता तुल्य थे।संघर्ष के लिहाज से उनसे करीबी मेरा दूसरा कोई साथी नहीं।मेरे हर बात का बिना शर्त समर्थन व सहयोग प्रदान करने वाले श्री लालजी रावत का विना बताए यूं ही हमें छोड़कर जाना बहुत अखर रहा है।
मैं उनकी एक-एक बात सोचकर रो रहा हूँ।मेरे जीवन में उनकी कमी कोई पूरा नहीं कर सकता।लालजी रावत के संदर्भ में मैं,विगत 16वर्षों में जो जान सका, उसका चित्रण किया जाय तो वो किसी की परेशानी को,वो अपनी परेशानी मान बैठते थे।आपकी पहुँच यदि छोटी पड़ती थी तो वो जिंदादिल इंसान अपना कन्धा लगाकर खड़ा हो जाता था और उस कन्धे के सहारे उस पीड़ित ब्यक्ति को उसकी छोटी पहुँच को पूर्ण कर देता था।समाजसेवा उनमें कूट-कूटकर समाहित थी।विश्वनाथगंज विधानसभा चुनाव 2012 में जाग्रत भारत पार्टी से वो चुनाव भी लड़े lकुछ ही माह के उपरान्त नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव वर्ष 2012 में निर्दलीय उम्मीदवार रहे। राजनैतिक व सामाजिक परख उनमें खूब रही।
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