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गुरुवार, 10 मार्च 2016

ब्यवस्था जनित भ्रष्टाचार को ख़त्म करने की कवायद में जुटे जिलाधिकारी...!!!

 ब्यवस्था जनित भ्रष्टाचार को ख़त्म करने की कवायद में जुटे जिलाधिकारी...!!!
@@@....जे छिनरा, वो डोली संग.....!!!
#####.....वही ढ़ाक के तीन पात पर अटकी पूरी छापामारी....!!!
उ. प्र. में आरटीओ/एआरटीओ ऑफिस अक्सर अपने कारनामों को लेकर सुर्ख़िया बटोरता रहता है, बिना दलाल के यहाँ कोई कार्य नहीं होता। प्रत्येक कार्य की रकम दलाल और कर्मचारी मिलकर सुनिश्चित करते हैं और इसके लिए ग्राहकों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। इसका एक नमूना आज प्रतापगढ़ में देखने को मिला, जब जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह, मुख्य राजस्व अधिकारी, राम सिंह के साथ महुली स्थित एआरटीओ ऑफिस में भारी पुलिस बल के साथ छापा मारा तो ऑफिस में दलाली कर रहे दो दर्ज़न से अधिक दलालों के साथ आर. आई. लक्ष्मीकांत और एक सत्ता पक्ष का स्थानीय नेता अशोक सिंह को हिरासत में लेकर कोतवाली नगर भेज दिया और दो कर्मचारियों प्रदीप तिवारी व रमेश उपाध्याय को अल्टीमेटम देकर छोड़ दिया। जिससे पूरे विभाग में हड़कम्प मचा गया।
उक्त मामला प्रतापगढ़ के चर्चित एआरटीओ ऑफिस का है, जहाँ सीसीटीवी लगे रहने के बावजूद दलाली के चलते कई बार गोली भी चली है l हफ्ता वसूली के विवाद में कल्लू डॉन की हत्या तक हो चुकी है। बावजूद इसके एआरटीओ दफ्तर में ब्याप्त खामियां सुधरने का नाम नहीं ले रहा हैं। यहां पर दस वर्षो से काबिज़ आर.आई. लक्ष्मीकांत और लेखाकार प्रदीप तिवारी, वरिष्ठ सहायक रमेश उपाध्याय जिसे महज कुछ महीनों बाद विभाग से रिटायरमेंट होना है, की मिलीभगत से सैकड़ों दलाल सक्रिय हैं। यदि कोई ग्राहक सीधे काम करवाने जाता है तो कई खामियां निकालकर उन्हें बैरंग वापस कर दिया जाता है और जब वही कार्य दलाल के माध्यम से इनके पास जाता है तो वह काम विभाग द्वारा कर दिया जाता है, जिसके लिए ग्राहकों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है ।
जिलाधिकारी की बातों पर यकीन करें तो लगातार अलग-अलग हो रही शिकायतों के बाद आज डॉ.आदर्श सिंह, जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ स्वयं एआरटीओ ऑफिस पहुंचकर वहां की हकीकत खंगाली l करीब दो घण्टे तक छापेमारी के दौरान जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर कोतवाल हरपाल सिंह यादव, आर.आई. लक्ष्मीकांत, सपा नेता अशोक सिंह समेत दो दर्जन से अधिक दलालों को हिरासत में ले लिया और दलाली में संलिप्त रहने वाले कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा लिखवाकर कार्यवाही करने का दावा किया। जिलाधिकारी से जब छापेमारी के सम्बन्ध में मीडियाकर्मियों ने सवाल दागे तो उनका कहना था कि बहुत दिनों से एआरटीओ ऑफिस में ब्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत मिल रही थी। दलालों के माध्यम से ही काम किये जाने से आम जनता को समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। उसी क्रम में आज छापेमारी की ये कार्यवाही की गई है ।
जिलाधिकारी ने ये भी स्वीकार किया कि एआरटीओ दफ्तर की बात करें तो कभी जगह को लेकर तो कभी स्थाई भवन की भूमि को लेकर यहाँ विवाद है और कभी विभाग के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किये जाते हैं। यहाँ के दलाल से आम जनता को बहुत परेशानी होती है। इसी सिलसिले में आज हम लोगों ने औचक निरीक्षण किया। आज एआरटीओ साहेब नहीं हैं। यहाँ काफी मात्रा में कई संदिग्ध पकड़े गए हैं, जिनका यहाँ रहने का कोई औचित्य नही था। कुछ कर्मचारी हैं, जो दलालों को पाल रखे हैं, उनके खिलाफ भी कार्यवाही होगी। कुछ ऐसे लोग थे, जिन्हे कार्यालय में नहीं होना चाहिए था l जहां प्रवेश निषेध था, वहां पर भी कुछ लोग पाये गए, जिनके खिलाफ कार्यवाही हो रही है। जिलाधिकारी के छापेमारी के दौरान कर्मचारियों ने अपने चाहने वाले दलालों को बचाने के लिए प्रथम तल के कई कमरे में उन्हें छुपा दिया, जैसे ही जिलाधिकारी वापस गए, फिर से दफ्तर में दलाली शुरु हो गई। विभाग के लेखाकार प्रदीप तिवारी एवं वरिष्ठ सहायक रमेश उपाध्याय पर कई ग्राहकों ने पैसे मांगने का आरोप लगाना शुरु कर दिया। छापेमारी के दौरान विभाग के बाबू कैमरे से छुपते हुए भाग रहे थे।
