कांग्रेस इटली के साथ ही क्यों करती थी सौदेबाजी : अनुराग ठाकुर
उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत हितों की वजह से अगर किसी ने राष्ट्रीय हितों का बलिदान किया तो वह UPA सरकार थी। उन्होंने कहा कि यह बात मै श्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि जिस तरह से इमानदार रक्षा मंत्री यहाँ पर आये हैं, यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस या UPA सरकार का नाम आया हो। UPA ने 2012 में टाटा ट्रक्स घोटाला किया, नेवल वार रूम की स्कोर्पियन सब-मरीन की बात हो, बोफोर्स कांड की बात हो, और जितने भी रक्षा घोटालों की बात हो तो पूर्व कांग्रेस सरकारों ने ही किया है। यही नहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री, सांसद और बड़े बड़े नेताओं के रिश्तेदार भी इन रक्षा घोटालों से जुड़े रहे। पूरा देश इस बारे में जानता है।
उन्होंने कहा कि एक पूर्व मंत्री हैं जो काल घोटाले में भी थे, उसके परिवार के लोगों को IDS इन्फोटेक में किस तरह से पैसा पहुंचा यह मुझे कहने की जरूरत नहीं है बल्कि यह पूरा देश जानता है और मीडिया भी इस बारे में बता रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस इस बारे में कुछ बता पा रही है कि इन सबमे कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि किस तरह ने अनुकूल परिस्थितियां बनाकर एक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड को टेंडर दिया गया यह स्पष्ट तौर पर देश की जनता को दिख रहा है।
उन्होंने कहा ‘जैसा की रक्षा मंत्री ने बताया, अगर पहले EC225 हेलीकाप्टर 6000 मीटर की उंचाई पर उड़ने की काबिलियत रखता था, सीलिंग लिमिट 4500 मीटर करने का इसलिए फैसला लिया गया ताकि ज्यादा कंपनियां उसमे भाग ले सकें ताकि दाम भी कम हों और अधिक प्रतिश्पर्धा वाली बोली लगेगी तो उससे देश को लाभ मिलेगा। लेकिन सभी कंपनियों को दरकिनार करके केवल काबिन की हाईट बढाने के चक्कर में 1.8 मीटर करके कांग्रेस ने अपने साथ के साथ अपने घूस के दाम भी बढ़ा दिए।
उन्होंने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से पूछा कि कांग्रेस सरकार ने आखिरकार केबिन की हाईट 1.8 मीटर क्यों की गयी। क्या, क्या दुनिया भर में 1.8 मीटर चलता है या 1.45 मीटर से भी काम चल जाता है। कांग्रेस सरकार के समय में कौन इतने लम्बे VVIPs थे जिसके लिए आपको हाईट 1.8 मीटर करनी पड़ी, या आपको केवल घूस के दाम बढाते थे। उन्होंने कहा कि पता नही इटली के साथ इनका कैसा प्यार है कि वहां की कंपनी को लाभ देने के लिए सभी कॉन्ट्रैक्ट किया जाते हैं। (कुछ बीजेपी सांसदों ने धीरे से कहा – मायका है इसलिए)।
अनुराग ठाकुर ने आगे बताते हुए कहा कि टेक्निकल इवैल्यूएशन 4 महीने का था लेकिन उसमें भी 10 महीने लगा दिए, (कुछ सांसदों ने धीरे से कहा -जब तक घूस का पैसा नहीं मिला टेक्निकल इवैल्यूएशन होने ही नहीं दिया गया)। अनुराग ठाकुर ने आगे बताते हुए कहा कि जिस तरह ने रक्षा मंत्री जी ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड इटली की कंपनी थी जिसने RFP डॉक्यूमेंट खरीदा तो UPA सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने यह ठेका अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड UK को दे दिया।
