Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

रविवार, 8 मई 2016

90 फीसदी अपना नामांकन पत्र स्वयं नहीं भरते सांसद/विधायक...!!!

90 फीसदी अपना नामांकन पत्र स्वयं नहीं भरते सांसद/विधायक...!!!
निर्वाचित उम्मीदवारों के शपथपत्र और नामांकन पत्र में अंकित सभी तथ्यों की जांच निर्वाचन आयोग को तय समय सीमा में करनी चाहिए..!!!
इस बात को दावे के साथ कहा जा सकता है कि सांसद/विधायक 90 फीसदी अपना नामांकन स्वयं नहीं भरते । अपना चुनावीं नामंकन प्रपत्र वो राजनीतिक विशेषज्ञों से भरवाते हैं । वो तो सिर्फ चिड़ियाँ बैठाते हैं । इससे अधिक स्पष्ट बात ये है कि चुनाव जीतने के बाद आज उन्हें नामांकन फ़ार्म भरने के लिए दे दिया जाए तो वो भर ही नहीं सकते । फिर नामांकन प्रपत्र में गड़बड़ी का होना स्वाभाविक है ।         

निर्वाचन का इतना जटिल फ़ार्म होता है कि उसे विना विशेषज्ञ / जानकार ब्यक्ति की मदद से उम्मीदवार उसे भर ही नहीं सकता । निर्वाचित हुए उम्मीदवारों के नामांकन प्रपत्रों  में आज भी यदि ईमानदारी से उसका सत्यापन करा लिया जाए तो उम्मीदवारों द्वारा घोषित अपराध की स्थिति, शिक्षा की स्थिति, संपत्ति की स्थिति एवं भारत में निर्वाचक नामवाली यानि मतदाता सूची में वो सिर्फ एक जगह ही दर्ज होने की स्थिति में ब्यापक कमियां मिलेंगी। साथ ही 50 फीसदी गलतियां मिलेंगी।



शपथ पत्र तो आधे से अधिक झूठ के पुलिंदों पर आधारित होता है । चुनाव परिणाम के बाद चुनाव जीतकर कल का उम्मीदवार जब सामान्य आदमी से विशेष ब्यक्तित्व की श्रेणी में खड़ा हो जाता है तो वो माननीय हो जाता है । ब्यवस्था में शामिल होकर उसकी सारी गलती समाप्त हो जाती है । किसी सामान्य इंसान की मज़ाल भी नहीं कि उसकी शिकायत भी कर सके । आजकल मैं लगातार माननीयों के नामांकन प्रपत्रों को चेक कर रहा हूँ । शपथपत्र देखकर तो मैं कुछ देर अपनी हंसी भी नहीं रोक पाता ।  

















भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त 
  नामांकन के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर को निर्वाचन आयोग का ये निर्देश रहता है कि शपथपत्र में की गई गलती को आधार बनाकर नामांकन को रद्द न किया जाए । साथ ही नामांकन प्रपत्र में भी जो गलती हो, उसे सुधारने का मौका दिया जाय । इसी का सहारा लेकर उम्मीदवार चुनावी बैतरणी पार कर लेता है । फिर क्या .....??? अब तो माननीय बनने के बाद सब कुछ अपने आगे पीछे....!!!  हमारा मानना है कि निर्वाचित उम्मीदवारों के शपथपत्र और नामांकन में अंकित सभी तथ्यों की जांच निर्वाचन आयोग को करानी चाहिए, क्योंकि यदि निर्वाचित उम्मीदवार गलत तथ्य और झूठा शपथपत्र देकर माननीय हो गया है तो उस जनता को उसकी हकीकत जानने का पूरा अधिकार है, जिसने उसे सामान्य आदमी से माननीय बनाया.....!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें