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सोमवार, 6 नवंबर 2017

पंडित हृदय नारायण मिश्र की हृदय गति रुकने से हुई मौत...!!!

पारिवार को एक सूत्र में बाँधे रखने के महारथी थे,पंडित हृदय नारायण मिश्र 
पंडित हृदय नारायण मिश्र 
प्रतापगढ़। जगवंती प्रेस के स्वामी रहे पंडित हृदय नारायण मिश्र उम्र-80 वर्ष की बीती मध्य रात्रि 12 बजे सीने में दर्द उठा तो परिजन उन्हें इलाहाबाद सरस्वती हर्ट सेंटर लेकर भागे जहां हृदय गति रुकने से उनकी सांसे थम गई और वो हमेशा के लिये चिर निद्रा में लीन हो गए। परिजन उनके पार्थिव शरीर को लेकर शहर आवास 10-बलीपुर,प्रतापगढ़ लौट आए। उनका अंतिम दर्शन करने के लिये 10 बलीपुर,प्रतापगढ़ उनके आवास पर उनका पार्थिव शरीर रखा गया है। उनकी मौत की खबर सुनकर शहर और उनसे जुड़े लोग स्तब्ध हैं। काफी लोग उनके अंतिम दर्शन करने उनके आवास पहुंच रहे हैं। श्री हृदय नारायण मिश्र बहुत ही बौद्धिक व्यक्तियों में से रहे। चौक कचेहरी रोड़ पर राजकीय इंटर कालेज के सामने जगवंती प्रेस प्रतिष्ठान स्थापित किया था। जगवन्ती उनकी माँ का नाम रहा। इस प्रतिष्ठान पर वो स्वयं बैठते थे। श्री मिश्र के 3 पुत्र और 4 पुत्रियां हैं। बड़े बेटे शैलेन्द्र नाथ मिश्र "पप्पू",मझले बेटे शक्तेंद्र नाथ मिश्र "रामू" और छोटे बेटे शिवेंद्र नाथ मिश्र "गुड्डू" हैं, जिन्हें श्री मिश्र अपने हिसाब से अलग-अलग व्यवस्था करते हुए उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठान को सुव्यवस्थित कराकर खुद सामाजिक और धार्मिक कार्यों में कई वर्ष पहले अपने को लगा लिया। 
ह्रदय नारायण की ह्रदय गति रुकने से हुई मौत...
जगवन्ती प्रेस पर बड़े पुत्र शैलेंद्र नाथ मिश्र तो जिला महिला अस्पताल के सामने मिश्रा बुक डिपो पर रामू और बलीपुर आवास के पास दत्ता ट्रेडर्स पर छोटे पुत्र गुड्डू को व्यवसाय में सुव्यवस्थित कर दिया था। आवास पर ही जगवन्ती पेट्रोल पम्प स्थापित कराकर अपने बड़े पौत्र देवव्रत मिश्र "गब्बू" को सुव्यवस्थित किया। लक्ष्मी कॉम्पेक्स में जगवन्ती फ्लैक्स मशीन भी स्थापित कराकर जिले में श्री मिश्र जी ने काफी नाम कमाया। बलीपुर आवास पर बाई साँई नाथ का मंदिर स्थापित कर श्री मिश्र पूरी तरह भक्ति भाव में लीन हो गए। 80 वर्ष के श्री मिश्र सुबह कम्पनी बाग टहलने जाया करते थे और पूर्णतः अपने आप में स्वस्थ थे। वो अभी वैगन आर खुद चलाकर सब्जी आदि खरीदने सुबह शाम कम्पनी बाग जाया करते थे। श्री मिश्र जी बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे। बड़े पौत्र गब्बू से उनका बहुत लगाव रहता था। कहते थे आजा और नाती की भैवादी होती है। अपने अर्धांग्नी के साथ कभी-कभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानो का निरीक्षण करने निकल पड़ते थे। श्री मिश्र अपने पीछे पूरा भरा पुरा परिवार छोड़ स्वयं आज ब्रम्ह्लीन हो गए। उनकी मौत से समाज को बहुत बड़ी हानि हुई। श्री मिश्र के परिजनों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें। मैं रमेश तिवारी "राज़दार" श्री हृदय नारायण मिश्र की आत्मा को प्रणाम करता हूँ और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि श्री मिश्र की आत्मा को शांति प्रदान करें...!!!

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