उन्होंने कहा कि इटली की कोर्ट में बार बार ब्रिटिश हाई कमिश्नर और एंबेसडर की बात आती है कि उन्हें बार बार इस मामले में बात करने के लिए दबाव डाला गया और बात करने के लिए कहा गया तो क्या इससे स्पष्ट तौर पर यह संकेत नहीं मिलता कि कौन कौन लोग इसमें जुड़े हुए थे और किस तरह से दबाव बनाने का प्रयास किया गया, किस तरह से उस समय के प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह को इटली के प्राइम मिनिस्टर मोंटी से बात करने के लिए कहा गया।
उन्होंने स्पीकर से कहा कि मैडम इसमें कौन कौन शामिल थे यह सभी बातें देश के सामने और विस्तार में रखनी चाहिए और अगर वह कंपनी ओरिजिनल इक्विपमेंट मैनूफैक्चरर कंपनी नहीं थी तो आप लोगों की यानी कांग्रेस सरकार की क्या मजबूरी थी कि AWIL यानी अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड UK को ठेका दिया और अन्य सभी कंपनियों को दरकिनार कर दिया गया।
AWIL ने ना RFP डॉक्यूमेंट खरीदा, और वह कंपनी भी दूसरे देश में है, बैंक गारंटी हिंदुस्तान में देने के बजाय मिलान इटली में जाकर दी, आखिर उस समय की कांग्रेस पार्टी की सरकार की क्या मजबूरी थी कि सभी छूट देकर उस कंपनी को ठेका दिया गया, क्या इससे भ्रष्टाचार की बू नहीं आती। उन्होंने कहा कि टीवी मीडिया में यह भी दिखाया जा रहा है कि किस तरह से अगस्ता वेस्टलैंड ने हिंदुस्तान के सीक्रेट दस्तावेज विदेशों में पहुंचाए, कौन लोग UPA सरकार में ऐसे थे जो देश के सुरक्षा दस्तावेजों को विदेश में लीक करके देश के साथ गद्दारी कर रहे थे, घूसखोरी एक तरफ है लेकिन देश के साथ गद्दारी दूसरी तरफ है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा फील्ड इवैल्यूएशन ट्रायल जो देश के अन्दर होना था और सारा खर्चा उन कंपनियों को करना था तो इनकी सरकार को क्या तकलीफ थी, जो काम 6-12 महीनों में पूरा काम होना था उसे केवल 2 महीनों क्यों पूरा होने दिया गया, और विदेश में क्यों करवाया गया, आखिरकार यहाँ की परिस्थितियों में हेलीकाप्टर का ट्रायल होना था वो विदेश की परिस्थितियों यानी ठंढे मौसम में कैसे पता चलता, उसे तो यहाँ के गरम मौसम में उड़ना था, किस उंचाई पर उड़ना था।
उन्होने पूछा कि क्या दो महीने के लिए जो अधिकारी वहां पर गए वह सही मायनों में वहां पर हेलीकाप्टर का टेस्ट कर पाए, या घूमने फिरने और टूर के लिए गए थे, क्योंकि जब यहाँ पर तीन हेलीकाप्टर इस्तेमाल के लिए आये तो रिपोर्ट में कहा गया कि यह उड़ने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह स्पष्ट तौर पर संकेत देता है कि कांग्रेस सरकार ने किस तरह से पैरा 75 का दुरूपयोग किया।
उन्होंने कहा कि आपने EC225 को चार पैरामीटर में फेल किया जबकि अगस्ता वेस्टलैंड दो पैरामीटर में फेल हुआ तो आपने केवल अगस्ता वेस्टलैंड को ही रियायत क्यों दी, इसका मतलब है कि आप पहले दिन से चाहते थे कि एक ही कंपनी के साथ सौदा करना है। उन्होंने कहा कि मोलभाव में भी गोलमाल हुआ, जनवरी 2006 में 793 रुपये कोट किया गया लेकिन सितम्बर 2008 तक आते आते उसे 4800 करोड़ की कीमत दिखा दी गयी जो कि 6 गुना अधिक है।
इसके बाद इन्होने कॉन्ट्रैक्ट निगोशिएसन कमेटी बिठाई, क्या यह कॉन्ट्रैक्ट निगोशिएसन कमेटी थी या कमीशन निगोशिएसन कमेटी थी। उन्होंने कांग्रेस ने पूछा – क्या निगोसिएट कर रहे थे आप, कमीशन या ? आपको इसका उत्तर देना होगा कि दाम इतना ऊँचा क्यों रखा गया, क्यों इतना लम्बा खींचा गया, अगर 3966 करोड़ रुपये में अगस्ता वेस्टलैंड अपना कोट किया तो आप लोगों ने इसको अधिक यानी 4800 करोड़ क्यों रखा।
अनुराग ठाकुर ने बताया जो लोग इस घोटाले में शामिल थे उनके साथ कांग्रेस पार्टी ने क्या किया, चाहे उस समय के SPG चीफ थे, NSA थे, या उस समय के रक्षा सचिव थे, आज वे ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठे हैं कि उनसे पूछताछ ही नही हो सकती, इन लोगों ने उन्हें ऐसी ताकत प्रदान कर दी। जब यह जांच चल रही थी तो आपके ही कानून मंत्री ने कहा कि उन्हें ताकत मिली हुई है कि उनसे पूछताछ नहीं हो सकती। अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो गया है कि घूस दिया गया है और घूस देने वाले जेल में हैं तो घूस लेने वाले अब तक क्यों बाहर घूम रहे हैं, जब 2011 में ही यह मामला सामने आ गया तो आप लोगों ने यह डील कैंसल क्यों नहीं की...?
उन्होंने कहा कि उन दो वर्षों में इन्होने डिप्लोमैटिक चैनल के माध्यम से दो बार कांटेक्ट करके का प्रयास किया, यह सिर्फ इसलिए किया गया ताकि राहत मिल जाय और इतनी की कोर्ट से राहत मिल जाय और इनके नेताओं और बाकी अधिकारीयों पर बात ना आने पाए, घूस की बात बाहर ना आये, कांग्रेस पार्टी ने उस समय इसके लिए पूरा प्रयास किया और इसलिए घोटाले में शामिल लोगों को संवैधानिक पदों पर बिठा दिया गया, आज उनमें से कोई गवर्नर है कोई CAG के पद पर बैठा है ताकि उससे कोई पूछताछ ना की जाय।
उन्होंने कहा कि मै रक्षा मंत्री से पूछना चाहता हूँ कि इनकी जांच में कितना समय लगेगा और यह कितनी तेजी से जांच को आगे बढ़ाएंगे। इनके पूर्व रक्षा मंत्री ने भी कहा है कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ है तो कांग्रेस पार्टी जांच का विरोध क्यों करती है, इनकी सांस क्यों फूल रही है। उन्होंने कहा कि:---------
उन्होंने कहा कि एक पूर्व मंत्री हैं जो काल घोटाले में भी थे, उसके परिवार के लोगों को IDS इन्फोटेक में किस तरह से पैसा पहुंचा यह मुझे कहने की जरूरत नहीं है बल्कि यह पूरा देश जानता है और मीडिया भी इस बारे में बता रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस इस बारे में कुछ बता पा रही है कि इन सबमे कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि किस तरह ने अनुकूल परिस्थितियां बनाकर एक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड को टेंडर दिया गया यह स्पष्ट तौर पर देश की जनता को दिख रहा है।
