सूबे के वर्तमान मंत्रिमंडल में प्रतापगढ़ के दो कबीना मंत्री हैं॥ दोनों मंत्री की एक - एक बार मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल से छुट्टी भी की थी॥ दोनों के ऊपर क्षेत्र में अराजकता फैलाने का आरोप रहा॥ दोनों मंत्रियों को दुबारा शपथ दिलाई गई॥ एक को मंत्री बनाने के बाद मुख्यमंत्री ने धीरे से पर कतर दिया॥ दोनों को दुबारा मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी॥ जानबूझकर कई बार भाजपा नेताओं से मिलने की ख़बर मीडिया में चलवाई गई॥ तब जाकर सफलता मिली॥
चुनाव खोपड़ी पर सवार फिर भी एक योजना के तहत मंत्रिमंडल में पहले से स्थान पाए मंत्री ने दूसरे पूर्व मंत्री को पिता और भाई वाले खेमे से पैरवी कराकर मंत्रिमंडल में स्थान दिला दिया॥ वजह भाजपा में उनके बार - बार जाने की अटकलों पर विराम लगा दिया॥ इससे भाजपा के भावी उम्मीदवारों ने राहत की सांस ली॥ अब जब सूबे में सियासी संकट मुंह फाड़ कर खड़ा हुआ तो दोनों मंत्री भी अपने - अपने सियासी लाभ के मद्दे नज़र सपा के दोनों गुटों में बंटते नज़र आए॥ एक मंत्री बेटे से मिला तो दूसरा चाचा से॥ ऐसे माहौल में जिले के 2 विधायकों की स्थिति भी मामा मारीच की तरह हो गई है॥ इधर गिरे तो कुआँ और उधर गिरे तो खाई॥
एक विधायक के यहाँ साढ़े चार वर्ष में 3 बार सूबे के मुखिया आकर उन पर अपना ठप्पा लगा चुके हैं॥ पिछले बार उनको चाचा ने चिन्हित भी किया था और तभी से उनका टिकट कटने का अनुमान लगाया जा रहा था॥ एक विधायक पटेल बिरादरी का है और वह भी चाचा और पिता के खेमे का माना जाता रहा है॥ एक नेता जिले में उप चुनाव में वर्ष 14 की सीट गवाने के बाद भी पहली सूची में उनका नाम आया था, उनके लिये भी धर्म संकट उत्पन्न हो गया है॥ पार्टी के पदाधिकारियों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है॥ सोशल मीडिया पर भी उन्हें साँप सूँघ गया है॥सभी को मुंह चुराना पड़ रहा है॥ एक विधायक का मीडिया प्रभारी तो आँख मूंदकर हर मामले में कूद पड़ता था॥ उन्हें भी साँप सूँघ गया॥
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें