चीन के पी एम को समझाते मोदी
पुष्कर अवस्थी की फेसबुक वाल से।
चीन की चालाकी से भारत पस्त....? भाई ऐसे विचारो को ग्रहण लगाइये।यह चीन की कोई चालाकी नही है, यह चीन की स्वीकारोक्ति है कि भारत बड़ा हो गया है, खड़ा हो गया है। हर राष्ट्र अपने स्वार्थ के लिए हर चाल चलता है, चीन ने भी यही किया है।
जिस चीन का 2014 तक पुरे एशिया में दबदबा था, उसका पुरे हिन्द और दक्षिण चीन महासागर पर नज़र थी, जिसकी फैक्ट्रियां विदेश से आये पैसे से माल निकाल कर उसे आर्थिक दौड़ में विश्व में नम्बर दो और एशिया का बेताज बादशाह बनाये हुए थी और जिसका पाकिस्तान को खरीद कर ग्वादर बन्दरगाह के रास्ते, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका को अपनी मुट्ठी में करने का सपना पूरा हो रहा था, उस चीन के पिटे हुए, कमजोर तबियत और कमजोर ईमान का पडोसी मुल्क ने अपना सर उठाया है।
उस पडोसी ने सिर्फ सर ही नही उठाया है बल्कि 2 साल में ही विश्व की राजनीति को नई इबारत से लिखा है। वह आँख से आँख मिलाकर शक्तिशाली राष्ट्रों के समकक्ष, बराबरी से खड़ा हुआ है, उसने जहाँ हिन्द महासागर में चीनी चौधराहट को बांग्लादेश, म्यांमार,श्रीलंका, सेशल्स, मालद्वीप से साथ मिलकर हल्का किया है वहीं दक्षिण चीन महासागर में जापान, वियतनाम,दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर अपनी मजबूत दावेदारी भी रखी है।
उसने विदेशी पैसे की धारा को मोड़ा है और चीन से अपने घर लाया है।उसने ग्वादर से 75 किमी दुरी पर ईरान अफगानिस्तान का गुट बनाकर चाबहार पर, सेंट्रल एशिया से लेकर अफ्रीका तक, व्यावसायिक और सामरिक महत्वकांशाओं का नया घर बना कर, चीन के 42 बिलियन डॉलर के निवेश को महंगा बनाया है।अब आप ही बताइये जब यह पड़ोसी इतने कम समय में सारे जमे हुए वैश्विक समीकरणों को धता बताते हुए एक नई आर्थिक और सामरिक गठबंधन खड़ा कर लेगा तो क्या चीन इसके विरोध में पुरजोर कोशिश नही करेगा?
यह वही चीन है जिसने आपको लातो लातो मार कर आपसे 54 साल पहले, 37,244 किमी की जमीन छीन ली थी, यह वही चीन है जिसके अरुणाचल पर दावे के डर से, पुरे उत्तरपूर्वी हिस्से में कांग्रेस की सरकारे घुस कर बैठने की हिम्मत नही कर सकी थी और आज वह दिन है की वही चीन, भारत विरोध के नाम पर, पूरी दुनिया में आज अलग थलक पड़ गया है।भारत ने कूटनीति की नई उचाइयां प्राप्त की है जिसका असली अंदाजा आगे वाले समय में लगेगा।
आज भारत ने वैश्विक रंगमंच पर चीन को वह पहलवान बना दिया है जिसका अखाड़े में लंगोट खुल गया है।आज चीन भारत की महत्वाकांशाओं के ताप की जलन को महसूस करके अर्धनग्न खड़ा है।हम लोग अभी यह एहसास नही कर पारहे है की हम और आप कितने भाग्यशाली है, जो यह दिन देख रहे है क्योंकि हमारे बाप दादाओ ने तो सिर्फ चीन की लातें या घुड़की ही खायी थी।
जो लोग आज भारत को असफल या उसके नेतृत्व पर उलाहना दे रहे है, वह, वही लोग है जो लातों से डर की मानसिकता की पैदाइश है या फिर जो भारत में चीन पाक के हितों की रक्षा के लिए चीन से सुपारी लिए हुए है। आप इत्मीनान रखिये, भारत सही रास्ते पर है उसे बस उसके नागरिको का सहयोग और विश्वास चाहिए।
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