उन्होंने कहा ‘जैसा की रक्षा मंत्री ने बताया, अगर पहले EC225 हेलीकाप्टर 6000 मीटर की उंचाई पर उड़ने की काबिलियत रखता था, सीलिंग लिमिट 4500 मीटर करने का इसलिए फैसला लिया गया ताकि ज्यादा कंपनियां उसमे भाग ले सकें ताकि दाम भी कम हों और अधिक प्रतिश्पर्धा वाली बोली लगेगी तो उससे देश को लाभ मिलेगा। लेकिन सभी कंपनियों को दरकिनार करके केवल काबिन की हाईट बढाने के चक्कर में 1.8 मीटर करके कांग्रेस ने अपने साथ के साथ अपने घूस के दाम भी बढ़ा दिए।
उन्होंने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से पूछा कि कांग्रेस सरकार ने आखिरकार केबिन की हाईट 1.8 मीटर क्यों की गयी। क्या, क्या दुनिया भर में 1.8 मीटर चलता है या 1.45 मीटर से भी काम चल जाता है। कांग्रेस सरकार के समय में कौन इतने लम्बे VVIPs थे जिसके लिए आपको हाईट 1.8 मीटर करनी पड़ी, या आपको केवल घूस के दाम बढाते थे। उन्होंने कहा कि पता नही इटली के साथ इनका कैसा प्यार है कि वहां की कंपनी को लाभ देने के लिए सभी कॉन्ट्रैक्ट किया जाते हैं। (कुछ बीजेपी सांसदों ने धीरे से कहा – मायका है इसलिए)।
अनुराग ठाकुर ने आगे बताते हुए कहा कि टेक्निकल इवैल्यूएशन 4 महीने का था लेकिन उसमें भी 10 महीने लगा दिए, (कुछ सांसदों ने धीरे से कहा -जब तक घूस का पैसा नहीं मिला टेक्निकल इवैल्यूएशन होने ही नहीं दिया गया)। अनुराग ठाकुर ने आगे बताते हुए कहा कि जिस तरह ने रक्षा मंत्री जी ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड इटली की कंपनी थी जिसने RFP डॉक्यूमेंट खरीदा तो UPA सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने यह ठेका अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड UK को दे दिया।
उन्होंने कहा कि इटली की कोर्ट में बार बार ब्रिटिश हाई कमिश्नर और एंबेसडर की बात आती है कि उन्हें बार बार इस मामले में बात करने के लिए दबाव डाला गया और बात करने के लिए कहा गया तो क्या इससे स्पष्ट तौर पर यह संकेत नहीं मिलता कि कौन कौन लोग इसमें जुड़े हुए थे और किस तरह से दबाव बनाने का प्रयास किया गया, किस तरह से उस समय के प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह को इटली के प्राइम मिनिस्टर मोंटी से बात करने के लिए कहा गया।
उन्होंने स्पीकर से कहा कि मैडम इसमें कौन कौन शामिल थे यह सभी बातें देश के सामने और विस्तार में रखनी चाहिए और अगर वह कंपनी ओरिजिनल इक्विपमेंट मैनूफैक्चरर कंपनी नहीं थी तो आप लोगों की यानी कांग्रेस सरकार की क्या मजबूरी थी कि AWIL यानी अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड UK को ठेका दिया और अन्य सभी कंपनियों को दरकिनार कर दिया गया।
