Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

वक्त पर उचित प्रवंधन न होने की वजह से जनजीवन अस्त - ब्यस्त....!!!

वक्त पर उचित प्रवंधन न होने की वजह से जनजीवन अस्त - ब्यस्त....!!!
तमिलनाडु के सागर तट पर स्थित चेन्नई के एक उपनगर मिंजूर में सागर के खारे पानी को पीने योग्य पानी में परिवर्तित करने का संयंत्र लगभग साढ़े पांच सौ करोड़ की लागत से 2010 में बना था. यह संयंत्र सागर के लगभग 10 करोड़ लीटर खारे पानी को रोजाना पीने योग्य पानी में परिवर्तित देता है. यह रहा इसका लिंक-
 -http://en.m.wikipedia.org…/Minjur_Seawater_Desalination_Pl…


महाराष्ट्र में भीषण अकाल की विभीषिका से जूझ रहे विदर्भ के आधा दर्जन जिलों से केवल 250 से 300 किलोमीटर की दूरी पर अथाह सागर लहराता है. अतः लगभग ढाई-तीन हज़ार करोड़ की लागत से महाराष्ट्र में विदर्भ के निकटम सागर तट पर ऐसे 5-6 संयंत्र बनाकर उनका पानी एक बड़ी नहर के द्वारा अकाल का शिकार बनने वाले इन जिलों तक पहुँचाने की स्थायी व्यवस्था क्यों नहीं की जाती...? ऐसी एक बड़ी नहर के निर्माण की लागत भी लगभग 5-6 हज़ार करोड़ होगी....!!!
ज्ञात रहे कि विदर्भ में अकाल राहत के नाम पर प्रतिवर्ष 10-12 हज़ार करोड़ रू. केंद्र/राज्य सरकार खर्च करती है. लेकिन अगले वर्ष फिर वही समस्या उतने ही विकराल रूप में उपस्थित होकर फिर इतने ही रुपये और 2-4 हज़ार जानें ले लेती है. बस इस व्यवस्था में एक ही खामी है और ये खामी बहुत बड़ी खामी है... कि अगर ऐसी स्थायी व्यवस्था कर दी गयी तो हर वर्ष होनेवाली हज़ारों करोड़ की राहत राशि की सरकारी बंदरबांट का क्या होगा...?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें