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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

कार्यपालिका और विधायिका की कार्यप्रणाली से उत्पन्न प्रश्न...!!!

क्या कार्यपालिका और विधायिका की कार्यप्रणाली से उत्पन्न प्रत्येक प्रश्न न्यायपालिका द्वारा ही अंतिम रूप से निपटाया जाना सही है......??? आखिर यह स्थिति प्रत्येक गंभीर मामले में क्यो उत्पन्न होती जा रही है....??? क्या लोकतन्त्र के दोनो पाये यानि खम्भे स्वार्थ के वशीभूत होकर विफल हो जा रहे है....??? प्रत्येक प्रकरण का समाधान यदि न्यायालय में होगा, तब क्या न्यायालय में सर्वोच्च होने का अभिमान जाग्रत होने की संभावना नहीं हो सकती है.....??? फिर लोकतन्त्र कहां जीवित रह पायेगा....??? उपरोक्त कुछ प्रश्नो के उत्तर  जनसामान्य के लिये भी आवश्यक हैं....!!!

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