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मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

कर्नल पुरोहित के कम्युनिकेशन से हुआ खुलासा....!!!


!!!....हिन्दुओं को आतंकवादी साबित करने के लिए गद्दार कांग्रेसियों ने देशभक्त कर्नल पुरोहित को हिन्दू आतंकवादी बताकर फंसाने का किया था,निकृष्टतम प्रयास....!!!
@@@....10 वर्ष लग गए अपनी वेगुनाही सावित करने में....!!!
$$$$$.....भारतीय न्याय ब्यवस्था पर कभी - कभी आता है तरस.....!!!

कांग्रेसियों के शासन में षड्यंत्र पूर्वक हिंदू साधू संतों को आतंकवादी बताकर गिरफ्तार किया जा रहा था. ज्ञातव्य है की मुंबई हमले में भी पाकिस्तान को क्लीनचिट देकर कांग्रेसी दिग्विजय सिंह और कुछ गद्दार मुसलमानों द्वारा हिंदुओं को ही हमले का दोषी साबित करने की कोशीश की गयी थी. मुंबई पर आतंकी हमले में मारे गए एटीएस अधिकारीयों के मौत पर मैंने आश्चर्य जताते हुए लिखा था- “निर्दोष साधू संतों को आतंकवादी बताकर गिरफ्तार कर बहादुरी दिखानेवालों को जब वास्तविक आतंकवादियों से सामना हुआ तो बंदूक निकालने का भी मौका नहीं मिला और शहीद हो गए”. इसी तरह मालेगांव बम ब्लास्ट और समझौता बम ब्लास्ट में देशभक्त कर्नल पुरोहित को फंसाकर गद्दार कांग्रेसियों ने हिंदूओं को आतंकवादी साबित करने का षड्यंत्र किया था.

कर्नल पुरोहित के कम्युनिकेशन से हुआ खुलासा (साभार: जी न्यूज)

कर्नल पुरोहित पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ सेना के अहम अफसर थे. वे मुंबई पुलिस के मदद के लिए तैनात थे. उनपर बोर्डर इलाकों में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने का जिम्मा था. वे सिमी, आईएसआई के खिलाफ मुंबई एटीएस को ट्रेनिंग देते थे. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट जिसे पाकिस्तान के लश्कर आतंकवादी ने अंजाम दिया था जिसका इल्जाम भी गद्दार कांग्रेसियों ने हिंदुओं पर हिंदू आतंकवाद साबित करने के लिए डाला था परन्तु आजतक किसी पर आरोप साबित नहीं कर पाया जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव और अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा हुआ की ये पाकिस्तान के लश्कर आतंकवादियों का काम था जिसे कांग्रेसियों ने जान बूझकर दबा दिया था. समझौता ब्लास्ट में पाकिस्तानी कनेक्शन को हटाकर हिंदुओं को फंसाया गया. जांच में मालेगांव पुलिस की महाराष्ट्र एटीएस ने भी मदद की थी.
२००७ के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उन्हें कभी इस केस में आरोपी नहीं बनाया गया और उनका नाम जान बूझकर केस में घसीटा गया-शरद कुमार, एटीएस चीफ
एटीएस अधिकारी हिमांशु राय ने कर्नल पुरोहित को अपने अधिकारीयों को बढिया ट्रेनिंग देने के लिए धन्यवाद पत्र में लिखा था-
नासिक पुलिस और आप के प्रनिधित्व में सदर्न कमांड की मिलिट्री इंटेलिजेंस के बिच पिछले डेढ़ साल सहयोग हो रहा है. आपने महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारियां पुलिस से साझा की है, जो दोनों संगठनों के लिए उपयोगी है. ११ नवम्बर २००६ को इस्लाम सिमी और आई एसआई पर आपने जो वर्कशॉप आयोजित की थी, वो बहुत मददगार थी.
२०११ में यूपीए सरकार ने हिंदू संगठन के सभी मामलों को एनआईए को ट्रांसफर कर दिया.
एनआईए को केस ट्रांसफर होने के कुछ दिन बाद कर्नल पुरोहित गिरफ्तार हुए. २०११ से जांच कर रही एनआईए ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है.
मालेगांव समझौता ब्लास्ट केस में पुरोहित पर विस्फोटक देने का आरोप लगाया गया. परन्तु कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के दस्तावेजों में कर्नल पुरोहित की बेगुनाही दर्ज है जिसे अबतक कोर्ट को नहीं सौंपा गया था. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की दखल के बाद सेशन्स कोर्ट में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के दस्तावेजों को सौंपा गया.
२००७ में गृह मंत्रालय को ब्लास्ट में पाक कनेक्शन का पता लगा था. १८ फरवरी २००७ को समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट हुआ था जिसमे मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तानी थे. ९ साल के बाद भी इस सम्बन्ध में दायर चार्जशीट में कर्नल पुरोहित का नाम नहीं है.
कर्नल पुरोहित से २२ और २३ अगस्त, २००५ को मुंबई एटीएस ने ट्रेनिंग की अर्जी दी थी. उन्होंने लिखा-आपने हमारे अधिकारीयों के लिए जो इंटरएक्शन आयोजित किया उससे उन्हें बहुत मदद मिली है. उम्मीद करता हूँ की भविष्य में भी आप और मेजर पुरोहित जैसे सेना के अफसरों के अनुभव ज्ञान और कौशल का लाभ हमें मिलेगा-कर्नल एस एस रायकर को केपी रघुवंशी की चिट्ठी.
मालेगांव ब्लास्ट में हैदराबाद का रहने वाला शहीद जो लश्कर/जैश का आतंकी था का हाथ था.
कांग्रेसी दलालों ने आरोप लगाया की कर्नल पुरोहित असीमानंद के साथ मीटिंग में शामिल थे परन्तु गवाह यशपाल भडाना ने कहा की वे शामिल नहीं थे. इसी तरह यह भी आरोप लगाया गया की कर्नल पुरोहित और स्वामी दयानंद भी उस मीटिंग में शामिल थे जबकि गवाह ने कहा की ऐसी कोई मीटिंग नहीं हुई थी.
सीक्रेट नोट से खुलासा-
१.धमाकों को लेकर कहीं भी हिंदू आतंकवाद का जिक्र नहीं था
२. धमाकों के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जिम्मेदार
३. मक्का मस्जिद ब्लास्ट और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में कई समानता
४. दोनों ब्लास्ट में ६ वोल्ट की बैटरी कास्ट आयरन की पाईप का इस्तेमाल हुआ.
५. मक्का मस्जिद ब्लास्ट के पीछे मोहम्मद शाहिद उर्फ बिलाल का हाथ था
६. हैदराबाद रहने वाला शाहिद लश्कर/जैश का आतंकी था

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