छापेमारी की हकीकत को खंगालने के लिए वहां मौजूद कुछ ऐसे लोंगों से बातचीत की गई तो हकीकत की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो जब डीएम साहेब का छापा पड़ा था तो उस दौरान लगभग पंद्रह लोगों को संदिग्ध मानकर हिरासत में लिया गया, जो असली अभियुक्त थे, वो तो पकड़े ही नही गए। उन्हें विभागीय लोंगों के द्वारा फरार करा दिया जाता है। दफ्तर के दलालों से पीड़ित एक ब्यक्ति अपना कार्य कराने आया था। उसने बताया कि वो 3 दिन से दफ्तर का चक्कर काट रहा है। फिटनेस कराने के लिए उससे 1300 रुपये माँगा जा रहा है, जबकि इसका सरकारी रेट मात्र 300 रुपए है, लेकिन फिटनेस के नाम पर 1300 रूपये वसूलने के लिए दलालों से दबाव बनाया जाता है, दलालों का आलम ये है कि अपने ग्राहकों से ही अधिक से अधिक वसूली की जाती है और उसी में 3 हिस्सा दलाल खुद रखता है, 1 हिस्सा दफ्तर में घूस के तौर पर दे दिया जाता है। दलालों के सम्बन्ध में उस पीड़ित ब्यक्ति का दो टूक जबाब था कि परेशानी उसे भी है। वो चाहता है कि शाशन और प्रशाशन बीच-बीच में ऐसे ही छापेमारी करे तो दलालों पर कुछ अंकुश अवश्य लगेगा l
एआरटीओ ऑफिस में कर्मचारियों की मिली भगत का ये पहला मामला नहीं है, जब इस विभाग में जिलाधिकारी के नेतृत्व में छापेमारी हुई हो और दलालों को जेल भेजा गया हो...! लगभग 2 लाख रुपए की ऊपरी कमाई का वारा न्यारा रोज का एआरटीओ दफ्तर में होता है। इस काली कमाई का एक सिंडिकेट बना हुआ है। ये पैसा शासन व प्रशासन तक पहुंचाया जाता है। सभी को इस ब्यवस्था जनित भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में पता है। फिर भी बीच-बीच में आम जनता को दिखाने के लिए इस तरह छापेमारी की कार्यवाही की जाती है, ताकि आम जनता के मन में शासन - प्रशासन के प्रति विश्वास कायम रहे और सरकार कुछ कर रही है, इसका भी सन्देश आम जनमानस में बना रहे। ये सब ठीक उसी तरह है, जैसे हाथी के खाने के दांत और होते हैँ और दिखाने वाले और होते हैं.....!!!
सिस्टम में बैठे जिम्मेदारों के सामने जब मीडियाकर्मियों ने कैमरा लगाते हैं तो वहीं तोते वाला रटा रटाया बयान वो सुना डालते हैं l जनता को सुनाने और दिखाने के लिए अधिकारी इतनी साफगोई से बयान देकर जनहित की बात करते हैं कि उनसे बड़ा इस धरती पर कोई दूसरा जनहित का पुजारी है ही नहीं, परन्तु हकीकत एकदम इसके उल्टा है। जनता का जितना अधिक से अधिक शोषण जो कर सके। वो उतना ही अच्छा शासक और प्रशासक आज के दौर में मान लिया जाता है। जिस आर. आई. लक्ष्मीकांत को जिलाधिकारी महोदय कथित दलालों के साथ कोतवाल नगर के सुपुर्द कर कोतवाली नगर भेजवाए थे, देर शाम तक भ्रष्टाचार के आकण्ठ में डूबा आर.आई. लक्ष्मीकांत एक अदद लिखित तहरीर कोतवाल को नहीं दिया, जिससे देर शाम तक किसी के विरुद्ध भी मुकदमा नहीं लिखा जा सका....!!! अब तो स्पष्ट हो गया कि असली गुनहगार कौन है....??? दलाल या भ्रष्ट सिस्टम...!!!
अंततोगत्वा नगर कोतवाल हरपाल सिंह भी उन सभी कथित दलालों को मजबूर होकर छोड़ने के लिए विवश हुए। भ्रष्टाचार की बातें तो लोग ठीक उसी तरह करते हैं, जैसे दहेज़ देना अपराध है और दहेज़ लेना उनका अधिकार....! भ्रष्टाचार का कीड़ा लोंगों के खून में समा चुका है, जो लाख प्रयास के बाद भी निकल नहीं रहा। भ्रष्टाचार का संचार लोंगों के जेहन में ठीक उसी तरह होने लगा है, जैसे हृदय को संचालित करने के लिए रक्तचाप होता है। इसका अंत तभी हो सकेगा, जब विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी नकेल लगाई जायेगी l कथित दलालों के साथ दलालों के जनक पर जब गाज़ गिरेगी तभी इससे निजात मिलेगी l सर्वप्रथम कई वर्षो से अपने पिताजी की जागीर मानकर कुर्सी पर काबिज़ उन अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थांतरण करना होगा, तभी कुछ संभव है l तभी एआरटीओ ऑफिस की दलाली पर अंकुश लग सकता है। नहीं तो फिल्म "जानी दुश्मन" की तरह डोली का लुटेरा स्वयं ठाकुर राजा था, ठीक उसी तरह आम जनता की जेब पर दलालों द्वारा डकैती डाली जाती रहेगी l चूँकि जे छिनरा, वो डोली संग.....!!!
https://www.youtube.com/watch?v=ffvYoEHemSI

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