सतीश मिश्र की कलम से...
RSSप्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का कि...
RSSप्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का कि...
आरएसएस के कार्यकर्ता... |
"अगर जरूरत पड़ी तो आरएसएस के कार्यकर्ता देश के लिये लड़ने की खातिर तैयार है।सेना को तैयारी में 6महीने का समय लगेगा,लेकिन आरएसएस के स्वयं सेवकों में तीन दिन के भीतर सेना तैयार करने की क्षमता है।संघ प्रमुख ने कहा कि हम मिलिट्री नहीं हैं,लेकिन हमारा अनुशासन मिलिट्री जैसा ही है।संघ प्रमुख के इस बयान पर राहुल गांधी ने आग बबूला होने का पाखण्ड करते हुए कहा है कि "आरएसएस प्रमुख के भाषण से भारतीय सेना और हर भारतीय का अपमान हुआ है और उनका ये भाषण उन लोगों का अपमान करता है जो देश के लिए अपनी जान दे चुके हैं। "राहुल गांधी को देश या देश की सेना का इतिहास तो छोड़िए।स्वयं अपनी पार्टी के इतिहास की भी कोई जानकारी सम्भवतः नहीं है।यदि उनको कोई जानकारी होती तो वो ऐसी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी कभी नहीं करते।
अतः राहुल गांधी को याद दिलाना जरूरी है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा।स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी।सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी,प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद, और यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता की। जवाहर लाल नेहरू को 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा।परेड करने वालों को आज भी महीनों तैयारी करनी होती है,लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3500 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हो गए।निमंत्रण दिए जाने की आलोचना होने पर नेहरू ने कहा था कि “यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा जा सकता है,विशेष रूप से 1963के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आरएसएस को आकस्मिक आमंत्रित किया गया।” राहुल गांधी को अपने नाना नेहरू के उस बयान से सम्बंधित BBC की रिपोर्ट का लिंक देखना चाहिए फिर देश को बताना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में उपरोक्त बयान देकर क्या देश की सेना का अपमान किया था...? नेहरू के इस बयान से सम्बंधित BBC की रिपोर्ट का लिंक देखकर सच्चाई तय की जा सकती है कि राहुल को कुछ आता है कि वो कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी वो पप्पू है।
http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151021_rss_bartaria_ia
अतः राहुल गांधी को याद दिलाना जरूरी है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा।स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी।सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी,प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद, और यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता की। जवाहर लाल नेहरू को 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा।परेड करने वालों को आज भी महीनों तैयारी करनी होती है,लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3500 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हो गए।निमंत्रण दिए जाने की आलोचना होने पर नेहरू ने कहा था कि “यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा जा सकता है,विशेष रूप से 1963के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आरएसएस को आकस्मिक आमंत्रित किया गया।” राहुल गांधी को अपने नाना नेहरू के उस बयान से सम्बंधित BBC की रिपोर्ट का लिंक देखना चाहिए फिर देश को बताना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में उपरोक्त बयान देकर क्या देश की सेना का अपमान किया था...? नेहरू के इस बयान से सम्बंधित BBC की रिपोर्ट का लिंक देखकर सच्चाई तय की जा सकती है कि राहुल को कुछ आता है कि वो कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी वो पप्पू है।
http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151021_rss_bartaria_ia
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