निकाय चुनाव की सरगर्मियों के बीच प्रतापगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष पद की सीट महिला सामान्य होने से बहुत से उम्मीदवार सिर्फ होर्डिंग्स और फेसबुकिया उम्मीदवार तक अपने को रखने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। नगर पालिका प्रतापगढ़ के अध्यक्ष पद की सीट महिला सामान्य के खाते में जाने से 20 वर्षों से लगातार अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठे श्रीहरि भी इस बार सकते में हैं...! जैसे ही नपा अध्यक्ष पद की सीट समान्य महिला होने की सूचना उन्हें मिली तो वो अपने तथाकथित मुनीम जी के नेतृत्व में एक बैठक बुलाई है,जिसका मुख्य उदेश्य इस बार नपा अध्यक्ष पद की सीट महिला सामान्य हो जाने की दशा में क्या उन्हें नगरपालिका अध्यक्ष पद पर अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाना उचित रहेगा अथवा नहीं..??
चूँकि बतौर अध्यक्ष रहते हुए श्रीहरि को पता है कि सभासद पत्नियों की तरह अध्यक्ष का पत्नी पद ठीक नहीं। क्योंकि बोर्ड की बैठक में पत्नी अध्यक्ष के पतिदेव सभासदों की तरह बोर्ड की बैठक में भाग नहीं ले सकते और बोर्ड बैठक भी नहीं करा सकते। पत्नी अध्यक्ष को अपनी काबिलियत पर नगर पालिका बोर्ड की बैठक समेत तमाम कार्यवाही स्वयं करनी होगी। सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय व प्रशानिक शक्ति का प्रयोग करना होता है,जो कम जानकार लोगों के लिये कठिन काम है। पूर्व अध्यक्ष सहित बहुत से उम्मीदवारों के मंसूबों पर पानी फिर गया। कई राजनीतिक व्यक्ति अपनी पत्नी को राजनीतिक नहीं बनाना चाहते तो कई राजनीतिक व्यक्तियों के पास अपनी पत्नी नहीं हैं और वो दूसरी महिला पर भरोसा कर अपना राजनीतिक दाँव नहीं लगा सकते। उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा यौवनावस्था में विधवा हो गई और वो विधुर हो गए। उनकी राजनीतिक भैंस,पानी में चली गई...!!!
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