!!!....मेलोडी इतनी चॉकलेटी कैसे बनी....???
@@@....इससे ज्यादा ये जानना जरुरी है कि ओवैसी इतना हरामखोर कैसे बना....???
####.....बोवई पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय....!!!
$$$$.....MIM का काला इतिहास...!!!
"नीरज तिवारी/रमेश राजदार"
भारत की आजादी के बाद जब 565 रियासतों को भारत के अधीन लाने की मुहीम सरदार पटेल को सौंपी गई थी, उस समय हैदराबाद के निज़ाम की आस्था पाकिस्तान के साथ शामिल होने की थी l लेकिन भौगोलिक रूप से पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान की दूरी एवं वास्तविकता में इसे असंभव देखते हुए निज़ाम ने हैदराबाद को भारत गणराज्य से अलग एवं स्वतंत्र रखने का निर्णय किया...!!!
जिसके बाद उसकी सेना दो धड़ों में बट गई l पहली शोहेबुल्लाह खान के साथ, जो भारत में विलय का पक्षधर था l दूसरा खेमा था रजाकारों का, जिसका सबसे प्रभुत्वशाली व्यक्तित्व था, कासिम रिजवी का l कासिम रिजवी अलीगढ़ से वकालत पढ़ कर आया था और स्वतंत्र हैदराबाद की पैरवी करता था...!!!
कासिम रिज़वी ने वर्ष 1927 में नवाब बहादुर रायजंग के साथ मिलकर MIM नामक सामाजिक संस्था बनाई थी, जो कि एक कट्टरपंथी संगठन में परिवर्तित हो गई और रायजंग की मौत के बाद वर्ष 1944 में कासिम का MIM पर एकाधिकार हो गया और उसने रजाकारों की फ़ौज बनाकर वहां के हिंदुओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए....!!!
रिज़वी ने सरदार पटेल पर अपनी बात मनवाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन असफल रहा l जिसके बाद उसने शोहेबुल्लाह की हत्या करवा दी और हिंदुओं मैं लूटपाट और क़त्ल - ऐ - आम शुरू कर दिया l सरदार पटेल के आदेश पर भारतीय सेना ने रजाकारों को कुचलकर हैदराबाद पर कब्ज़ा कर लिया l
यह एक ऐतिहासिक विजय अभियान था, जिसे "ऑपरेशन पोलो" का नाम दिया गया....!!!
MIM पर लगा प्रतिबन्ध...!!!
कासिम रिज़वी को गिरफ्तार किया गया और ये शर्त रखी गई कि रिहा होने के 48 घंटों के अंदर उसे हिन्दुस्तान छोड़कर पाकिस्तान जाना होगा l वर्ष 1957 में जेल से रिहा होते ही रिज़वी ने देश छोड़ने से पहले आनन - फानन में MIM की मीटिंग बुलाई और अपने सिद्धांतों को जिन्दा रखने के लिए जिस सख्श की MIM के मुखिया के तौर पर ताजपोशी की, वो था असदउद्दीन ओवैसी का दादा अब्दुल वाहिद ओवैसी....!!!
जिसने MIM में आल इंडिया शब्द जोड़कर बना ली राजनीतिक पार्टी l फिर राजनीतिक पार्टी का नाम हो गया "आल इंडिया मजलिस ऐ इत्तिहादुल मुसलमीन" और उसने कासिम के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया l अब्दुल वाजिद की मौत के बाद उसका बेटा सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी पार्टी का मुखिया बना l इसी खेत की वर्तमान फसलें हैं, अकबरुद्दीन ओवैसी, असदउद्दीन ओवैसी और बुरहानुद्दीन ओवैसी l इनका जैसा नाम है, वैसा इनका काम भी है l अब आप समझ सकते हैं कि जब बीज ही राष्ट्रद्रोही है, तो फसलें कैसे राष्ट्रभक्त हो सकती हैं....???
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