बिहार में भाजपा पर भारी पड़ा "अ" शब्द.....!!!
- लालजी रावत पूर्व राष्ट्रीय परिषद् सदस्य भारतीय जनता पार्टी ll
भाजपा की करारी शिकस्त मिलने के 24 घंटे बीत जाने के उपरान्त बर्दाश्त की सारी हदे पार हो गई ...!!! अपनी अपच को डकार के रूप में मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ....!!! आप भी लीजिये, उसका जायका...., कुछ खट्टी – मिट्ठी स्वाद के साथ...!!!
1- अरहर की दाल - तीन केंद्रीय मंत्रियों की साजिश...!!! कृषि मंत्री, उपभोक्ता मामले विभाग एवं खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मंत्री एवं वित्त मंत्री..!!!
2 – आरक्षण - (सरसंघचालक प्रमुख - मोहन भागवत जी)..!!!
3 – अरुण जेटली - (काला धन वापसी पर बड़बोलापन)...!!!
4 – अमित शाह - (अंहकार & तानाशाह).....!!!
5 – अरुण शौरी - (आईना दिखाना)....!!!
6 – अल्प संख्यक प्रेम - (अटल की तरह गति प्राप्त करना)...!!!
7 – आडवाणी - (बहिष्कार)....!!!
8 – असहिष्णुता - (प्रधान सेवक की चुप्पी)....!!!
9 – अनुशासन समिति, भाजपा - (नकारों एंव दलालों की समिति)....!!!
10 – ओम माथुर – नकारात्मक शुर...!!!
देश में राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग अभी तक सीना ठोकर यदि किसी राजनीतिक पार्टी में दावा कर सकते थे, तो वह पार्टी भाजपा थी...!!! उससे जुड़े लोग ये कह सकते थे कि भाजपा में वंशवाद और परिवारवाद की परिपाटी नहीं है ....!!! लोग कह सकते थे कि भाजपा किसी के बाप की बपौती नहीं, परन्तु लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद तो पार्टी को ही हाईजैक कर लिया गया...!!! अब तो भाजपा में अपनी बात रखना, पार्टी के प्रति अनुशासनहीनता मान लिया जाता है, जबकि वास्तविकता ये है कि भाजपा में अपनी बात रखने का कोई फोरम नहीं है, लिहाजा पार्टी हित की अपनी बात भी मीडिया/सोशल मीडिया के जरिये करना पड़ता है ।
बिहार चुनाव के बाद भाजपा कार्यालय से अपनी जिम्मेवारी को स्वीकार करने के बजाय भागने वाले पार्टी प्रवक्ताओं एवं बिहार चुनाव में सरकार बनाने का ठेका लेने वाले ठेकेदार किस्म के नेताओं के प्रति ठीक उसी तरह का ब्यवहार होना चाहिए, जिस तरह सेना में युद्ध भूमि से सेना का जवान युद्ध छोड़कर मैदान से भाग जाता है...!!! वैसे तो इस बार की दीपावली भाजपा के लिए अभिशाप साबित हुई है और इस अभिशाप के लिए बिहार ही इसका अंत नहीं है.....!!! अपनी नाकामियों को छिपाने का ये वक्त नहीं है, बल्कि अपनी नाकामियों से सबक लेकर उसमें सुधार की आवश्यकता है....!!! बिहार में जिम्मेदार नेताओं को उनकी नाकामी को खोजकर उन्हें आत्मचिंतन करने के लिए दीपावली की शुभकामनाओं के साथ मेरी तरफ से, ये मेरा प्रेम पत्र.....!!!
“शुभ दिवाली” “वन्देमातरम”....!!!
।।“लालजी रावत”।।
2 – आरक्षण - (सरसंघचालक प्रमुख - मोहन भागवत जी)..!!!
3 – अरुण जेटली - (काला धन वापसी पर बड़बोलापन)...!!!
4 – अमित शाह - (अंहकार & तानाशाह).....!!!
5 – अरुण शौरी - (आईना दिखाना)....!!!
6 – अल्प संख्यक प्रेम - (अटल की तरह गति प्राप्त करना)...!!!
7 – आडवाणी - (बहिष्कार)....!!!
8 – असहिष्णुता - (प्रधान सेवक की चुप्पी)....!!!
9 – अनुशासन समिति, भाजपा - (नकारों एंव दलालों की समिति)....!!!
10 – ओम माथुर – नकारात्मक शुर...!!!
देश में राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग अभी तक सीना ठोकर यदि किसी राजनीतिक पार्टी में दावा कर सकते थे, तो वह पार्टी भाजपा थी...!!! उससे जुड़े लोग ये कह सकते थे कि भाजपा में वंशवाद और परिवारवाद की परिपाटी नहीं है ....!!! लोग कह सकते थे कि भाजपा किसी के बाप की बपौती नहीं, परन्तु लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद तो पार्टी को ही हाईजैक कर लिया गया...!!! अब तो भाजपा में अपनी बात रखना, पार्टी के प्रति अनुशासनहीनता मान लिया जाता है, जबकि वास्तविकता ये है कि भाजपा में अपनी बात रखने का कोई फोरम नहीं है, लिहाजा पार्टी हित की अपनी बात भी मीडिया/सोशल मीडिया के जरिये करना पड़ता है ।
बिहार चुनाव के बाद भाजपा कार्यालय से अपनी जिम्मेवारी को स्वीकार करने के बजाय भागने वाले पार्टी प्रवक्ताओं एवं बिहार चुनाव में सरकार बनाने का ठेका लेने वाले ठेकेदार किस्म के नेताओं के प्रति ठीक उसी तरह का ब्यवहार होना चाहिए, जिस तरह सेना में युद्ध भूमि से सेना का जवान युद्ध छोड़कर मैदान से भाग जाता है...!!! वैसे तो इस बार की दीपावली भाजपा के लिए अभिशाप साबित हुई है और इस अभिशाप के लिए बिहार ही इसका अंत नहीं है.....!!! अपनी नाकामियों को छिपाने का ये वक्त नहीं है, बल्कि अपनी नाकामियों से सबक लेकर उसमें सुधार की आवश्यकता है....!!! बिहार में जिम्मेदार नेताओं को उनकी नाकामी को खोजकर उन्हें आत्मचिंतन करने के लिए दीपावली की शुभकामनाओं के साथ मेरी तरफ से, ये मेरा प्रेम पत्र.....!!!
“शुभ दिवाली” “वन्देमातरम”....!!!
।।“लालजी रावत”।।
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