कार्यालय-जिला निर्वाचन अधिकारी, प्रतापगढ़ का सूरत-ए-हाल....!!!
###.....मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में तैनात एक रिश्तेदार अधिकारी के बल पर 19 वर्ष से जमे हैं,कार्यालय के बाबू...!!!
$$$.....मीडिया एक पक्ष की ख़बरें तो प्रकाशित करता रहा, परन्तु दूसरा पक्ष जो घपले और घोटालों का रहा, उसे छुआ तक नहीं, ये कैसी पत्रकारिता....???
ओ एस डी हाज़ी अतीक अहमद सिद्धीकी |
प्रतापगढ़ - कार्यालय - जिला निर्वाचन अधिकारी,प्रतापगढ़ की चर्चा सिर्फ चुनाव के समय ही हुआ करती थी, परन्तु इन दिनों जिला निर्वाचन कार्यालय विन चुनाव के ही सुर्ख़ियों में बना हुआ है। वजह रही कार्यालय में लुटेरे किस्म के हाकिम के आने से। उसके आते ही कार्यालय में तैनात कर्मचारियों में सामंजस्य इस कदर बिगड़ा कि वो सरकारी दफ्तर कम और कुश्ती लड़ने का अखाड़ा अधिक हो गया l सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने आते ही "फूट डालो और राज करो" वाला सिद्धांत के तहत कार्य करने की शुरुवात की। जिससे स्थिति ख़राब होती गई। ये तो शुक्र इस बात का है कि इस कार्यालय का सम्बन्ध सीधे जनता के सरोकार से नहीं है। सिर्फ चुनाव तक ही चुनाव कार्यालय में जनता का आना - जाना हुआ करता है।
जनता का सीधे सरोकार न होने से ये कार्यालय, चुनाव के सम्पन्न होने के बाद शिथिल हो जाया करता था, परन्तु स्थानीय कर्मचारियों के बीच मचे अंतर्कलह से वर्तमान में वहां पर हो रहे सभी खेल खुलकर सामने आने लगे। स्थिति इतनी ख़राब हुई कि सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने विरादरीवाद फैलाकर जनपद के जनप्रतिनिधियों को भी अपनी आंतरिक लड़ाई में उन्हें शामिल कर लिया। जनप्रतिनिधियों से अपने कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत कराकर उनसे धनादोहन करने की रणनीति सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने बनाई। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी की योजना पूर्णतः सफल नहीं हुई तो इस लड़ाई में मीडिया के कुछ लोंगों को भी शामिल कर लिया गया। मीडिया में भी विरादरीवाद की दुहाई दी गई।
यूं तो कहने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालयों पर सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी की तैनाती का आदेश कार्यालय - मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ. प्र. लखनऊ से होता है,परन्तु उसका कार्य के संचालन की सभी शक्ति जिला निर्वाचन अधिकारी यानि जिलाधिकारी के अधीन रहता है । मुख्य निर्वाचन अधिकारी उ. प्र. लखनऊ, भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली से प्राप्त शक्ति एवं सभी संवैधानिक अधिकार जिलाधिकारी के पास होते हैं, जिन्हें जिलाधिकारी द्वारा अपनी शक्ति एवं सभी संवैधानिक अधिकारों को जिलाधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी/अपर जिलाधिकारी को प्रदान कर सारे प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों से सम्बंधित कार्य संपादित कराते हैं।
जनपद उन्नाव से पदोन्नति प्राप्त कर 20 अक्टूबर, 2012 को जनपद प्रतापगढ़ में सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी, के पद पर श्री कमलेश कुमार की तैनाती हुई तो आते ही ऑफिस में तैनात बाबुओं के कार्यों में उन्होंने दखल देना शुरू किया और स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के बीच इतना तनाव हो गया कि दफ्तर कम, अखाड़ा अधिक हो गया l इस बात की जानकारी जब जिला निर्वाचन अधिकारी/जिला अधिकारी एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी/अपर जिलाधिकारी को हुई तो सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी को बुलाकर इस तरह के कार्य पर रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश भी दिए, परन्तु सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कमलेश कुमार जो भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे थे, उनकी आदत में कोई सुधार नहीं है l
स्थिति तनावपूर्ण होती गई l अंततोगत्वा एक - दूसरे की शिकायत भी कार्यालय - मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ. प्र.लखनऊ पहुँचने लगी l इसीबीच खुर्शीद अहमद का तवादला कार्यालय - मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ. प्र.लखनऊ के पत्रांक संख्या - 04/सी ई ओ -1-दिनांक 1-1-2016 के द्वारा जनपद कौशाम्बी के लिए हो गया, जिन्हें मार्च में रिलीव किया गया l मजे की बात ये रही रही कि महज 4 माह में ही प्रतापगढ़ से कौशाम्बी गए खुर्शीद अहमद को कार्यालय - मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ. प्र.लखनऊ के पत्रांक संख्या - 1328/सी ई ओ -1-दिनांक 15-6-2016 के द्वारा जनपद कौशाम्बी से प्रतापगढ़ वापस कर दिया गया l
प्रतापगढ़ में तैनात श्री जगदीश शर्मा को प्रतापगढ़ से दूसरे आदेश दिनांक -17-06-2016 कौशाम्बी कर दिया गया l जबकि जनपद इलाहाबाद में 5 वर्ष का कार्यकाल बिताकर जनपद प्रतापगढ़ में माह जनवरी, 2013 को स्थानांतरित होकर आए थे l वहीं फिरोज अहमद 19 वर्ष से व अनूप श्रीवास्तव 16 वर्ष से जनपद प्रतापगढ़ में जमे हैं l सर्विस में आने से पूर्व अनूप श्रीवास्तव भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाते रहे और नगर मंत्री जैसे पद का दायित्व भी संभालने का कार्य उनके द्वारा सम्पन्न किया गया l आज भी निर्वाचन विभाग में नौकरी करते हुए अनूप श्रीवास्तव की आस्था अपने पूर्व पार्टी के प्रति बनी हुई है l इस ख़ास पार्टी के नेताओं के इशारे पर निर्वाचन विभाग में उल्टे - सीधे कार्य करने का जज्बा आज भी अनूप श्रीवास्तव रखता है l
सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी, प्रतापगढ़ श्री कमलेश कुमार ने जब सारी हदें पार कर दी तब मजबूर होकर जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ द्वारा डी ओ लेटर तक लिखना पड़ा l इस डी ओ लेटर से अतीक अहमद का सारा प्लान चौपट हो गया l अन्त में कमलेश कुमार का तवादला दिनांक - 30-06 - 16 को फैजाबाद जनपद किया गया और उन्हें जनपद से 4 जुलाई को रिलीव भी कर दिया गया l जहाँ सिद्धिकी साहेब का दूसरा भतीजा तौसीफ अहमद कार्यरत है l कमलेश कुमार जनपद स्तरीय अधिकारी का प्रमोशन भले ही प्राप्त कर लिए हों परन्तु आज भी वह अंधविश्वास में जीते हैं l प्रतापगढ़ की बात करें तो जिला निर्वाचन अधिकारी का कार्यालय मीराभवन के आगे ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने के कारण कमलेश कुमार कार्यालय में ही अपना निवास भी बना रखा था और अपना आवासीय भत्ता भी लेते रहे l
