टाइम्स नाऊ नमक अंग्रेजी न्यूज़ चैनल को दिए ताज़ा इंटरव्यू में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भ्रष्टाचार से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा “बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो दिखाई नहीं देतीं हैं। कोई इस चीज़ को नहीं समझ सकता कि मैं किस तरह की गंदगी का सामना कर रहा हूं। जो काम कर रहा है, उसी को पता है कि कितनी गंदगी है। इसके पीछे कई तरह की ताकतें हैं।”
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पहले साक्षात्कार में खुलकर बोले पी एम मोदी...
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार से स्मृति ईरानी को झटका लगा है। उनसे केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय वापस ले लिया गया है। अब स्मृति कपड़ा मंत्रालय संभालेंगी। बढि़या प्रदर्शन के कारण प्रकाश जावडेकर को मानव संसाधन मंत्री बना दिया गया है। हालांकि अब यह बात भी सामने आ गई है कि स्मृति पर यह एक्शन किसके कहने से लिया गया।
इंटरव्यू में मोदी ने कहा, इस देश में भ्रष्टाचार्य है...!!! नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार से स्मृति ईरानी को झटका लगा है। उनसे केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय वापस ले लिया गया है। अब स्मृति कपड़ा मंत्रालय संभालेंगी। बढि़या प्रदर्शन के कारण प्रकाश जावडेकर को मानव संसाधन मंत्री बना दिया गया है। हालांकि अब यह बात भी सामने आ गई है कि स्मृति पर यह एक्शन किसके कहने से लिया गया। इंटरव्यू में मोदी ने आगे बोला कि करप्शन भारत में आरम्भ से ही चर्चा एवं आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है और हाल ही के समय में यह चुनावों का भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन कर उभरा है। दरअसल, समस्या कोई भी हो उसका हल ढूंढा जा सकता है, किन्तु सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है।जब लोग उसे समस्या मानना बंद कर दें और उसे स्वीकार करने लगें। हमारे देश की सबसे बड़ी चुनौती आज भ्रष्टाचार न होकर लोगों की यह मानसिकता हो गई है कि वे इस को सिस्टम का हिस्सा मानने लगे हैं। हालांकि रिश्वतखोरी से निपटने के लिए हमारे यहां विशाल नौकरशाही का ढांचा खड़ा है, लेकिन सच्चाई यह है कि शायद इसकी जड़ें देश में काफी गहरी पैठ बना चुकी हैं। आचार्य चाणक्य ने कहा था कि जिस प्रकार जल के भीतर रहने वाली मछली जल पीती है या नहीं यह पता लगाना कठिन है। उसी प्रकार सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट आचरण करते है या नहीं यह पता लगाना एक कठिन कार्य है।यह अकेले भारत की नहीं अपितु एक विश्व व्यापी समस्या है और चूंकी इसकी उत्पत्ति नैतिक पतन से होती है, इसका समाधान भी नैतिक चेतना से ही हो सकता है। किसी भी प्रकार के अनैतिक आचरण की उत्पत्ति की बात करें, तो नैतिकता के अभाव में मनुष्य का आचरण भ्रष्ट होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
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