AWIL ने ना RFP डॉक्यूमेंट खरीदा, और वह कंपनी भी दूसरे देश में है, बैंक गारंटी हिंदुस्तान में देने के बजाय मिलान इटली में जाकर दी, आखिर उस समय की कांग्रेस पार्टी की सरकार की क्या मजबूरी थी कि सभी छूट देकर उस कंपनी को ठेका दिया गया, क्या इससे भ्रष्टाचार की बू नहीं आती। उन्होंने कहा कि टीवी मीडिया में यह भी दिखाया जा रहा है कि किस तरह से अगस्ता वेस्टलैंड ने हिंदुस्तान के सीक्रेट दस्तावेज विदेशों में पहुंचाए, कौन लोग UPA सरकार में ऐसे थे जो देश के सुरक्षा दस्तावेजों को विदेश में लीक करके देश के साथ गद्दारी कर रहे थे, घूसखोरी एक तरफ है लेकिन देश के साथ गद्दारी दूसरी तरफ है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा फील्ड इवैल्यूएशन ट्रायल जो देश के अन्दर होना था और सारा खर्चा उन कंपनियों को करना था तो इनकी सरकार को क्या तकलीफ थी, जो काम 6-12 महीनों में पूरा काम होना था उसे केवल 2 महीनों क्यों पूरा होने दिया गया, और विदेश में क्यों करवाया गया, आखिरकार यहाँ की परिस्थितियों में हेलीकाप्टर का ट्रायल होना था वो विदेश की परिस्थितियों यानी ठंढे मौसम में कैसे पता चलता, उसे तो यहाँ के गरम मौसम में उड़ना था, किस उंचाई पर उड़ना था।
उन्होने पूछा कि क्या दो महीने के लिए जो अधिकारी वहां पर गए वह सही मायनों में वहां पर हेलीकाप्टर का टेस्ट कर पाए, या घूमने फिरने और टूर के लिए गए थे, क्योंकि जब यहाँ पर तीन हेलीकाप्टर इस्तेमाल के लिए आये तो रिपोर्ट में कहा गया कि यह उड़ने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह स्पष्ट तौर पर संकेत देता है कि कांग्रेस सरकार ने किस तरह से पैरा 75 का दुरूपयोग किया।
उन्होंने कहा कि आपने EC225 को चार पैरामीटर में फेल किया जबकि अगस्ता वेस्टलैंड दो पैरामीटर में फेल हुआ तो आपने केवल अगस्ता वेस्टलैंड को ही रियायत क्यों दी, इसका मतलब है कि आप पहले दिन से चाहते थे कि एक ही कंपनी के साथ सौदा करना है। उन्होंने कहा कि मोलभाव में भी गोलमाल हुआ, जनवरी 2006 में 793 रुपये कोट किया गया लेकिन सितम्बर 2008 तक आते आते उसे 4800 करोड़ की कीमत दिखा दी गयी जो कि 6 गुना अधिक है।
इसके बाद इन्होने कॉन्ट्रैक्ट निगोशिएसन कमेटी बिठाई, क्या यह कॉन्ट्रैक्ट निगोशिएसन कमेटी थी या कमीशन निगोशिएसन कमेटी थी। उन्होंने कांग्रेस ने पूछा – क्या निगोसिएट कर रहे थे आप, कमीशन या ? आपको इसका उत्तर देना होगा कि दाम इतना ऊँचा क्यों रखा गया, क्यों इतना लम्बा खींचा गया, अगर 3966 करोड़ रुपये में अगस्ता वेस्टलैंड अपना कोट किया तो आप लोगों ने इसको अधिक यानी 4800 करोड़ क्यों रखा।
अनुराग ठाकुर ने बताया जो लोग इस घोटाले में शामिल थे उनके साथ कांग्रेस पार्टी ने क्या किया, चाहे उस समय के SPG चीफ थे, NSA थे, या उस समय के रक्षा सचिव थे, आज वे ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठे हैं कि उनसे पूछताछ ही नही हो सकती, इन लोगों ने उन्हें ऐसी ताकत प्रदान कर दी। जब यह जांच चल रही थी तो आपके ही कानून मंत्री ने कहा कि उन्हें ताकत मिली हुई है कि उनसे पूछताछ नहीं हो सकती। अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो गया है कि घूस दिया गया है और घूस देने वाले जेल में हैं तो घूस लेने वाले अब तक क्यों बाहर घूम रहे हैं, जब 2011 में ही यह मामला सामने आ गया तो आप लोगों ने यह डील कैंसल क्यों नहीं की...?
