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मंगलवार, 14 नवंबर 2017

पूर्व नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह का टैक्स घोटाला

प्रतापगढ़ के लालची और मूर्ख शहरी जरा नपाध्यक्ष प्रेमलता सिंह और उनके पति पूर्व चेयरमैन हरि प्रताप की गृहकर और जलकर की चोरी भी देख लो, जो दूसरों को नोटिस और आरसी भेजवाते हैं और अपना सीनाजोरी के साथ कर रहे हैं, टैक्स की चोरी...!!!


नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह का शीश महल जिसमें वो परिवार सहित रहते हैं,सदर मोड़ पर NH पर अतिक्रमण कर बेसमेंट सहित डबल स्टोरी की बनी बिल्डिंग का भवनकर व जलकर देखकर ताज्जुब होता है कि जब चेयरमैन का इतना कम टैक्स है तो अन्य नगरवासियों का इतना अधिक मनमाना टैक्स क्यों...???


 घोटालेबाज नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह....

20 वर्षों में नगरपालिका और अनाज की कालाबाजारी कर एक जीप चालक से अरबपति बने पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष की ईमानदारी की नमूना यहाँ पेश करता हूँ l ये रिकार्ड कोई किराना की दुकान से से खरीदा नहीं गया,बल्कि नगरपालिका के भवनकर और जलकर वसूल करने के लिए बनाये गए डिमांड रजिस्टर की छायाप्रति है l 25 वार्डों वाली नगरपालिका में भवनकर और जलकर वसूल करने के लिए खुद पूर्व नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह ने अपनी बुद्धिमत्ता से एक उपविधि का निर्माण किया l उपविधि में ये तय किया गया कि जो सम्पत्ति कोई बैनामे से खरीदता है,उसका जिलाधिकारी की सर्किल रेट से जो मूल्यांकन स्टाम्प देने के लिए निर्धारित रहता है,उसी रेट पर उसी मूल्यांकन का 5%नगरपालिका ने अपने भवनकर और जलकर वसूलने के लिए तय किये l

पूर्व नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह का टैक्स घोटाला... 

चूँकि भवन कर 5%और जलकर 12% वसूल किये जाने का प्रावधान है l अब पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष जिनका पूरा परिवार जनपद प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के सर्वजीतपुर गाँव से नगरपालिका के वार्ड अजित नगर में किराए पर आकर शहरी जीवन जीना शुरू किया l पूर्व नपाध्यक्ष द्वारा निश्चित रूप से जितनी भी प्रापर्टी आज मौजूद है,उसे खरीदकर ही बनाई गई l शुरुआत करते हैं, उस मकान के टैक्स से जिसमें नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह सपरिवार किराए पर रहते थे और आज उसके वो स्वामी बन चुके हैं l उसका बैनामा उन्होंने अपने पिता स्व.जगदीश बहादुर सिंह पुत्र स्व.राज बहादुर सिंह के नाम से बैनामा लिया l


पहला सवाल ये उठता है कि क्या नगरपालिका के अध्यक्ष को अपने मकान के भवनकर और जलकर की चोरी करने का अधिकार है...? यदि है,तो बहुत अच्छा और यदि नहीं है तो पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अपनी ही बनाई उपविधि को लागू करने में अपने भवन के टैक्स पर लागू न कर लाखो रुपए की टैक्स चोरी किये हैं l इतने बड़े रिहायसी मकान में सिर्फ 63/रुपए भवन कर और 150/रूपए जलकर लगा है l अभी दुसरे का भवन होता तो इसी का टैक्स 5000/रुपए से भी अधिक लगा होता l

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