सुशासन या जंगलराज पार्ट -2.....???
शहाबुद्दीन के शूटर उपेंद्र सिंह को ऩशे की हालत में सीवान पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन पूछताछ के लिए। जबकि पूरी दुनिया जानती है कि ये मर्डर अपराधी नेता शहाबुद्दीन के इशारे पर किया गया है। एसपी के अनुसार, पत्रकार की हत्या प्रोफेशन शूटर ने की है। बताया जाता है कि राजदेव अपराधियों के हिट-लिस्ट में 2007 से थे । सीवान जेल से 23 लोगों के नाम डेथ वारंट की लिस्ट जारी हुआ था। इसमें सात लोगों की मौत हो चुकी है। राजदेव का भी इसमें नाम शामिल था । फिर आप सवाल उठाते हैं कि इसे संरक्षण कौन दे रहा है....???
बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त जहां एक ओर “बिहार में बहार बा अबकि बार नितीशे कुमार बा“ का नारा लगाकर जनता से वोट की अपील की जा रही थी तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष कह रहा था कि लालू और नीतीश कुमार के हाथ में बिहार की सत्ता देने के मतलब है बिहार में जंगलराज पार्ट 2 की शुरुआत करना। फिर उन्होंने आरजेडी का मतलब बताते हुए कहा था कि ‘इसका मतलब है रोजाना जंगलराज का डर। चुनाव हुए और फिर प्रदेश में महा गठबंधन की लालू-नीतीश सरकार सत्ता में काबिज हुई और एकबार फिर नितीश कुमार सत्ता पर आसीन हुए। मगर सरकार बनते ही वैसे जंगलराज का ट्रायल शुरू हो गया।
सड़क निर्माण में लगे इंजीनियर ब्रजेश सिंह और मुकेश कुमार की दिनदहाड़े हुई हत्या कुछ ऐसा ही बयां कर रही थी और उसके बाद लोजपा नेता की हत्या ने तो जैसे जंगलराज पार्ट 2 की भविष्यवाणी पर मुहर ही लगा दी। सरकार के गठन के महज 2-3 दिन के भीतर किड़नैपिंग, हत्या और चोरी की बढ़ती घटनाओं ने लोगों को जंगलराज पार्ट -2 के साये में जीने को मजबूर कर दिया। पिछले दिनों बिहार के गया में कारोबारी पुत्र आदित्य सचदेवा की हत्या, और फिर सीवान जिले में एक पत्रकार के मर्डर ने तो पूरी सरकारी तंत्र को ही कठघरे में खडा कर दिया है।
सूबे की जनता सुशासन बाबू से पूछ रही है कि सुशासन का वादा करने वाले प्रदेश के सीएम क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। वो सोच रही है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जंगलराज को खत्म कर सुशासन लाने का वादा करने वाले बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्या हो गया है? जंगलराज खत्म करने की जगह वह खुद क्यों उस जंगलराज का हिस्सा बनते जा रहे हैं। लालू-नीतीश की दोस्ती का असर जल्द ही कानून-व्यवस्था पर भी दिखने लगा है।
एक ओर राज्य में जहां तेजी से अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है तो दूसरी ओर अपराधियों के हौसले बेलगाम होते जा रहे हैं आलम ये है की कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने वाली पुलिस का मनोबल टूट रहा है। ये सच है कि नीतीश राज के पहले कार्यकाल में कानून का राज स्थापित हुआ था और व्यवस्था में सुधार हुआ और अपराधी पकड़े गये, विकास की बयार भी बही लेकिन अब स्थितियां एक बार फिर बदल रही हैं। अपराध तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा जनता ये सोच सोच कर परेशान है कि क्या एकबार फिर से बिहार में बहार लौटेगी या फिर “बिहार में बहार बा अबकि बार नितीशे कुमार बा“ का नारा महज जुमला बनकर रह जायेगा और सुशासन का वादा खोखला ही साबित होगा।
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