देश में 69 की स्वतंत्रता के बाद प्रतापगढ़ जनपद भी विकास के मुंहाने पर खड़ा अपना इन्तजार कर रहा है। वैसे जनपद प्रतागढ़ उद्योग विहीन जनपद की श्रेणी में रहा। उ प्र का यह जनपद थर्ड क्लास के जिले में आता है। हाँ, ये अलग बात है कि ये जनपद राजा महराजाओं का रहा। यहाँ राजा रजवाड़े ही अपना विकास किये। बाकी जनता और क्षेत्र का विकास नहीं हो सका।
17 विकास खण्डों का ये जनपद एक अदद बाईपास के लिए तरसता रहा। आज प्रकाशित इस गजट को देखने के बाद लोंगों में विश्वास जगा है कि इस जनपद के भी भाग्य खुलने का वक्त आ गया है। यहाँ के नकारे जनप्रतिनिधियों ने यदि रोड़ा न अटकाया तो बाईपास 2 वर्ष में बन सकता है। सबसे खास बात यह रही कि ये जिला राजाओं का रहा और यहाँ की सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह तीन बार निर्वाचित हुई, परन्तु उन्होंने जिले के विकास के प्रति कोई रूचि नहीं दिखाई।
प्रतापगढ़ जनप्रतिनिधियों की जो समस्या है वो उनकी निजी समस्या है। ये बाईपास पहले शहर से पूरब दिशा की तरफ से प्रस्तावित था। जिसके कारण नगर पालिका अध्यक्ष श्री हरि प्रताप सिंह व पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह ने कई बीघे जमीन पहले प्रस्तावित बाईपास के रास्ते पर औने-पौने दाम में जमीन खरीद कर भविष्य की संभावनाओं पर कार्य करने से पीछे नहीं रहे।
आज गज़ट देखने के बाद उन्हें झटका जरूर लगा होगा। अब अपने निजी लाभ-हानि के लिए इस प्रस्तावित बाईपास जो शहर से पश्चिम तरफ से जाना तय हुआ है, इसमें कोई अडंगा न लगा दें। आपत्ति का समय निर्धारित है। अब तो ये वक्त बताएगा कि इन 21 दिनों में कौन, क्या आपत्ति दाखिल करता है ? यदि वास्तविक आपत्ति किसी की हो तो वह आपत्ति 21 दिनों में मुख्य राजस्व अधिकारी उसका निराकरण करेंगें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें