आजादी के 69 वर्षो बाद गाँव में पहुंची बिजली, मोदी की हो रही है पूजा....!!!
इस पत्र को पीएमओ भेजते ही एक्शन शुरू हुआ।पीएमओ ने मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान सरकार से संपर्क साधा।संबंधित मंत्रालय और अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए।तत्काल गांव में बिजली की व्यवस्था की गई।गांववालों की तरफ से लिखे पत्र पर मोदी ने तीन महीने के अंदर गांव के घरों में रोशनी भर दी।गांव में जल्द ही बिजली के बाद अब पक्की सड़क भी बनने वाली है।
सड़क से संबंधित अधिकारियों से बातचीत चल रही है।जल्द ही मुख्य मार्गों से गांव को पक्की सड़क के जरिए जोड़ा जाएगा।फरवरी महीने में काछला के लोगों ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा था।पत्र में यह बात भी लिखी थी कि शिवराज सरकार गांव को बिजली न दे पाए तो इसे गुजरात को गोद दे दिया जाए।ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए चिट्ठी में अपने गांव की तुलना गुजरात के एक गांव से भी की थी।
उन्होंने लिखा था कि जहां एक ओर हमारे यहां आधारभूत सुविधाएं ही नहीं है वहीं दूसरी ओर कुछ ही दूरी पर बसा गांव जो गुजरात सीमा में आता है,वहां न सिर्फ बिजली, सड़क, परिवहन आदि की सुविधा है बल्कि मोबाइल टावर तक लगे हुए हैं, जिससे वहां के लोगों को अच्छी संचार सुविधा भी मिलती है।ये सब देखकर हमें पीड़ा होती है कि हमारी सरकार हमारे लिए क्यों कुछ नहीं करती है....?
प्रदेश सरकार उन्हें बिजली, सड़क, संचार, परिवहन जैसी सुविधाएं दे और यदि ऐसा संभव नहीं है तो उनकी पंचायत काछला और उसमें आने वाले पांचों गांव को दूसरे राज्य गुजरात में शामिल कर दिया जाए। ग्रामीणों का आरोप था कि 69 साल बीतने पर भी सरकारों और जनप्रतिनिधियों ने उनकी पंचायत की अनदेखी की है।इस पंचायत के अधीन 5 गांव आते हैं जिनके नाम है काछला, हरोड, चिमटा, धक्कापुरा और घुट है।ये सभी गांव आपस में सटे हुए हैं।
गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे इस गांव में न तो सड़क पहुंचती है और न ही बिजली। यहां संचार और परिवहन के भी साधन नहीं है, ऐसे में ग्रामीण आज तक विकास का हिस्सा नहीं बन पाए हैं।यह गांव गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा है।इसी वजह से यह गांव दोनों राज्यों के बीच फंसकर सुविधाओं की कमियों से परेशान था।
बिजली आ जाने के बाद गांव अब रोशन हो गया है।ग्रामीण खुशियों में इस कदर डूब गये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूजा कर रहे हैं।ग्रामीणों ने न सिर्फ पीएम मोदी की तस्वीर लगाकर पूजा की, बल्कि जलेबी का भोग भी लगाया। पूरे गांव में फिर उसी जलेबी को प्रसाद के रूप में बांटा गया।
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