रात्रि में अंधविश्वास में आस्था रखने वाले लोग कमलेश कुमार के चंगुल में फंसकर रात्रि में कार्यालय के भीतर झाड़ - फूंक कराते रहे और गोपनीय दस्तावेज को परवाह किये वगैर कार्यालय में ही झाड़ - फूंक के साथ हवन क्रिया भी कराई जाती रही l कमलेश कुमार वर्ष 2013 एक वेतन बृद्धि भी गलत ढंग से ले लिया,जब इसकी जानकारी कार्यालय के अन्य कर्मचारियों को हुई तो इसी खिसियाहट में वह कार्यालय में "फूट डालों और राज करो" की शुरुवात कर अपने भ्रष्टाचार को पचाने में जुट गया l इसकी शुरुवात अनूप श्रीवास्तव से हुई l अनूप श्रीवास्तव जिन्हें वर्ष 2013 में प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी, परन्तु प्रतिकूल प्रविष्टि पाने के बाद भी बोनस, मंहगाई भत्ता आदि आहरित करते हुए 16 वर्षों से जनपद में डटे हुए हैं l
इस तवादले के खेल को समझने का जब हमने प्रयास किया तो मामला बहुत ही दिलचस्प और गंभीर निकला l आईये आपको भी इस दिलचस्प कहानी से रूबरू कराते हैं l दरसल ये सारा खेल कार्यालय - मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ. प्र.लखनऊ में बैठा एक हाकिम खेल रहा है, जो खुद भी 31 अक्टूबर, 2012 यानि 4 वर्ष पहले रिटायर्ड हुए, परन्तु अपनी पकड़ के बल पर वर्तमान में ओ.एस.डी. के पद पर कार्य कर रहा है,जिसका नाम मान्यवर अतीक अहमद सिद्धीकी है,जो मूलतः प्रतापगढ़ जनपद का ही रहने वाला है l ये ओ.एस.डी. महोदय, भारत निर्वाचन आयोग में अपनी पकड़ के बूते ही लगभग 3 दर्जन अपने सगे सम्बंधियों और रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने में कामयाब रहा l
ताज्जुब इस बात का होता है कि इस बेरोजगारी के आलम में सिद्धिकी साहेब किसके बल पर लगभग 3 दर्जन अपने लोंगों को नौकरी दिलाने में सफल रहे ? लगभग 3 दर्जन में 1 दर्जन उनके अपने सगे रिश्तेदार ही हैं,जिनके कुछ नाम पेश है - फिरोज अहमद व वसी अहमद, सम्बन्ध - सगे भांजे, खुर्शीद अहमद व तौसीफ अहमद, सम्बन्ध - सगे भतीजे, मो. आलम एवं सिराज अहमद, सम्बन्ध - सगी बहन के दामाद एवं कमरुल हक़, सम्बन्ध - सगे चाचा के लड़के यानि भाई है l ये सभी उ. प्र. के किसी न किसी जिले के कार्यालय - जिला निर्वाचन अधिकारी में तैनात हैं l सिद्धिकी साहेब के बल पर ये सारे लोग 20 वर्षों से एक ही जनपद में तैनात हैं l
यदि किसी दबाव में खुर्शीद अहमद की तरह तवादला हुआ भी तो 6 माह के भीतर मनचाहे जगह पुनः तैनाती पाते रहे हैं l ये सारे साहेब जादे विना कार्य किये वेतन भी पाते रहे हैं l प्रापर्टी डीलिंग आदि कार्यों में ये लोग मस्त हैं l खुर्शीद अहमद की बात करें तो चुनाव के वक्त वर्ष 2012 विधान सभा चुनाव और वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव एवं विधान परिषद् के चुनाव में छुट्टी अपने इसी पकड़ की वजह से ले लिए,जबकि सामान्यतः चुनाव में किसी को छुट्टी नहीं मिलती,वो भी जिला निर्वाचन कार्यालय में तैनात कर्मचारी को तो कदापि नहीं l एक मजेदार बात और भी है l फिरोज अहमद जो अतीक अहमद के बल पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में भत्ता लेता रहा, जबकि फिरोज अहमद को कंप्यूटर ऑपरेटर का कोई ज्ञान ही नहीं रहा l ये सारे कार्य श्री अतीक अहमद के आतंक पर होता रहा l
हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित खबर दिनांक 5 -7 -16 |
हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित खबर दिनांक 27- 02 -16 हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित खबर दिनांक 29- 02 -16 |
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