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शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

श्रीहरि के चकला बेलन से डरी भाजपा

हरि की माया,हरि ही जाने...
हमने देखा है,एक सपना...फूलों का शहर होगा बेल्हा अपना....हरि प्रताप सिंह जिनकी फितरत में पनपता हो,भ्रष्टाचार...
भ्रष्टाचार के आकंठ डूबे श्रीहरि का नपाध्यक्ष पद से बर्खस्तगी के 9बाद जनता के बीच अपने गुनाहों को छुपाने के प्रयास की एक झलक...
ये शख्स है,नगरपालिका परिषद् बेल्हा प्रतापगढ़ का चार बार रह चुका नपाध्यक्ष,हरि प्रताप सिंह l यानि जब कोई बच्चा प्रतापगढ़ शहर में जन्म लिया होगा तो वह इस बार इन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा l इन बीस सालों में प्रतापगढ़ शहर में यदि कुछ हुआ है तो सिर्फ 3बार चौराहों का सौन्दर्यीकरण l यानि चौराहों पर पहले गोल चक्कर का निर्माण किया गया और उसके बाद उस पर दूसरे कार्यकाल में महापुरुषों की स्टैच्यू स्थापित की गई l होली व दिवाली और उनके जन्मदिन पर उनकी प्रतिमाओं को साफ़ सफाई के लिए फौवारे लगवाए गए l वर्तमान कार्यकाल में चौराहों के सौंदर्यीकरण के नाम पर फिर से लाखों रूपए बर्बाद किये गए और जो मूर्तियों को ढकने के लिए गोल गुम्मद का निर्माण कराया गया वो काफी नीचे हो गया और मूर्तियों को देखने के लिए बहुत नजदीक जाकर ही उन्हें देखा जा सकता है...!!!
इन बीस वर्षों में पूर्व नपाध्यक्ष श्रीहरि के बारे में जितना कहा जाए वो कम होगा l नगरपालिका और इनके विकास की तुलना कर ली जाए तो 20 वर्षों के विकास की सच्चाई की पोल खुल जाएगी l हरि प्रताप सिंह मूलतः पट्टी तहसील के सर्वजीतपुर गाँव में जगदीश बहादुर सिंह के यहाँ पैदा हुए l सामान्य परिवार में जन्मे श्रीहरि सपरिवार अजीतनगर सदर मोड़ के पास आकर किराए के मकान में रहने लगे l तीन भाईयों में सबसे बड़े भाई होने के कारण इनके कन्धों पर अधिक जिम्मेवारी रही l इनके पिता स्व जगदीश बहादुर सिंह शुरूआत में ट्रक चालक थे और उन्हीं के नाम जगदीश ट्रेवेल्स से ट्रांसपोर्ट का ब्यवसाय शुरू किये l शुरुआत में हरि प्रताप सिंह भी एक जीप भैरोपुर अड्डे से खुद चलाते थे...!!!
जनता जनार्दन से भावनात्मक अपील करते श्रीहरि...

