नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ के अध्यक्ष के रूप में श्रीराम लीला समिति, प्रतापगढ़ के पदाधिकारियों ने आमंत्रण कार्ड में हरि प्रताप सिंह के नाम का किया है,उल्लेख...!!!
8 अगस्त को हरि प्रताप सिंह का कार्यकाल खत्म हुआ तो किस अधिकार से श्रीराम लीला समिति,प्रतापगढ़ हरि प्रताप सिंह को नपाध्यक्ष का दिया, अधिकार...???
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राजेंद्र कुमार मौर्य,नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह अब पद पर नहीं रहे। फिर भी ये और इनके चाटुकार अलख जगाए हैं... |
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जिम्मेवार की सूची बड़ी फिर भी भयानक चूक... |
श्रीरामलीला समिति,प्रतापगढ़ के संरक्षक रहे स्व.महादेव केसरवानी को उक्त बात की जानकारी हुई तो उन्होंने इसका विरोध कर चिलबिला के उन युवकों पर मुकदमा लिखवा दिया जो बिना रजिस्टर्ड संस्था के एक ही दिन प्रतापगढ़ के ऐतिहासिक भरत मिलाप में खलल यानि विघ्न पैदा कर चिलबिला में अलग से भरत मिलाप कराया। फिलहाल बाद में दोनों गुटों में बैठक हुई और अंदर का मलाल निकाल मामले को खत्म कर दिया गया। परंतु मान मनौवल होने के बाद भी चिलबिला के उन युवकों ने अपनी एक अलग संस्था बना डाली। संस्था के नाम में लेशमात्र का सिर्फ नाम में संशोधन किया। नई संस्था का नाम श्रीरामलीला सेवा समिति,चिलबिला,प्रतापगढ़ रखा गया l उक्त रजिस्टर्ड संस्था जो विगत 3 वर्ष पहले श्रीरामलीला समिति प्रतापगढ़ के पदाधिकारियों से नाराज होकर नई संस्था के रूप में बनाई गई और उसके पदाधिकारी अपने नाम का उल्लेख स्वयं किये हुए हैं। पहली बार बिना किसी सूचना के बिना रजिस्टर्ड संस्था के ही चिलबिला के ऊर्जावान युवकों ने भरत मिलाप का आयोजन चिलबिला का अलग से कराकर अपना वजूद प्रतापगढ़ की सबसे पुरानी संस्था श्रीरामलीला समिति,प्रतापगढ़ के पदाधिकारियों को बता दिया कि बिना चिलबिला के सहयोग के भरत मिलाप सम्भव नहीं है...!!!
विगत 3 वर्षों से दोनों समितियों में एक सहमति बनी की दोनों संस्था के पदाधिकारियों द्वारा भरत मिलाप मेले के आयोजन में अपना-अपना सहयोग अपने-अपने ढंग से कर भरत मिलाप के ऐतिहासिक मेले के आयोजन को सफल बनायेंगे l दोनों संस्था के पदाधिकारी अलग-अलग चंदा वसूलते हैं और अलग-अलग आमंत्रण कार्ड भी छपवाते हैं l दोनों संस्थाओं में एक समानता और देखने को मिली l श्रीरामलीला समिति,प्रतापगढ़ और चिलबिला की नई संस्था श्रीरामलीला सेवा समिति, चिलबिला,प्रतापगढ़ के पदाधिकारियों ने अपने-अपने आमंत्रण कार्ड में चाटुकारिता वश अथवा अज्ञानता वश कुछ लोगों के नाम के आगे उनके पदनाम को भी छपवाया l वो आमंत्रण कार्ड छपवाते वक्त भूल गए कि जिसका पदनाम छपवाया जा रहा है, क्या ये वर्तमान में उस पद पर आरूढ़ है...??? दोनों समितियों के पदाधिकारियों ने सब गुड़ गोबर कर दिया। इससे यही प्रतीत होता है कि दोनों नई और पुरानी समितियों में जानकार लोंगो को समिति में स्थान नहीं दिया जाता l एको अहम, द्वितीयोनास्ति वाली भावना से दोनों समितियों के पदाधिकारीगण ग्रसित हैं... !!!
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