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गुरुवार, 5 मई 2016

मेनका गाँधी जिसे नहीं मिला गाँधी परिवार का साथ

पहचानिए अपने जनप्रतिनिधि को.......!!!


               संजय गांधी एवं मेनका गांधी 
आज की जनप्रतिनिधि हैं, आंवला से भाजपा सांसद मेनका गाँधी (मानेका गाँधी) मेनका गाँधी का जन्म 26 अगस्त,1956 को दिल्ली ने ले० कर्नल तरलोचन सिंह आनंद के यहाँ हुआ था l मेनका की प्राथमिक शिक्षा सेंट लारेंस स्कूल में हुई थी l इन्होने लेडी श्रीराम कालेज में भी पढाई की है l मेनका गाँधी ने 12 तक पढाई की है l मेनका गाँधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की बहू और स्व० संजय गाँधी की पत्नी हैं, मेनका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिक विरोधी के अलावा, एक पशु कल्याण कार्यकर्ता के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई l उन्होंने पशु कल्याण की तरफ देश का ध्यान खींचने के लिए अपने प्रसिद्ध नाम का प्रयोग किया l उन्होंने देशव्यापी संगठन पीपुल फॉर एनीमल (पीएफ़ए) की स्थापना की l 
नाम में गाँधी जुड़ने से मनुष्य रहस्यात्मक हो जाता है l शादी के बाद मेनका का नाम बदलकर "मानेका" किया गया, क्योंकि इन्दिरा गाँधी को "मेनका" नाम पसन्द नहीं था l जब मेनका 17 साल की थीं, तब पहली बार उन्हें संजय गांधी ने एक विज्ञापन में देखा था और एक ही साल में दोनों ने विवाह कर लिया l राजनीतिक इतिहासकारों का कहना है कि यह वो दौर था जब देश की राजनीति में मेनका और संजय का दबदबा हो गया था l इन्हीं के इशारों पर सरकार चलती थी l आपातकाल के दौरान इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की किरकिरी भी संजय गांधी की ही वजह से हुई थी l 23 जून,1980 को दिल्ली में एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद अपनी सास इन्दिरा गांधी से नाराज होकर मेनका परिवार की सारी विरासत छोड़ अपने बेटे वरुण के साथ घर छोड़कर चली गईं l

                           मेनका गांधी व पुत्र वरुण गाँधी 
मेनका गाँधी वर्ष 1982 से सक्रिय राजनीति आई और मार्च ,1983 में इन्होंने राष्ट्रीय संजय मंच नाम की पार्टी बनायीं l मेनका ने वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव अपने पति संजय गाँधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से लड़ना तय किया,परन्तु तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या से उपजी सहानभूति से कांग्रेस पार्टी बहुत मजबूत हुई और मेनका के सामने राजीव गाँधी अमेठी से चुनाव लड़े और मेनका को हार का सामना करना पड़ा l वर्ष 1988 में मेनका ने अपनी पार्टी का विलय जनता दल में कर दिया और जनता दल की महासचिव बनी l वर्ष 1989 का लोकसभा चुनाव पीलीभीत से जीत कर मेनका गाँधी वी.पी. सिंह की सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री बनाई गई l वर्ष 1996,1998,1999 और 2004 में पीलीभीत से सांसद चुनी गई l मेनका वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव बरेली की आवंला सीट से जीत कर छठी बार सांसद चुनी गई l 
मेनका गाँधी पुत्र मोह में वर्ष 2009 में पीलीभीत छोड़कर आंवला नगर को अपना क्षेत्र चुना....!!!
पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए अभियान चलाने वाली मेनका गाँधी के विद्यालय के अध्यापको की दशा जानवरों से भी बदतर है l कालीन बुनकरों व गरीब बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर मीरजापुर जिले के कलना गाँव में रग मार्क जूनियर हाईस्कूल संचालित है l पिछले वर्ष मार्च में तीन माह से अध्यापकों को वेतन नहीं मिलने पर महंगाई से त्रस्त आम इन्सान होने के नाते अध्यापकों ने वेतन वृद्धि की माँग की तो एक साथ 5 अध्यापको का तबादला वर्तमान विद्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर के विद्यालयों पर कर दिया गया l अध्यापकों ने महंगाई की मार से बचने के लिए वेतन बढ़ाने की मांग की तो उन्हें निष्कासित कर दिया गया l मनरेगा मजदूरों की मजदूरी से कम वेतन पाने वाले एम० एड० तथा बी० एड० की डिग्री लेकर बच्चों को पढ़ने वाले अध्यापक ताला बंद कर हड़ताल पर बैठ गये थे l 
30 मई, 2013 को हरियाणा हाईकोर्ट ने संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर के खिलाफ फैसला दिया, जिससे मेनका गांधी की स्वयंसेवी संस्था को व्यापारियों से बरामद किए गए 68 ऊंटों की 15 लाख रुपए की कीमत चुकानी पड़ी l संस्था को इन ऊंटों को छोडऩे के कई बार निर्देश दिए थे, जिसकी एनजीओ ने कोई परवाह नहीं की l इन ऊंटों को उत्तर प्रदेश के व्यापारियों से 28 दिसंबर, 2112 को बरामद किया गया था, जिसे पुलिस ने इन ऊंटों को संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर, दिल्ली को सौंप दिया था l जमानत पर छूटने के बाद व्यापारियों ने अदालत से ऊंटों की कस्टडी मांगी तो इन ऊंटों की देखभाल करने वाली मेनका गांधी की एनजीओ ने उन्हें 24 लाख का बिल थमा दिया l मेनका के अनुसार कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के लिए वह चाहे किसी गांधी को अपना उम्मीदवार बना ले,लेकिन अब उसे कोई बचाने वाला नहीं है l 
संजय गांधी के दिवंगत होने के वावजूद मेनका ने साहस और धैर्य का परिचय दिया और माँ और बाप दोनों का फर्ज अदाकर अपने पुत्र वरुण गांधी को राजनीति में स्थान दिलाया....!!!
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के समय दिए अपने हलफनामे में मेनका गाँधी ने अपनी कुल संपत्ति 6 करोड़, 67 लाख, 63 हजार रुपये घोषित की थी। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कुल संपत्ति 18 करोड़, 28 लाख, 33 हजार रुपये घोषित की थी वहीं वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय तक इनके पास कुल घोषित संपत्ति 24 करोड़, 95 लाख रुपये हो गई संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि का मेनका गाँधी द्वारा लोकसभा चुनाव 2014 के अधिसूचना जारी होने से पहले महज 70 % का ही उपयोग किया गया था। मुझे ये आकड़ें देखकर ताजुब होता है कि 7 बार की सांसद भी अपनी सांसद निधि का प्रस्ताव बनाकर उसे समय पर ख़त्म न कर पाना इस बात का संकेत देता है कि वह क्षेत्र के प्रति कितनी उदासीन हैं...? दूसरी ओर नजर दौड़ाये तो इनके विकास में महज10 वर्ष में ही 18 करोड़ की बृद्धि दांत खट्टे कर देने वाले हैंयही जनप्रतिनिधियों की हकीकत है, जो जनता नहीं जान पाती....!!!

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