उन्होंने कहा कि उन दो वर्षों में इन्होने डिप्लोमैटिक चैनल के माध्यम से दो बार कांटेक्ट करके का प्रयास किया, यह सिर्फ इसलिए किया गया ताकि राहत मिल जाय और इतनी की कोर्ट से राहत मिल जाय और इनके नेताओं और बाकी अधिकारीयों पर बात ना आने पाए, घूस की बात बाहर ना आये, कांग्रेस पार्टी ने उस समय इसके लिए पूरा प्रयास किया और इसलिए घोटाले में शामिल लोगों को संवैधानिक पदों पर बिठा दिया गया, आज उनमें से कोई गवर्नर है कोई CAG के पद पर बैठा है ताकि उससे कोई पूछताछ ना की जाय।
उन्होंने कहा कि मै रक्षा मंत्री से पूछना चाहता हूँ कि इनकी जांच में कितना समय लगेगा और यह कितनी तेजी से जांच को आगे बढ़ाएंगे। इनके पूर्व रक्षा मंत्री ने भी कहा है कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ है तो कांग्रेस पार्टी जांच का विरोध क्यों करती है, इनकी सांस क्यों फूल रही है। उन्होंने कहा कि:---------
- नवम्बर 2011 में इटली में पता चल गया कि भ्रष्टाचार हुआ है तो आपने डील को कैंसल क्यों नहीं किया
- आपने केवल 2006 तक की ही जानकारी क्यों दी जबकि पैसा 2011 तक आता रहा।
- इटली की सरकार ने भी कहा है कि 2012 तक पैसा दिया जाता रहा तो पूर्व की सरकार ने एक एक साल विलम्ब करके केवल लिमिटेड दस्तावेज क्यों दिए। जो डॉक्यूमेंट पहले पब्लिक डोमेन में उपलब्ध थे उन्हें आपने क्यों नहीं दिए और इस जाँच को क्यों रोका गया।
- 9 महीने CBI इस जांच को रोककर रखती है और ED को जांच आगे बढाने के लिए कोई दस्तावेज नहीं देती और इस चक्कर में ED भी कोई काम नहीं करती, ऐसा क्यों और किसके कहने पर किया गया।
- जहाँ पर Airport 2 में यह कागज रखे गए वहां पर यह आग क्यों लगती है मैडम, बाकी कहीं आग नहीं लगती लेकिन जहाँ पर दस्तावेज रखे होते हैं वहां पर आग लग जाती है और सभी सबूतों को मिटाने का प्रयास किया जाता है।
- ये दो साल तक कोई काम नहीं करते लेकिन 12 मई को एक दिन के अन्दर पांच दफ्तरों के अन्दर यह फाइल कैसे पहुँच जाती है जबकि दो साल तक इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया जाता है। ऐसी क्या मजबूरी बन गयी।
- क्योंकि रिजल्ट आने वाले थे देश में पता चल गया था कि अब तो देश में मोदी सरकार आने वाली है, आज तो आपने औपचारिक तौर पर जेल में अपनी गिरफ्तारी दी है लेकिन जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी, भ्रष्ट लोगों को जेल में जाना ही पड़ेगा।
- उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता क्रिस्चियन मिशेल से मिलने दुबई गए, क्या केंद्र सरकार की जानकारी में यह बात है, उनकी मिशेल से क्या बातचीत हुई।
- इस घोटाले में बार बार एक आदमी का नाम आता है (अहमद पटेल), चार बार उनका नाम आया, उनका उनका इस घोटाले से क्या सम्बन्ध है, एक परिवार का इसमें नाम आता है, वह कौन सा परिवार है, एक और बड़ा नाम आया है, मुझे नाम लेने में कोई डर नहीं है लेकिन पूरे देश को उनका नाम पता है यानी (सोनिया गाँधी)।
- जिस आदमी का उस रिपोर्ट में चार बार नाम आया है अगर उनका नाम अहमद पटेल नहीं है और दूसरी आरोपी का नाम सोनिया गाँधी नहीं है तो कांग्रेस को इतनी पीड़ा क्यों हो रही है, लगता है कि यह समझ गए कि किसकी बात हो रही है।
- अगर देश की गाढ़ी कमाई को इटली की की कंपनी को लुटा दिया जाता है तो हमें हक है उसे उठाने का और देशद्रोहियों को एक्सपोज करने का, कांग्रेस को पीड़ा क्यों हो रही है।
- जिस आदमी का चार बार नाम आया है क्या उन लोगों पर सरकार कार्यवाही करेगी।
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