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रविवार, 12 नवंबर 2017

BJP में ब्राह्मणों की स्थिति सब्जी में आलू जैसी


 BJPप्रदेशध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय 
प्रदेशध्यक्ष जैसे पद का मुखौटा बनाकर रखने से बेहतर होता कि भाजपा के प्रदेशध्यक्ष पद पर केशव प्रसाद मौर्य को रहने दिया जाता। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी उसमें अपने ही नेताओं के पर काटने की ब्यवस्था शुरू से रही है। जब कोई पीछे पंक्ति का नेता आगे बढ़ने लगता है तो उसका पर उसके बड़े नेता ही कतर देते हैं। जब दिल्ली विधानसभा में भाजपा की सरकार में टमाटर और प्याज के दाम इतने बढ़ गए कि दिल्ली सरकार उसे रोकने में नाकाम रही और उसी नाकामी को सँभालने के लिए सुषमा स्वराज को दिल्ली की मुख्यमंत्री की गद्दी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें सौंप कर उनके राजनीतिक कार्यकुशलता की अग्नि परीक्षा ली थी। उस अग्नि परीक्षा में उन्हें शहीद होना तय था,फिर उन्हें सोनिया गांधी के विरुद्ध बेल्लारी से लोकसभा का चुनाव लड़ाकर उनके दूसरे पर को भी कतर देने की ब्यवस्था पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने बना दी। 
सूबे में भाजपा की स्थिति...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को कतरने के लिए राजनाथ सिंह की लॉबी प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी और संगठन के सर्वेसर्वा रहे एल के आडवाणी से कहकर पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर राम प्रकाश गुप्त को बैठा दिया गया, फिर पहले से तैयार योजना के तहत 6 माह बाद राजनाथ सिंह खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली थी। उ.प्र.में भाजपा का सत्यानाश यदि किसी ने किया तो वो राजनाथ सिंह ही हैं,जिनकी अति महत्वाकांक्षा ने उत्तर प्रदेश से भाजपा को साफ कर दिया ऐसे ही मध्य प्रदेश में उमा भारती के साथ किया गया था। वर्तमान के परिदृश्य में समूचे देश में पिछड़ी जाति का बोलबाला है। देश में जातिवाद, सम्प्रदायवाद,क्षेत्रवाद से हटकर राजनीतिक दल विकासवाद को आगे लाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। भाजपा में जब से मोदी और अमित शाह का राज हुआ है तब से विकासवाद की बात तो की जाती है,परन्तु जब चुनाव की बेला आती है तो वो भी सत्ता पाने के लिए वो भी अन्य दलों की तरह उसी जातिवाद,सम्प्रदायवाद,क्षेत्रवाद में फंस जाती है और उसी रास्ते बेड़ा पार होने की जुगत करती है। 
 योगीराज...
विधानसभा चुनाव-2017 से पहले पिछड़ी जाति को लुभाने के लिए भाजपा ने फूलपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य रहे केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेशध्यक्ष की कमान सौंपी। भाजपा को अप्रत्याशित सफलता भी प्राप्त हुई।केशव प्रसाद मौर्य को सूबे की योगी सरकार में डिप्टी सी एम बनाया गया तो लगा कि भाजपा अब ये पद किसी अनुसूचित जाति को दे सकती है। योगी सरकार के बनते ही सूबे में अपराध पर अपेक्षित कमी न आने और रायबरेली में 5 ब्राम्हणों को जलाकर मारने पर जब प्रदेश से लेकर देश की संसद तक मामला गरमाया तो HRD मिनिस्ट्री से डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय को हटाकर सूबे की कमान उन्हें सौंपी गई। भाजपा के इस कदम से ऐसा प्रतीत होता है कि ब्राह्मण भाजपा से कट रहा था और सूबे में निकाय चुनाव होना था। इसी लिहाज से प्रदेश की कमान डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय को दी गई कि भाजपा से ब्राम्हण विदकने न पाए।  
 समाज में ब्राह्मणों की स्थिति... 
ब्राह्मणों को सभी राजनीतिक दल आलू समझ रखे हैं। उन्हें चाहे जिस सब्जी में डालों...! चूँकि ब्राह्मणों में और जातियों की तरह एकता नहीं है। ब्राह्मण मतदाता मूर्ख है,क्या ? मंत्री बनना होगा तो क्षत्रिय को बनाया जायेगा। राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को पार्टी में सीनियर होने के नाते भाजपा से मंत्री बना दिया गया। राष्ट्रीय नेतृत्व के दबाव में राष्ट्रीय सचिव/असम प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह को मंत्री बनाया गया। बसपा से भाजपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य को पिछड़ी जाति की वजह से मंत्री बनाया गया। विधान सभा की दो सीट गठबंधन में देकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व उसे भी अपना उम्मीदवार देकर पिछड़ी जाति के हवाले करा दिया। लोकसभा भी गठबंधन में देकर धनपशु कुंवर हरिवंश सिंह के हाथ बेंच दिया गया। विधान सभा चुनाव से पहले प्रदेशध्यक्ष को पिछड़ी जाति से वोटबैंक के नाते केशव प्रसाद मौर्य को बना दिया। 
 स्वामी विवेकानंद...
भाजपा की जनपद प्रतापगढ़ में 7 विधान सभा में एक रिजर्व विधानसभा बाबागंज और दूसरी विधानसभा कुंडा और तीसरी विधानसभा रामपुरखास में डमी उम्मीदवार देकर भाजपा का बेड़ागर्क कर रही हैं। नगरपालिका चुनाव में भ्रष्टचार के आरोप में नपाध्यक्ष पद से बर्खास्त रहे और विधानसभा-2017 में भाजपा से टिकट न पाने की दशा में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर टिकट बेंचने का आरोप लगाकर जो ब्यक्ति पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चला गया और टिकट न मिला तो सदर विधानसभा से निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर पार्टी की छीछालेदर कराने वाले व्यक्ति को भाजपा ने पार्टी में फिर से शामिल किया और उसी की पत्नी को नपाध्यक्ष पद का टिकट दिया गया। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हिमांचल और गुजरात में फंसा था। नामांकन शुरू होने के बाद निकाय चुनाव का टिकट बाँटा गया। 
 ब्राह्मण अराध्य देव भगवान परशुराम...
भाजपा प्रदेशध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया तो गया,परन्तु निकाय चुनाव-2017 के टिकट बंटवारे में उनकी न चलने की खबर छनकर आ रही है यदि ये खबर सत्य है तो भाजपा प्रदेशध्यक्ष के लिए ये बड़ी बात है। तब तो भाजपा प्रदेशध्यक्ष की कुर्सी पर एक ब्राह्मण नहीं बल्कि ब्राह्मण के रूप में सिर्फ उसका मुखौटा है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व क्या डॉ पाण्डेय जी को सिर्फ रबर स्टैम्प बनाकर रखना चाहती है और ब्राह्मण के नाम पर निकाय चुनाव और लोकसभा-2019 में ब्राह्मणों से अपना सिर्फ मत चाहती है। भाजपा में सूबे का प्रभारी तो ओम प्रकाश माथुर को बनाया गया परन्तु सारा कार्य सुनील बंसल प्रदेश के महासचिव से लिया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का एक खास ब्यक्ति सुनील ओझा है,जिस पर विधान सभा में टिकट का पैसा वसूलने का आरोप भी लगा था। बीजेपी में वर्तमान परिवेश में यही दोनों संगठन के पदाधिकारी हैं,जिनकी तूती बोल रही है। बाकी सबके सब ढक्कन बन चुके हैं। प्रदेशध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय और ओम प्रकाश माथुर भी सिर्फ ब्राह्मणों के मुखौटे हैं। सूबे के विधानसभा चुनाव में ही ओम प्रकाश माथुर को किनारे कर दिया गया था। टिकट बंटवारे में जब उनकी नहीं चली तो वो शांत हो गए थे
प्रदेश प्रभारी ओ पी माथुर,प्रदेशध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय,प्रदेश के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और संगठन में शीर्ष नेतृत्व के खास सुनील ओझा...
इस बात की जानकारी जब आम हुई कि डॉ महेंद्र पाण्डेय की स्थिति इतनी ख़राब है कि जनपद प्रतापगढ़ में भाजपा जिला कार्यालय पर उनकी एक अदद पोस्टर व बैनर तक नहीं लगाया गया,जिसमें उनकी फोटो लगी हो। कल जब निकाय चुनाव में नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए केन्द्रीय कार्यालय का उद्घाटन करने की बात आई तो जनपद मुख्यालय पर भाजपा जिला कार्यालय को चुना गया और डॉ पाण्डेय जी के कर कमलों से उसका उद्घाटन कराने का कार्यक्रम लगा तब जाकर उनका बैनर और पोस्टर लगाया गया। भाजपा जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी की फोटो अध्यक्ष और सभासद का हर संभावित उम्मीदवार लगाता था। जो उम्मीदवार होर्डिंग्स व बैनर में ओम प्रकाश त्रिपाठी की फोटो न लगाता तो उसकी अलग से क्लास लगाकर नाराजगी जताते, परंतु एक होर्डिग प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भाजपा कार्यालय में कल तक नहीं लगी थी और यदि उनका कार्यक्रम जनपद में न लगता तो ये कार्य कल भी न हुआ होता   

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