!!!....आज की तारीख को परिणय - सूत्र में बधें थे....!!!
सही कहा गया है कि समय / वक्त किसी का इन्तजार नहीं करता....!!! ये कोई नई बात मैं नहीं बता रहा हूँ। मुझसे पहले भी इस बात को बहुत से लोंगों ने अपनी भावनाओं में परिभाषित कर चुके हैं। आज ये बात मैं इसीलिए कह रहा हूँ कि आज की तारीख में हम भी परिणय - सूत्र में बधें थे। इंसान के जीवन का ये महत्वपूर्ण समय होता है l चूंकि ब्यक्ति के जीवन में माँ - बाप, भाई - बहन और मित्रों के बाद जीवन के पथ पर आगे बढ़ने के लिए जीवन संगनी का जो रोल होता है, उसे शब्दों में नहीं ब्यक्त किया जा सकता । वास्तव में ब्यक्ति के विकास में जीवन संगनी का अहम रोल होता है। जीवन संगनी का नाम भी अनगिनत हैं। इसीलिये इन्हें भाग्यवान भी कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में भगवान् शंकर माँ पार्वती जी को अर्धांगनी कहते थे, इसलिए आज भी जीवन संगनी को अर्धांगनी कहा जाता है। मैं भी 2 मई,1995 को परिणय - सूत्र में बधा और आज देखते - देखते 21 वर्ष हो गए। वो ब्यक्ति बहुत ही खुश नसीब होता है, जिन्हें आज्ञाकारी जीवन साथी के रूप में पत्नी मिलती है। मैं भी अपने को खुश नसीब मानता हूँ । चूंकि आज मैं, जिस मुकाम पर पहुंचा हूँ, उसमें मेरी जीवन संगनी का विशेष योगदान रहा है। मैं अपने से रिश्ते में सभी बड़ों को प्रणाम करता हूँ और सभी से आशीर्वाद की अपेक्षा रखता हूँ। साथ ही सभी छोटों से सहयोग की उम्मीद करता हूँ। धन्यवाद....!!!
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