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बुधवार, 22 जून 2016

स्वामी प्रसाद मौर्य ने छोड़ी बसपा,माया ने कहा-नहीं छोड़ते तो हम निकाल देते...!!!

बसपा सुप्रीमों और स्वामी प्रसाद में जुबानी जंग शुरू...

बसपा सुप्रीमों मायावती व स्वामी प्रसाद मौर्य.... 
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को करारा झटका देते हुए वरिष्ठ बसपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया। इस बीच मायावती ने जल्दबाजी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य मुलायम सिंह यादव के साथ लोकदल में थे। अगर वह पार्टी नहीं छोड़ते तो उन्हें हम निकाल देते। उन्होंने 2012 में पार्टी छोड़ने की बात कही थी। वे अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे। उन्होंने पहले भी पार्टी से बेटा-बेटी को टिकट दिलवाया था। दोनों हार गए थे। हम मौर्य से जानना चाहते हैं कि मायावती को उन्होंने कितना पैसा दिया। माया ने कहा कि बसपा परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी नहीं है। 
स्वामी प्रसाद मौर्य ने यहां आनन-फानन में बुलायी गई प्रेस कांफ्रेंस में बसपा मुखिया मायावती पर करारा प्रहार करते हुए कहा, ‘मायावती बड़े पैमाने पर खुलेआम चुनाव टिकटों की नीलामी कर रही हैं। वह सही प्रत्याशियों का चयन नहीं कर रही हैं। टिकट सिर्फ बेचे ही नहीं जाते हैं, बल्कि उनकी नीलामी भी की जाती है।’ उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और बसपा संस्थापक कांशीराम ने दलितों के अधिकारों की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित कर दिया है लेकिन मायावती इन दोनों के बनाये सिद्धांतों से भटक गयी हैं और पार्टी टिकटों की नीलामी करने लगी, लिहाजा वह बसपा में घुटन महसूस कर रहे थे और अब इस दल के साथ नहीं रहना चाहते। मौर्य ने भविष्य की रणनीति के बारे में कोई खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि इस बारे में जल्द ही पता लग जाएगा। इस बीच, मायावती ने भी जल्दबाजी में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर मौर्य पर पलटवार किया और कहा कि उन्होंने खुद ही बसपा छोड़कर पार्टी पर बहुत बड़ा उपकार किया। वरना कुछ ही दिनों में वह उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने वाली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मौर्य परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे थे और पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह आगामी विधानसभा चुनाव के लिये भी अपने बेटे और बेटी के लिये टिकट मांग रहे थे। इससे इनकार करने पर वह बसपा से अलग हो गये
बसपा प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2007 में रायबरेली जिले के ऊंचाहार से बसपा के टिकट पर बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पार्टी के लोगों की सलाह पर उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाकर समायोजित किया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने उनसे अपने बेटे और बेटी के लिये चुनाव का टिकट लिया जो ना चाहते हुए भी उन्हें दिया गया। हालांकि उनका बेटा और बेटी चुनाव हार गये।उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मौर्य ने अपनी बेटी के लिये टिकट मांगा। उसे मैनपुरी से टिकट दे दिया गया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के लिये भी मौर्य अपने लिये और अपने बेटे तथा बेटी के लिये टिकट मांग रहे थे। इस बार उन्हें परिवारवाद को किसी भी सूरत में बढ़ावा देने से इनकार करते हुए मना कर दिया गया। बसपा मुखिया ने कहा, ‘मैंने कहा कि मेरा फैसला अटल है, मैं आपको टिकट दूंगी, बेटे और बेटी को नहीं। अगर आपको लगता है कि दूसरी पार्टी से टिकट मिल सकता है तो जब चाहें बसपा छोड़कर जा सकते हैं।’ मायावती ने मौर्य के चुनाव टिकट नीलाम करने के आरोपों पर कहा, ‘मौर्य खुद बताएं कि उन्होंने खुद और अपने बेटे और बेटी को टिकट दिलाने के लिये पार्टी को कितना पैसा दिया।’ इस बीच, मौर्य के बसपा का दामन छोड़ने के बाद उनके सपा में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं और यहां तक कि उन्हें प्रदेश मंत्रिमण्डल में भी जगह मिलने की बातें भी की जा रही हैं। प्रदेश मंत्रिमण्डल का विस्तार आगामी 27 जून को होना है।

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