हरि प्रताप सिंह का विवाह जौनपुर में भाजपा नेता स्व उमानाथ सिंह की लड़की प्रेम लता से हुआ और जब सूबे में भाजपा की सरकार बनी तो कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में वो कारागार मंत्री थे l जब उमानाथ सिंह की मृत्यु हो गई तो वर्ष -1995 में उमानाथ सिंह के परिजनों ने उनके स्थान पर अपने दामाद हरि प्रताप सिंह को नगर पालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ के अध्यक्ष पद के टिकट देने की फरियाद की,जिसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व स्वीकार कर लिया और हरि प्रताप सिंह को नगर पालिका के अध्यक्ष पद का टिकट वर्ष-1995 में मिल गया l टिकट मिला तो भाग्य साथ दिया और नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में नगर की जनता ने हरि प्रताप सिंह को चुन लिया l सूबे में भाजपा की सरकार थी और नगर विकास मंत्री लालजी टंडन थे l अध्यक्ष बनते ही हरि प्रताप सिंह दोनों हाथों से नगरपालिका के कोष को लूटने में मस्त हो गए l वर्ष 1998 में एक जांच हुई तो हरि प्रताप सिंह भ्रष्टतम अध्यक्षों की टॉप तेन सूची में हरि प्रताप सिंह का नाम आ गया,जिसे किसी तरह लालजी टंडन जी को मैंनेज कर उसे सलटाए l तभी से इन्हें भ्रष्टाचार में महारथ हासिल हुआ और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखे l वर्ष-2000में इन्हें फिर से नपाध्यक्ष का टिकट मिला और ये दूसरी बार भी विजयी हुए l अब तक इन्हें राजनीति करना आ चुका था l
अपने स्व ससुर के नाम पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से इनके सम्बन्ध प्रगाढ़ होते गए और वर्ष-2002 में सदर प्रतापगढ़ विधान सभा से भाजपा ने टिकट दिया और नपाध्यक्ष रहते ये विधायक भी चुन लिए गए l अब तो इनकी बीसों अंगुलियाँ घी में हो गई l ये नपाध्यक्ष और विधायक रहते खाद्य व रसद विभाग की ढुलाई और हैंडलिंग का ठेका अपने और अपने भाईयों के नाम लेकर जमकर अनाज की कालाबाजारी की और इतना पैसा कमाया कि सामान्य आदमी से अरबपतियों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया और जिस मकान में बतौर किराए पर रहते थे, उसे तो खरीद ही लिया और पूरे शहर भर में अरबों रुपए की सम्पत्ति खरीद लिए और रंक से राजा बन बैठे l भाजपा ने हरि प्रताप सिंह को 3 बार नपाध्यक्ष का टिकट दिया और 3बार विधान सभा का टिकट दिया और जब चौथी बार भाजपा ने वर्ष-2012 में इनका टिकट काट दिया तो ये बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर अपने 15 वर्षों के बुने फेंक मतदाता सूची का अध्ययन कर चौथी बार ये फर्जी मतदाताओं के बल पर चुनाव जीत लिए l
मायाबी हरि प्रताप सिंह को जब चौथी बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो अपने बुने हुए फेंक मतदाता सूची का अध्ययन कर निर्दलीय निकाय चुनाव का नामांकन वर्ष-2012 में नगरपालिका क्षेत्र की जनता का इमोशनल ब्लैकमेल जरिये पप्लेट किया...
चूँकि वर्ष-2006 इन्हें 18000 मत मिले थे और वर्ष-2012में 8000के अन्दर ही जीत का तमगा इन्हें प्राप्त हो गया l एक उदाहरण और है-इस बार मतदाता सूची में हजारों मतदाता कम हो गए l यानि सिस्टम ने ये मान लिया कि प्रतापगढ़ में मतदाता सूची में काफी गड़बड़िया थी,जिसे काफी दुरुस्त किया गया lचुनाव जीतने के बाद नितिन गडकरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हटते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर राजनाथ सिंह के बैठते ही हरि प्रताप सिंह की भाजपा में पुनः वापसी हो गई l हरि प्रताप सिंह फिर से विधानसभा का टिकट माँगने लगे और सीट गठबंधन में जाने पर इतने झल्ला गए कि पार्टी को लात मार मृतप्राय कांग्रेस में जा पहुंचे और वहां बात न बनी तो फिर सदर प्रतापगढ़ से निर्दलीय नामांकन कर डाले l अपनी गलती का एहसास हुआ तो नामांकन वापस ले लिए और फिर से भाजपाई हो गए lक्या कैसे स्वार्थी व सत्ता लोलुप ब्यक्ति को भाजपा निकाय चुनाव में सिर्फ इसलिए टिकट दे दे कि वो किसी पूर्व भाजपाई नेता के दामाद हैं अथवा वो धनपशुओं वाली श्रृखंला में आते हैं...? या परिवार व वंशवाद के दायरे में आते हैं...? कहाँ गया भाजपा में असली लोकतंत्र और विचारधारा जिसके लिए भाजपा ढिढोरा पीटती है l
हरि प्रताप सिंह की पत्नी को इसलिए भाजपा टिकट दे दे क्योंकि उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वो फिर से बागी हो जायेंगे l यदि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में जरा भी नैतिकता है तो ऐसे स्वार्थी लोंगो को टिकट नहीं देना चाहिए l चाहे पार्टी सीट जीते या हार जाए l चूँकि वो ब्यक्ति भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर टिकट बेंचने का आरोप लगाया जिसे भाजपा रंक से राजा बना दिया l 3बार विधानसभा और 3बार नपाध्यक्ष का जिसे टिकट मिला हो यदि वो टिकट खरीदने और बेंचने का आरोप लगाए तो उसे अपने 6 बार का हिसाब पहले दे देना चाहिए कि उन्होंने कितने में खरीदा था...? जब नगर पालिका की सीट महिला खाते में चली गई तो काशी प्रान्त सहित आर एस एस एवं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के यहाँ सिर्फ एक तान कि मेरा टिकट काटा गया तो मैं निर्दलीय चुनाव जीत लिया.शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपना नामांकन वापस लिया तो टिकट की पहली दावेदारी उनकी बनती है l उधर बात जब बिगड़ने लगी तो ससुराल पक्ष से कल्याण सिंह की सरकार में कारागार मंत्री उमानाथ सिंह के पुत्र वर्तमान सांसद जौनपुर के.पी.सिंह भी अपनी बहन के लिए पार्टी में अपनी पकड़ इस्तेमाल शुरू किया l श्रीहरि अपने ससुर स्व. उमानाथ सिंह के नाम की दुहाई देकर उनके करीबी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को इस्तेमाल किया और विरोध कर रहे श्रीहरि के पारिवारिक भाई राजेंद्र प्रताप सिंह "मोती सिंह" को विरोध के स्वर बदलवाने में सफल रहे...!!!

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